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उफनती मन्दाकिनी नदी :केदार घाटी में आज भी एक ट्राली और 200 स्कूली बच्चे




देहरादून : उत्तराखण्ड केदारनाथ त्राश्दी को पुरे पांच साल हो गए है लेकिन आज भी केदार घाटी के विजयनगर कस्बे में स्कूली बच्चे ट्रॉली से स्कूल जाने के लिए मजबूर है।
वर्ष 2013 में मंदाकिनी की उफनती लहरों ने आधे कस्बे के साथ ही नदी पर बने एकमात्र पुल को भी ध्वस्त कर दिया था। तब से यही ट्रॉली उस पार जाने का अकेला सहारा है।





बता दे की रुद्रप्रयाग से महज 18 किलोमीटर दूर केदार घाटी के विजयनगर कस्बे में करीब दो सौ बच्चे कतार में खड़े होकर ट्रॉली में स्थान मिलने का इंतजार करते है।
ये मासूम बच्चे अपनी जिंदगी पर खेल कर रोज इस उफनदी के उप्पर से होते हुए जाते है और एक दहशत का खौफ हमेशा उनके मन में रहता है। सिर्फ इतना ही नहीं पांच साल में ऐसी ट्रॉलियों से 45 हादसे हो चुके हैं, जिनमें पांच की जान गई और कई को गंभीर चोट आई हैं।





मानसून का सीजन इनके और इनके परिजनों के लिए पूरी तरह से दहशत से भरा रहता है। मंदाकिनी के पार बड़मा और चिलरगढ़ पट्टी के दो दर्जन से ज्यादा गांवों के बच्चों को शिक्षा के लिए विजयनगर ही आना पड़ता है।





सरकार ने क्या किया – वर्ष 2014 में यहां पैदल पुल निर्माण को मंजूरी मिली और इसके लिए करीब एक करोड़ रुपये की धनराशि भी जारी की गई, लेकिन सिस्टम की कछुआ चाल से पुल अभी भी निर्माणाधीन है। ग्रामीणों के लिए नदी पर अस्थायी व्यवस्था के तौर पर एक फोल्डिंग पुल भी बनाया गया था, लेकिन पिछले दिनों भारी बारिश के दौरान यह भी क्षतिग्रस्त हो गया। अब केदार घाटी के लोगो की जिंदगी ट्राली और उफनदी मन्दाकिनी के बिच लटकी हुई है।

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