ऋषिकेश तीर्थनगरी के कलाकार राजेश चन्द्र (Rajesh chandra) ने बनाई फिर से उत्तराखंड की संस्कृति पर चित्रकारी। ऋषिकेश श्यामपुर के एव्रग्रीन पब्लिक स्कूल की बाउंड्री वॉल पर बनाये उत्तराखण्ड सभ्यता के चारधामों व पहाड़ी संस्कृति जिस से आने वाली पीढ़ियो को भी अपनी संस्कृति से जोड़ा जाएगा। जी हाँ ये पहल एव्रग्रीन पब्लिक स्कूल के प्रबंधक व राजेश ने मिलकर शुरू की है ताकी स्कूल की खाली पड़ी बॉउंड्री वाल पर न सिर्फ शैक्षिक चित्रण हो बल्कि कुछ ऐसा भी चित्रण हो जिससे विद्यार्थियों को उनकी संस्कृति से जोड़ा जाए। राजेश चन्द्र श्रीनगर गढ़वाल में बंदासा गाँव के रहने वाले हैं। ये गांव कीर्तिनगर से आगे मंजाकोट के पास में स्थित है। देवभूमी दर्शन से बात चीत में राजेश बताते हैं कि उन्हें हमेशा से ही अपने पहाड़ी संस्कृती से विशेष लगाव रहा है और अब वो अपनी उत्कृष्ट चित्रकारी से यहाँ की संस्कृती को विश्व पटल पर लाना चाहते हैं। उन्होंने अपने गांव के कुछ फोटोग्राफी को इन पेंटिंग्स में दिखाया है जिसमें उनका भोटिया कुत्ता भोलू भी सम्मिलित है। इससे पहले भी राजेश चन्द्र ने अनेको चित्रण किए हैं। मध्य प्रदेश में पहाड़ी कला को पेंटिंग्स के माध्यम से प्रदर्शित करने के लिए उन्हें मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत ने भी सम्मानित किया है।
जहाँ एक तरफ राजेश (Rajesh chandra) ने भारत की धरोहर व राष्ट्रीय पशु पक्षी को चित्रित किया वहीँ दूसरी वाल पर पूरे उतराखण्ड की सभ्यता को दिखाया जा रहा है, जिसमे चार धाम व पहाड़ के खान पान रहन सहन व क्रियाकलाप का काफी सजीव चित्रण किया है। राजेश ने इन चित्रों को इस तरीके से बनाया है कि कोई भी दर्शक इन के बीच मे खाली स्थान पे बैठ कर फोटोग्राफी सेल्फी ले सकता है। बता दें कि पहले दिन से ही विद्यार्थी पेंटिंग्स में बहुत दिलचस्पी ले रहे है। राजेश चन्द्र को इस से पहले गंगा बचाओ की पेंटिंग के लिए केंद्र सरकार के शो “रग रग में गंगा में “भी इनकी टीम बिंग भगीरथ के साथ दिखाया गया। राजेश अपने पहाड़ की कला और संस्कृति को सारी दुनिया मे फैलाना चाहते है। वो कहते है कि मेरा मानना है कि कश्मीर नही बल्कि हमारा उतराखण्ड असली जन्नत है। अभी आने वाले समय में बेटी बचाओ के पेंटिंग्स के साथ साथ वे पहाड़ी कला को और ट्रेंडिंग बनाने के लिए प्रयासरत है।