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Anju gusain poem
फोटो देवभूमि दर्शन Anju gusain poem

उत्तराखण्ड

गढ़वाली कविता- “मेरो माटी कु रंग…..” अंजू गुसाईं (काव्य संकलन देवभूमि दर्शन)

गढ़वाली कविता- मेरो माटी कु रंग…Anju gusain poem

यु घौर यु गुठ्यारों मा,
यु बौण यु रोल्यु का छाल्यु मा |
थाड्यू कु लिपे देखी,
उजड़्या कुड़्यू कु चिंवाड़ि देखि |
देखि मिल बल्दु का खुर ताल,
जख भी देखी मेरो माटी कु रंग देखि ||
गौर – भैंसों कु घास मा,
नना – नॉनियों कु हेंसी मा |
चौबट्टा कु ढूंगू ताल,
देखि मिल बधाणों मा |
इंद्र धनुष कु रंगों मा,
त्यौहारों कु होल्यो मा |
मेरो माटी कु रंग चढ़ी गे,
यू सट्टी – क्वादु कु बाल्यु मा ||
मेरु मैत्यु कु माटी देश लिजेगे,
क्वाद – झुंगरा विदेश बुतेगे |
माल्यू कु पात मा खाणु रखी की,
मेरो माटी कु प्रचार करीगे ||
माटी कु रंग यू आंख्यो मा आण,
भूल बिसरी कि जब विदेश चलि जाण |
ये माटी तब हमते बुलाण,
जब देव – पितृ देवता पूजे जाण ||
मोरि कि तब ये माटी मा ही मिलण,
कब हमल ये माटी कु कर्ज चुकाण |
सभ्य जब रोला घौर गौ मा,
तबी ता मेरी माटी खिलखिलाण ||
रचना- अंजू गुसाईं, ग्राम – कुठेल गाँव, पोस्ट ऑफिस – देवलाड , पिन कोड – २४६२७७,जिला – पौड़ी गढ़वाल
(उत्तराखण्ड)
Anju gusain poem

यह भी पढ़ें- गढ़वाली कविता- “खूबसूरती कु जिक्र जब होंदु……” संगीता महर (काव्य संकलन देवभूमि दर्शन)

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