Uttarakhand panchayat chunav update : उत्तराखंड पंचायत चुनाव को लेकर तय हुआ ओबीसी आरक्षण का फार्मूला, मंत्रिमंडलीय उप समिति ने ओबीसी आरक्षण पर लिया अंतिम निर्णय..
Uttarakhand panchayat chunav update : उत्तराखंड के हरिद्वार जिले को छोड़कर बाकी 12 जिलों के लोग बेसब्री से पंचायत चुनाव का इंतजार कर रहे हैं वही इस बीच हरिद्वार जिले को छोड़कर अन्य सभी जिलों में मुख्य विहीन चल रही 7600 त्रि स्तरीय पंचायतों के चुनाव का रास्ता अब साफ होने वाला है क्योंकि मंत्रिमंडलीय उप समिति ने बीते शनिवार को बैठक का आयोजन किया जिसमें पंचायत में ओबीसी आरक्षण को नए सिरे से निर्धारण के दृष्टिगत एकल समर्पित आयोग की रिपोर्ट पर जोर दिया गया है जिसकी रिकमेंडेशन उप समिति जल्द ही मुख्यमंत्री को सौंपेगी जिसके आधार पर पंचायत चुनाव के लिए ओबीसी आरक्षण का फार्मूला तय हो जाएगा।
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अभी तक मिली जानकारी के अनुसार उत्तराखंड में त्री स्तरीय पंचायत चुनाव करवाने के लिए कोर्ट की तरफ से लगातार दबाव बनाया जा रहा है वहीं दूसरी ओर चुनाव आयोग भी चुनाव संबंधित तैयारियां पूरी कर चुका है हालांकि दूसरी तरफ संवैधानिक संकट की स्थिति के कारण सरकार जल्द से जल्द इस समस्या से निपटने के लिए निर्णय लेने वाली है लेकिन राज्य सरकार ने चुनाव में बाधा उत्पन्न कर रहे ओबीसी आरक्षण पर मंत्रिमंडलीय समिति गठित की है जिस पर बीते शनिवार को वन मंत्री सुबोध उनियाल की अध्यक्षता में आरक्षण पर अंतिम निर्णय भी ले लिया गया है। अब ऐसे में राज्य सरकार इस आयोग की रिपोर्ट का परीक्षण करवाना चाहती है जिसके चलते मंत्रिमंडलीय समिति का गठन किया गया है। बताते चले वर्तमान में अनुसूचित जाति और जनजाति के लिए 22% का आरक्षण तय है जबकि संवैधानिक रूप से 50% से ज्यादा आरक्षण किसी भी स्थिति में देना संभव नहीं है जिसको लेकर पंचायत चुनाव में अन्य पिछड़ा वर्ग को 28% से ज्यादा का आरक्षण मिलना संभव नहीं है ऐसे में एकल सदस्य समर्पित आयोग की रिपोर्ट का परीक्षण कर लिया गया है वही इस पर अंतिम निर्णय भी ले लिया गया है जिसकी रिपोर्ट मुख्यमंत्री को सौंपी जानी बाकी है। मंत्रिमंडलीय उप समिति आगामी सोमवार को अपनी रिपोर्ट मुख्यमंत्री को सौंपेगी लेकिन अंतिम निर्णय प्रस्ताव के रूप में 11 जून को होने वाली कैबिनेट बैठक में रखा जा सकता है जिसके आधार पर ही अंतिम फैसला होगा।
ओबीसी आरक्षण पर क्या बन रही स्थिति ( Uttarakhand panchayat chunav update)
उत्तराखंड में पंचायत के लिए ओबीसी आरक्षण की स्थिति कई फॉर्मूलों पर निर्धारित हो सकती है जिसमें सामान्य फार्मूला अलग-अलग सीटों पर राज्य के जिला और ब्लॉक स्तर पर लागू करने से जुड़ा है यानी जिला पंचायत अध्यक्ष पद के लिए प्रदेश स्तर पर ओबीसी जनगणना को आधार बनाया जा सकता है जबकि जिला पंचायत सदस्य और ब्लॉक प्रमुखों के लिए जिले में ओबीसी जनगणना को आधार बनाया जा सकता है। इसी तरह से ग्राम स्तर पर आरक्षण की स्थिति ब्लॉक में मौजूद ओबीसी जनगणना के आधार पर हो सकती है। गौर हो 2011 के बाद अभी तक जनगणना नहीं हुई है इसलिए ओबीसी की संख्या को 2011 की जनगणना के आधार पर ही माना जाएगा। बताते चले पहले ओबीसी आरक्षण की सीमा 14% थी जिसे आयोग ने खत्म करने की बात करते हुए यह बात स्पष्ट की थी कि एससी एसटी ओबीसी आरक्षण 50% से अधिक नहीं होगा जबकि बैठक में एससी एसटी के लिए 18 और 4% का आरक्षण है जिसके आधार पर ओबीसी आरक्षण 28% से अधिक नहीं हो सकता है।
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