
‘सफलता किसी की मोहताज नही होती’ इस कहावत को एक बार फिर सच साबित कर दिखाया है विजय ने। जी हां.. हम बात कर रहे होटल में बर्तन मांजने वाले उस बच्चे की जिसने जिला स्तरीय खेल प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक जीतकर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया है। कुछ माह पहले तक होटल में जूठे बर्तन मांजकर पेट पालने वाले 11 साल के विजय कुमार ने जिला स्तरीय खेल महाकुंभ में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया। उसने 60 मीटर दौड़ में स्वर्ण पदक जीता, जबकि खो-खो, कबड्डी और लंबी कूद में दूसरा स्थान प्राप्त किया है। बचपन में ही अपनी मां को खो चुके विजय की तमन्ना आगे चलकर अच्छा एथलीट बनने की है। विजय का कहना है कि वह सभी को यह संदेश देना चाहता है कि पढ़ाई सभी के लिए जरूरी है। लोगों को गरीब बच्चों से काम कराने के बजाय पढ़ाई के लिए प्रेरित करना चाहिए। बता दें कि पिथौरागढ़ में बीते 15 से 20 दिसंबर तक हुए खेल महाकुंभ में स्कूल की ओर से प्रतिभाग करते हुए विजय ने 60 मीटर दौड़ में स्वर्ण पदक जीता, जबकि खो-खो, कबड्डी, लंबी कूद में दूसरा स्थान प्राप्त कर सिल्वर मेडल पाया। विजय ने खेल महाकुंभ में एक स्वर्ण सहित कुल आठ पदक जीते हैं। विजय का कहना है कि वह आगे चलकर अच्छा खिलाड़ी बनना चाहता है।
बता दें कि मूल रूप से राज्य के चम्पावत जिले के लोहाघाट निवासी छह भाई बहनों में चौथे नंबर के विजय कुमार की व्यथा काफी मार्मिक है। महज नौ साल की उम्र में विजय कुमार की मां मंजू देवी का निधन हो गया। पिता की माली हालत ठीक नहीं होने पर विजय अपनी बड़ी बहन के घर चला गया, जबकि अन्य भाई बहन चाचा-चाची के घर रहने लगे। विजय कुमार अपनी दीदी के घर रहकर बकरियां चराता था। कुछ समय बाद विजय के छोटे जीजा उसे पिथौरागढ़ लाए और एक होटल पर काम के लिए लगा दिया। नौ साल के विजय ने कुछ समय तक तो होटल में जूठे बर्तन मांजे परन्तु फिर एक दिन घर से भागकर खटीमा चला गया और होटल में काम करने लगा। वहां भी मन नहीं लगा तो फिर पिथौरागढ़ आ गया। गांव में किसी महिला की पहल पर विजय को जिला बाल कल्याण बोर्ड के पास भेजा गया। बाल कल्याण बोर्ड ने विजय को घनश्याम ओली चाइल्ड वेलफेयर सोसायटी के सुपुर्द कर दिया गया। सोसायटी के अध्यक्ष अजय ओली और गिरीश ओली ने चार माह पूर्व विजय को प्राथमिक स्कूल बास्ते में प्रवेश दिलाया। पढ़ने के साथ ही खेलों में रुचि रखने वाले विजय में गजब की प्रतिभा है।
यह भी पढ़े –उत्तराखण्ड के युवा ने समझा नंगे पाँव चलकर भिक्षावृत्ति करते बच्चो का दर्द, घनश्याम ओली चाइल्ड वेलफेयर सोसाइटी से दे रहे बच्चो को सुविधा