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बागेश्वर: शिक्षक नरेंद्र गिरी गोस्वामी ने संवारा बच्चों की लेखनी के हुनर को, बच्चे छा गए राष्ट्रीय स्तर पर
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Govt junior high school karuli student pawani khetwal handwriting viral on social media Teacher Narendra Giri Goswami kapkote Bageshwar Uttarakhand live news: बागेश्वर की पावनी खेतवाल की सुलेख कला ने जीता सबका दिल — पहाड़ की बिटिया की लेखनी ने कर दिखाया कमाल
Govt junior high school karuli student pawani khetwal handwriting viral on social media Teacher Narendra Giri Goswami kapkote Bageshwar Uttarakhand live news: उत्तराखंड के बागेश्वर जिले के एक सरकारी स्कूल के बच्चे अपने हुनर से सोशल मीडिया पर छा गए हैं जिन पहाड़ी इलाकों से अक्सर बदहाल शिक्षा व्यवस्था, स्कूलों में शिक्षकों की कमी और संसाधनों के अभाव की खबरें आती हैं, वहीं इन्हीं कठिन हालातों के बीच कपकोट तहसील के राजकीय जूनियर हाईस्कूल करूली के बच्चों ने उम्मीद की नई कहानी लिख दी है।
जी हां इन बच्चों की आकर्षक लेखनी आप देखेंगे तो चौंक जाएंगे। इन छात्र-छात्राओं में से दीक्षित, पावनी खेतवाल, सौम्या, योगेश, सौरभ, रोहित, दीक्षा, विवेक, और नव्या की खूबसूरत सुलेख लेखनी आप देख सकते हैं। इन सभी बच्चों के हुनर के पीछे एक मेहनती शिक्षक नरेंद्र गिरी गोस्वामी का खास योगदान है जो इन बच्चों की कला को निखार रहे हैं।
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राज्य स्तरीय हिंदी सुलेख प्रतियोगिता में प्रथम स्थान प्राप्त अन्य राष्ट्रीय स्तर के लिए चयनित हुई पावनी खेतवाल
आपको बता दें कि इन्हीं बच्चों में से एक बिटिया पावनी खेतवाल आजकल पूरे उत्तराखंड में चर्चा का विषय बनी हुई है। उसकी अद्भुत लेखनी और सुंदर सुलेख कला, जिसने देश-प्रदेश के लोगों का ध्यान अपनी ओर खींच लिया है। पावनी खेतवाल ने राज्य स्तरीय हिंदी सुलेख प्रतियोगिता 2024 में प्रथम स्थान हासिल कर अपने स्कूल और जिले का नाम रोशन किया है। यही नहीं, अपने हुनर और अभ्यास की बदौलत उसने अब राष्ट्रीय स्तरीय सुलेख प्रतियोगिता में चयन का मुकाम भी हासिल किया है।
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सोशल मीडिया पर वायरल हुआ पत्र, जमकर हो रही तारीफ
पावनी की सफलता की सबसे खास बात यह है कि उसने यह मुकाम किसी बड़े शहर या कॉन्वेंट स्कूल से नहीं, बल्कि एक पहाड़ी सरकारी स्कूल से हासिल किया है। यही वजह है कि जब उसके लिखे हुए शब्दों का एक पन्ना सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, तो लोग उसकी लेखन कला देखकर दंग रह गए। पावनी के द्वारा अपने पिता को लिखे इस वायरल पत्र ने लोगों के दिलों में जगह बना ली।
उस पत्र की भाषा शैली और शब्द चयन इतना सहज और भावनात्मक था कि लोग नन्हीं पावनी को स्नेह से ‘पहाड़ की सुलेख बिटिया’ कहकर बुलाने लगे। उनके सुंदर लेखन के वायरल पत्र पर सोशल मीडिया में लोग लगातार अपनी प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं। वास्तव में ऐसी प्रतिक्रियाएँ इस बात का सबूत हैं कि पावनी की लेखनी सिर्फ शब्द नहीं गढ़ती, बल्कि दिलों पर असर छोड़ती है।
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पावनी के सफलता के पीछे शिक्षक नरेन्द्र गिरि गोस्वामी का मार्गदर्शन, 2018 से लगा रहे हस्तलेखन सुधारने की अतिरिक्त कक्षा
इस हुनर के पीछे हैं उनके मार्गदर्शक नरेन्द्र गिरि गोस्वामी, जो राजकीय जूनियर हाईस्कूल करूली में शिक्षक हैं और वर्ष 2018 से सुलेख और हस्तलेखन को एक नवाचार की तरह सिखा रहे हैं। देवभूमि दर्शन से खास बातचीत में वो बताते हैं — “हमारे विद्यालय में बच्चों को सिर्फ पढ़ना-लिखना नहीं सिखाया जाता, बल्कि सुंदर लेखन को उनकी पहचान बनाया गया है।
यह प्रयास आत्मविश्वास, एकाग्रता और अभिव्यक्ति — तीनों में निखार लाता है।” उन्होंने बताया कि इस नवाचार की शुरुआत 2018 में की गई थी। अब तो बच्चे इसे अपनी दिनचर्या का हिस्सा मान चुके हैं। स्कूल में रोज़ाना एक अतिरिक्त कक्षा सिर्फ हस्तलेखन सुधारने के लिए लगाई जाती है, और आज यह स्कूल अपने लेखन के लिए पूरे उत्तराखंड में एक मिसाल बन चुका है।
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पावनी की लेखनी के मुरीद हुए लोग
पावनी खेतवाल की यह कहानी सिर्फ एक छात्रा की सफलता नहीं, बल्कि उस उम्मीद की कहानी है जो हर पहाड़ी गांव के बच्चे के भीतर पलती है। जहां सुविधाएँ कम हैं, पर हिम्मत और लगन अनंत है। उसकी लिखावट यह साबित करती है कि अगर सच्चा शिक्षक मिल जाए और विद्यार्थी में जुनून हो, तो पहाड़ की मिट्टी से भी सोने जैसी प्रतिभा खिल सकती है।
पावनी खेतवाल की सफलता इस बात का भी प्रमाण है कि अगर मार्गदर्शन सच्चा हो और मेहनत निरंतर, तो पहाड़ों की कठिनाइयाँ भी रास्ता नहीं रोक पातीं। उनकी लेखनी सिर्फ शब्द नहीं गढ़ती, बल्कि हर अक्षर में अनुशासन, एकाग्रता और सादगी की झलक मिलती है। यही वजह है कि सोशल मीडिया पर हजारों लोग इस बालिका की सुलेख कला के मुरीद बन चुके हैं।
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वास्तव में यह कहना अतिश्योक्ति नहीं होगी कि नरेंद्र गिरी जैसे शिक्षक अगर पहाड़ के बच्चों को मिल जाए तो दूरस्थ क्षेत्रों में रहने वाले नौनिहाल भी अपनी काबिलियत के दम पर सफलता की ऐसी इबादत लिख सकते हैं जिस पर उत्तराखंडवासी गर्व का अनुभव कर सकें, क्योंकि एक शिक्षक उस कुम्हार की भांति होता है जो कच्ची मिट्टी को अलग-अलग सांचों में ढालकर उसे खूबसूरत बर्तनों का आकार देता है। ठीक उसी तरह नौनिहालों के जीवन में रंग भरने, उनके हुनर को पहचानकर उन्हें सही राह दिखाने का काम एक योग्य शिक्षक ही कर सकता है।
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