Connect with us
Uttarakhand Government Happy Independence Day

उत्तराखण्ड

देहरादून

शहीद मेजर विभूति ढौंडियाल की पत्नी की कश्मीर से जुडी बीती जिंदगी की दास्तान जो हर आँख नम कर देगी

जिस आतंक ने कश्मीर में बना हुआ अपना घर-बार छोड़ने को मजबूर कर दिया और कश्मीर का विस्थापित परिवार बना दिया आज उसी कश्मीर के आतंक ने संभल चुकी ज़िन्दगी में एक बार फिर से प्रवेश कर विस्थापन के दुःख को पुनः उजागर कर दिया।  इस बार तो यह कश्मीर का आतंक सारी खुशियां ही उजाड़ कर लें गया। कुछ ऐसी ही कहानी है पुलवामा एनकाउंटर में शहीद वीर मेजर विभूति शंकर ढौंडियाल की पत्नी निकिता कौल की। मेजर ढोंडीयाल की पत्नी निकिता कौल आतंक के कारण कश्मीर से विस्थापित एक कश्मीरी पंडित परिवार की बेटी है, और कश्मीर में जो जुल्म कश्मीरी पंडितों के परिवारों के साथ हुआ उसे कोई कैसे भुला सकता है।  खासकर वे परिवार जिनको कश्मीर में तमाम जुल्म सहने के बाद खुद की जान बचाने और ज़िन्दगी को शुकून से जिने के लिए कश्मीर से विस्थापित होना पड़ा हो। निकिता कौल का परिवार भी उन्हीं कश्मीरी परिवारों में से एक है। जिनके घावों पर वक्त के साथ मलहम तो लगा परंतु वक्त ने फिर से उन घावों पर नमक छिड़कने का काम किया।




कश्मीर से पलायन करने के बाद निकिता के परिवार ने पुरानी बातों को भूलकर दिल्ली में न‌ए सिरे से जिन्दगी की शुरुआत की।  दिल्ली में ही निकिता की मुलाकात मेजर विभूति से हुई। दोनों ने महज 10 माह पहले ही प्रेम विवाह किया था। अब तक निकिता और उसके परिवार के पुराने घाव भी भर चुके थे और निकिता की जिंदगी की गाड़ी भी सही ढंग से चल रही थी। परंतु नियति को निकिता की हंसती-खेलती जिन्दगी नागवार गुजरी और वक्त ने एक बार फिर से जिन्दगी की गाड़ी में ब्रेक लगाकर पुराने घावों में नमक छिड़कने का काम किया। आतंक की दोहरी मार से घिरी निकिता कौल जब अपने शहीद पति के पार्थिव शरीर से रूबरू हुई तो उनके चेहरे के भाव साफ बयां कर रहे थे कि जो आतंक उनके लिए इतिहास बन चुका था, उसी ने उन पर दोहरी मार की है। हालांकि इस कश्मीरी आतंक ने निकिता और उसके परिवार को मजबूती से जीना भी सिखाया और इसी का परिणाम था कि पति के शहादत के बाद भी मेजर विभूति की पत्नी निकिता ने मेजर विभूति के पार्थिव शरीर को सलाम किया।




निकिता बीते सोमवार को सुबह पांच बजे देहरादून से जन शताब्दी ट्रेन से अपने मायके दिल्ली के लिए रवाना हुई थीं। वह अभी मुजफ्फरनगर ही पहुंची थी कि उन्हें पति के शहादत का समाचार मिल गया। ऐसी खबर को सुनकर कोई भी पत्नी टूट सकती है और निकिता के साथ भी शुरुआत में कुछ ऐसा ही हुआ। परन्तु कुछ समय बाद ही निकिता ने खुद को संभाल लिया। ट्रेन में उनके साथ सफर करने वाला कोई परिचित न होने के बावजूद उन्होंने ऐसी परिस्थिति में भी दिल्ली तक का सफर पुरा किया और किसी तरह भावनाओं पर काबू रखकर उसी समय परिवार के साथ देहरादून वापस भी आई। परंतु उनके सब्र का बांध तब टूट पड़ा जब मेजर पति के पार्थिव शरीर को घर पर उनके सामने लाया गया। पति के पार्थिव शरीर के सामने आते ही वह बुरी तरह टूट गई और अब तक किसी तरह काबू में रखी भावनाओं का ज्वार भी उफान पर आ गया। आज फिर वो बीती हुई जिंदगी आँखों के सामने जीवंत हो गयी , दुखो का ऐसा पहाड़ टूट पड़ा की आखिर किस से कहे अपनी ये दुखबरी दास्तान रोते-बिलखते वह शहीद विभूति के पार्थिक शरीर से लिपटकर बस अपने अतीत और आज में समा गयी।




More in उत्तराखण्ड

UTTARAKHAND CINEMA

PAHADI FOOD COLUMN

UTTARAKHAND GOVT JOBS

UTTARAKHAND MUSIC INDUSTRY

Lates News

deneme bonusu casino siteleri deneme bonusu veren siteler deneme bonusu veren siteler casino slot siteleri bahis siteleri casino siteleri bahis siteleri canlı bahis siteleri grandpashabet
To Top