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haat Kalika temple gangolihaat situated in pithoragarh district of uttarakhand

उत्तराखण्ड विशेष तथ्य

कुमाऊं रेजिमेंट भी करता है नमन : कुमाऊं रेजिमेंट और माँ हाट कालिका की विजय गाथा

कारगिल युद्ध पर बनी बहुत सी फिल्मो में भी यह नजारा देखा जा सकता है। 1971 की भारत-पाक लड़ाई में हिस्सेदार रहे पांखू निवासी रिटायर्ड कैप्टन धन सिंह रावत बताते हैं कि महाकाली का जयकारा लगते ही जवानों में दोगुना जोश भर जाता था। कुमाऊं रेजीमेंट ने पाकिस्तान के साथ छिड़ी 1971 की लड़ाई के बाद गंगोलीहाट के कनारागांव निवासी सूबेदार शेर सिंह के नेतृत्व में गंगोलीहाट आई सैन्य टुकड़ी ने महाकाली के मंदिर में महाकाली की मूर्ति की स्थापना की। सेना द्वारा स्थापित यह मूर्ति मंदिर की पहली मूर्ति थी।

फोटो देवभूमी दर्शन


कुमाऊं रेजीमेंट ने मंदिर में महाकाली की सबसे बड़ी मूर्ति चढ़ाई-  1971 के बाद 1994 में कुमाऊं रेजीमेंट ने ही मंदिर में महाकाली की बड़ी मूर्ति चढ़ाई थी। इन मूर्तियों को आज भी शक्तिस्थल के पास देखा जा सकता है। कुमाऊं रेजिमेंट के जवान महेंद्र नेगी बताते है की कुमाऊं रेजीमेंटल सेंटर रानीखेत के साथ ही रेजीमेंट की बटालियनों में हाट कालिका के मंदिर स्थापित हैं। पिथौरागढ़ का हाट मन्दिर एक ऐस मन्दिर है जहाँ माँ कालिका की पूजा के लिए सालभर सैन्य अफसरों और जवानों का तांता लगा रहता है। कुमाउनी फिल्मो में भी ऐसे बहुत से दृश्य देखने को मिल जायेंगे जब कोई फौजी अपने सरहद के लिए जाता है तो सबसे पहले माँ कालिका के मन्दिर से आशिर्वाद लेने जाता है।

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