उत्तराखण्ड आन्दोलन के प्रबल नायक डॉ. शमशेर सिंह बिष्ट के निधन से प्रदेश हुआ स्तब्ध
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नशा नहीं रोजगार दो आंदोलन में वह 40 दिन जेल में रहे। जंगलों की नीलामी के खिलाफ 27 नवंबर 1977 को नैनीताल में हुए प्रदर्शन में वह आगे रहे। इस प्रदर्शन के बाद रहस्यमय तरीके से नैनीताल क्लब जलकर खाक हो गया था। जब पौड़ी में जुझारू पत्रकार उमेश डोभाल की हत्या हुई तो पौड़ी से लेकर दिल्ली तक शराब माफिया मनमोहन सिंह नेगी का खौफ था और कोई भी उसके खिलाफ बोल नहीं रहा था। ऐेसे में अल्मोड़ा से डॉ. शमशेर सिंह बिष्ट और रघु तिवारी ने आकर खौफ के सन्नाटे को तोड़ते हुए पौड़ी की सड़कों पर मनमोहन के खिलाफ नारे लगाये और उमेश डोभाल के हत्यारों को पकड़ने के लिये आंदोलन को तेज किया।वह एक ऐसी शख्सियत थे, जो कि सत्ता के दमन से कभी नहीं डरे और हमेशा जनता के पक्ष में आवाज बुलंद करते रहे। डॉ. बिष्ट के निधन से से पूरा उत्तराखण्ड स्तब्ध है। उत्तराखण्ड राज्य आंदोलन में उनके योगदान हमेशा स्मरणीय रहेंगे।