Connect with us

उत्तराखण्ड

उत्तराखण्ड के इस पर्वतीय क्षेत्र के गांव में दुल्हन को डोली पर नहीं घोड़े पर बिठाकर विदा किया जाता है

वैसे आमतौर पर तो देवभूमि उत्तराखंड सहित पूरे भारतवर्ष में हिन्दू धर्म को मानने वाले लोग दुल्हन को डोली में बिठाकर विदा करते हैं परन्तु भारतवर्ष के 27वें राज्य उत्तराखंड में एक गांव ऐसा भी है जहां आज भी दुल्हन को डोली पर नहीं घोड़े पर बिठाकर विदा किया जाता है। जी हां… हम बात कर रहे हैं उत्तराखंड के चमोली जिले के वांण गांव की जहां के लोग आज भी दुल्हन की विदाई घोड़े में बिठाकर करते हैं। आपको यह बात सुनने में अजीब सी लग रही होगी परन्तु यही इस गांव की हकीकत है। इसके पीछे भी गांव वाले एक बहुत बड़ी वजह बताते हैं,  वह वजह है चमोली की आराध्य मां नंदा देवी। आपको यह ज्ञात ही होगा कि चमोली जिले के कई गांव मां नंदा के अपनी बेटी मानते हैं और अपनी बेटी की तरह ही मां नंदा देवी को उनके ससुराल भी विदा करते हैं। चमोली जिले के वांण गांव के लोग भी मां नंदा को डोली में बिठाकर उन्हे ससुराल को विदा करते हैं।




क्या है इस प्रथा का कारण : बता दें कि उत्तराखंड के चमोली जिले के वांण गांव के ग्रामीण मां नंदा देवी को डोली में बिठाकर श्री नंदा देवी राजजात यात्रा पर कैलाश ले जाते हैं और इसलिए ही अपनी आराध्य मां नंदा के सम्मान में ग्रामीण अपनी बेटियों की शादी में दुल्हन को डोली के बजाय घोड़े पर बैठाकर विदा करते हैं। इसके साथ ही वांण गांव में एक ओर हैरान कर देने वाली परम्परा है और यह परम्परा है वांण गांव में स्थित लाटू देवता के मंदिर की। दरअसल यह सम्पूर्ण भारतवर्ष का एक ऐसा मंदिर है जहां कोई भी श्रद्धालु मंदिर के अंदर प्रवेश नहीं करता। यहां तक कि मंदिर के पुजारी भी आंखों पर पट्टी बांधकर दीया जलाकर लाटू देवता पूजा करते हैं। इस मंदिर के अंदर क्या है ये तो कोई नहीं जानता परन्तु इस परम्परा को सभी श्रद्धालु बड़े भक्तिभाव से मानते हैं। जितनी रोचक यह परम्परा हैं उतना ही रोचक इसका कारण भी। दरअसल लाटू देवता मां नंदा देवी का धर्म भाई माना जाता है।




ग्रामीणों में प्रचलित किंवदंतियों के अनुसार एक बार कन्नौज के गौड़ ब्राह्मण लाटू मां नन्दा के दर्शन के लिए कैलाश पर्वत की यात्रा कर रहे थे। जैसे ही वह चमोली जिले के वांण गांव पहुंचे तो उन्हें बहुत तेज प्यास लगी। जिस कारण इधर-उधर पीने के लिए पानी ढूंढते हुए वह एक कुटिया में पहुंचे। कुटिया में मौजूद महिला से पीने का पानी मांगने पर महिला ने अपनी कुटिया के अन्दर संकेत करते हुए कहा कि उसकी कुटिया में तीन घड़े है उनमें से एक घड़े में पानी रखा है आप अंदर जाकर उससे पानी पी लें। परंतु लाटू ब्राह्मण से एक बहुत बड़ी भूल हो गई जिसके कारण वह दूसरे घड़े में रखी मदिरा को पी ग‌ए। जब उन्हें इसका आभास हुआ तो वह अपनी गलती से इतने शर्मिंदा हो ग‌ए कि उन्होंने अपनी भूलवश हुई गलती का पश्चाताप करने के लिए स्वयं की जीभ ही काट दी। मान्यताओं के अनुसार इस घटना के बाद मां नन्दा ने उन्हें दर्शन देकर यही एक मंदिर में विराजमान होने का आदेश दिया और तभी से वह यहां पर मंदिर के अंदर नागराज मणि के साथ प्रवास करते हैं और नागमणि को देखने की सबको मनाही है।




More in उत्तराखण्ड

UTTARAKHAND GOVT JOBS

UTTARAKHAND MUSIC INDUSTRY

Lates News

To Top
हिमाचल में दो सगे नेगी भाइयो ने एक ही लड़की से रचाई शादी -Himachal marriage viral पहाड़ी ककड़ी खाने के 7 जबरदस्त फायदे!