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उत्तराखंड: सिडकुल की नौकरी छोड़ मनोज ने पहाड़ में लगाई चाऊमीन बनाने की मशीन

Self employment in uttarakhand: प्रधानमंत्री मोदी के सपने को साकार कर रहे उत्तराखंड के युवा, सिडकुल की नौकरी छोड़ पहाड़ में लगा दी चाऊमीन बनाने की मशीन, हो रही अच्छी आमदनी..

देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत के सपने को उत्तराखंड के युवा शत-प्रतिशत साकार कर रहे हैं। इन युवाओं के कठिन परिश्रम ने ये साबित कर दिया है कि स्वरोजगार करना कोई कठिन काम नहीं है बल्कि इसके लिए जरूरत है पूरी लगन और जज्बे के साथ काम करने की। राज्य के विभिन्न हिस्सों से आए दिन स्वरोजगार करते युवाओं की तस्वीर वास्तव में पिछले 18-19 वर्षों में राज्य के पहाड़ी भूभाग से हुए पलायन पर भी खासी चोट करती है। इन स्वरोजगारी युवाओं को देखकर यह कहना बिल्कुल भी अनुचित नहीं होगा कि अब राज्य से पलायन के दिन लद गए। आने वाले दिनों में एक बार फिर पहाड़ी युवा आत्मनिर्भर बनकर अपने पहाड़ के लिए, पहाड़ को एक नई पहचान दिलाने के लिए कुछ न कुछ करते नजर आएंगे। स्वरोजगार (Self employment in uttarakhand) की एक ऐसी ही तस्वीर आज राज्य के चमोली जिले से सामने आ रही है जहां रहने वाले एक युवक ने सिडकुल की नौकरी छोड़कर चाऊमीन बनाने का काम शुरू किया है। जी हां.. हम बात कर रहे हैं मनोज सिंह नेगी की, जिन्होंने अपने घर में चाऊमीन बनाने की मशीन लगाकर स्वरोजगार शुरू किया है।
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स्वरोजगारी मनोज का कहना है भविष्य में गांव के अन्य युवाओं को भी दूंगा रोजगार, हर कोई कर रहा मनोज के काम की तारीफ:-

प्राप्त जानकारी के अनुसार राज्य के चमोली जिले के घाट विकासखंड के लाखी गांव निवासी मनोज सिंह नेगी पिछले वर्ष तक सिडकुल में नौकरी करते थे। उन्होंने कुछ वर्ष रूद्रपुर में नौकरी की और फिर वह नौकरी के लिए हरिद्वार चलें ग‌ए लेकिन यहां भी उनका मन नहीं लगा, बार-बार अपने घर, अपने पहाड़ में रहकर कुछ करने की उन्हें वापस लाखी गांव खींच लाई। जहां उन्होंने इस वर्ष की शुरुआत में चाऊमीन बनाने की मशीन लगाई। इन मशीनों से वह चाऊमीन का उत्पादन करते हैं। मनोज का कहना है कि चाऊमीन बनाने के बाद वह उसे क्षेत्र के ही घाट बाजार, मोख घाटी, सितेल, रामणी, काण्ड‌ई पुल आदि जगहों पर सप्लाई भी करते हैं। जिससे उन्हें अच्छी खासी आमदनी भी हो जाती है। मनोज का यह भी कहना है कि लाक डाउन से पहले उनकी इस चाऊमीन की दिन-प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही थी। उन्हें उम्मीद है कि अब लाकडाउन खुलने के बाद एक बार फिर बाजार में चाऊमीन की मांग बढ़ेगी। जिसके बाद वह गांव के अन्य युवाओं को भी मशीन आदि का प्रशिक्षण देकर रोजगार देने के बारे में विचार कर रहे हैं। मनोज के इस सराहनीय कार्य की क्षेत्रवासी जमकर प्रशंसा कर रहे हैं उनका कहना है कि मनोज ने गांव में ही स्वरोजगार शुरू कर राज्य के अन्य युवाओं के लिए मिशाल कायम की है।

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