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RAMA BISHT HERBS

उत्तराखण्ड

नैनीताल

उत्तराखण्ड की रमा बिष्ट ने उगाया हर्बल जंगल, जड़ी बूटियों से हो रही आमदनी और दे रही रोजगार

Herbal Ayurveda Uttarakhand: पहाड़ की खूबसूरत वादियों में उगाया जड़ी-बूटियों का हर्बल जंगल, आसपास की 25 से अधिक महिलाओं को भी मिल रहा रोजगार..

मुश्किल, परेशानी, नहीं हो पाएगा, कैसे करें, असंभव.. जैसे शब्द वास्तव में इंसानों के कदमों को पीछे खींच देते हैं लेकिन होंसला अगर बुलंद हो और इच्छाशक्ति अगर दृढ़ हो तो हर मुश्किल से मुश्किल काम में भी मुकाम पाया जा सकता है। पहाड़ में स्वरोजगार करने के लिए भी इसी बुलंद होंसले और दृढ़ इच्छाशक्ति की जरूरत होती है जिसका ताजा उदाहरण नैनीताल जिले की रमा बिष्ट (Rama Bisht) ने हम सभी के सामने पेश किया है। जी हां.. हम बात कर रहे हैं उस युवती की जिसने नैनीताल जिले के रामगढ़ में आयुर्वेदिक जड़ी बूटियों (Herbal Ayurveda Uttarakhand) का पूरा का पूरा जंगल ही उगा दिया। आपको यह जानकर और भी आश्चर्य होगा कि 2010 में एक पौधे से शुरूआत करने वाली रमा के इस हर्बल जंगल में आज 25 से अधिक महिलाएं काम कर रही है। सच कहें तो रमा के इस जंगल में संजीवनी बूटी की तरह जड़ी बूटियां पाई जाती है। वास्तव में रमा की लगन एवं मेहनत ने न केवल आज पहाड़ के अन्य युवाओं के लिए मिशाल पेश की है बल्कि एक बार फिर यह बता दिया है कि अगर इच्छाशक्ति दृढ़ हो तो मुश्किल से मुश्किल काम भी आसान लगने लगता है। इन दिनों पूरे क्षेत्र में रमा के इस हर्बल जंगल की ही चर्चा हो रही है और हर कोई रमा के इस सराहनीय पहल को सलाम कर रहा है।
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रमा के इस हर्बल जंगल से आस-पास के 40-50 काश्तकारों को भी मिल रहा फायदा:

प्राप्त जानकारी के अनुसार नैनीताल जिले के रामगढ़ ब्लाक के नथुवाखान निवासी रमा बिष्ट ने अपनी आठ नाली जमीन पर एक हर्बल जंगल उगाया है। रमा के इस जंगल में आपको सेब, आड़ू और खुमानी जैसे रसीले फलों के साथ स्वीट बेसिल, सेज, स्टीविया, पेपर मिंट, रोजमेरी, मारजोरम, रोज जिरेनियम, आरेगानो, थायम, पार्सली, लेमन बाम, पर्सले हर्ब, लेमनग्रास, केमोमाइल, अर्जुन, सौंप, कासनी, गिलोय, अश्वगंधा आदि जड़ी-बूटियों के पेड़-पौधे भी मिलेंगे। इतना ही नहीं रमा अपने इस जंगल से हर्बल चाय भी तैयार करती है जिसके लिए उन्होंने क्षेत्र की 25 से अधिक महिलाओं को रोजगार भी दिया है। बता दें कि रमा ने अपने इस हर्बल जंगल की शुरुआत 2010 में की, और इसके बाद वह अपने इस कार्य को लगातार बढ़ाती गई। इस कार्य में रमा को उनके पति जितेन्द्र सिंह का भी भरपूर सहयोग मिला। इसी का परिणाम है कि आज उनकी आठ नाली जमीन में कोई भी हिस्सा ऐसा नहीं है जो बेकार पड़ा हों। अपने इस जंगल से रमा हर्बल टी सहित अन्य आयुर्वेदिक चीजें तैयार कर न केवल अच्छा मुनाफा कमा रही है बल्कि उसके इस कार्य का फायदा आसपास के करीब 40-50 काश्तकारों को भी मिल रहा है, क्योंकि इन सभी से भी रमा हर्बल उत्पाद खरीदती है।

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