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degree holders reaching villages to try their luck in Uttarakhand Panchayat elections education
Image : सांकेतिक फोटो ( Uttrakhand panchayat chunav education)

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उत्तराखंड पंचायत चुनाव में किस्मत आजमाने के लिए बड़े-बड़े डिग्री धारक नौकरी छोड़ पहुंच रहे गांव

Uttrakhand panchayat chunav education    : उत्तराखंड पंचायत चुनाव को लेकर गजब का उत्साह, कोई नौकरी छोड़ उतरा चुनाव के मैदान में, कोई शहर छोड़ पहुंचा गांव, B.Ed समेत अन्य डिग्री धारक भी चुनाव में आजमा रहे किस्मत

Uttrakhand panchayat chunav education    : उत्तराखंड के हरिद्वार जिले को छोड़कर बाकी 12 जिलों में पंचायत चुनाव को लेकर लोगों में अनोखा उत्साह देखने को मिल रहा है इतना ही नहीं बल्कि प्रदेश में हर तरफ पंचायत चुनाव की ही चर्चाएं हो रही हैं। पंचायत चुनाव इस बार इसलिए अत्यधिक खास माना जा रहा है क्योंकि पंचायत चुनाव में इस बार ऐसे ऐसे युवा चुनावी मैदान में उतरे हैं जिनकी क्वालिफिकेशन एजुकेशन लोगों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित कर रही है। वहीं दूसरी ओर जहां पर चुनाव के लिए पुरुषों की सीट नहीं आई है तो वहां पर लोगों ने अपनी बेटी बहूओ को चुनावी मैदान में उतार दिया है।

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अभी तक मिली जानकारी के अनुसार पंचायत चुनाव के लिए प्राइवेट स्कूल में टीचर कविता आर्य ने चुनाव के चक्कर में अपनी नौकरी तक छोड़ दी है जो अब नैनीताल जिले के हल्द्वानी के बसानी गांव में ग्राम प्रधान बनने की उम्मीद लगाई बैठी है। इसके अलावा गोलापार से आई दीक्षा बिष्ट और वैशाली नेगी का भी कुछ यही हाल है जो B.Ed करने के बाद ग्राम प्रधान की रेस में उतर चुकी है। जबकि पति के व्यवसाय और राजनीति में हाथ बढ़ाने वाली मीना पांडे भी अपना काम धंधा छोड़कर हल्द्वानी का ब्लॉक प्रमुख बनने का सपना संजोए हुए हैं उन्हे पूरा भरोसा है कि उनकी क्वालिफिकेशन का फायदा इलाके की जनता को मिलेगा।

कोई आईटी तो कोई वकील सब कूद पड़े चुनाव मे

इसके साथ ही पॉलिटिकल साइंस में पोस्ट ग्रेजुएट और स्वयं सहायता चलने वाली नीलू नेगी ने जोश में आकर अपने इलाके में चुनावी झंडा तक गाड़ चुका है। इन सभी के अलावा एक और खास प्रत्याशी है आईटी प्रोफेशनल रही रीता बिष्ट जो आईटी में एमएससी है जो अपने नामांकन के लिए पहुंच चुकी है। वही एलएलबी कर नए वकील बने कपिल सिंह देउपा भी पनियाली इलाके से अपने दादा और चाची की तरह ग्राम प्रधान बनने का सपना देख रहे हैं। अब यह तो चुनाव और उनके नतीजे ही तय कर पाएंगे कि किसकी किस्मत पंचायत चुनाव में खुलती है।

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