सोशल मीडिया पर चर्चाओं का विषय बनी देहरादून के मेयर सुनील उनियाल गामा (Mayor gama) की बेटी की नियुक्ति, लोगों ने लगाए कई आरोप..
ऐसे समय में जब कोरोना के कारण लोगों की नौकरियां जा रही है और बेरोजगारों की संख्या दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। उस समय अगर कोई नौकरी निकलती है तो उसमें सफलता पाने वाले युवा वाकई खुशकिस्मत होते हैं परन्तु यदि इन्हीं नवनियुक्त युवाओं में कोई राजनेता या ऊंची पहुंच रखने वाले व्यक्ति का पुत्र या पुत्री हो तो न केवल भर्ती प्रक्रिया विवादों में आ जाती है बल्कि उस व्यक्ति और उसकी पार्टी पर भी जनता द्वारा इल्जाम लगाए जाते हैं। देवभूमि उत्तराखंड में इन दिनों यही हो रहा है। मामला राजधानी देहरादून का है जहां बीते दिनों भारतीय चिकित्सा परिषद में युवा कल्याण विभाग और प्रांतीय रक्षक दल के माध्यम से आउटसोर्सिंग पर चार नियुक्तियां की गई। यहां तक तो सब ठीक था लेकिन जैसे ही सोशल मीडिया पर नियुक्ति पत्र वायरल हुआ पूरे प्रदेश में हड़कंप मच गया। जो कि लाजमी भी था क्योंकि लेखाकार के पद पर देहरादून के महापौर (मेयर) सुनील उनियाल गामा (Mayor gama) की पुत्री श्रेया उनियाल को भर्ती किया गया था। जिस पर लोग न केवल मेयर पर बेटी की सिफारिश करते हुए बैकडोर से उसकी नियुक्ति करने का आरोप लगा रहे हैं बल्कि सरकार के जीरो टॉलरेंस के दावे पर भी सवाल उठा रहे हैं।
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सरकार की जीरो टॉलरेंस के दावे पर भी उठे कई सवाल, मेयर पर बैकडोर से बेटी की नियुक्ति करवाने का लगाया आरोप:-
बता दें कि इन दिनों सोशल मीडिया में जिला प्रांतीय रक्षक दल और युवा कल्याण अधिकारी के हस्ताक्षर से जारी एक पत्र वायरल हो रहा है जिसमें भारतीय चिकित्सा परिषद में दो सुरक्षाकर्मी समेत एक लेखाकार और एक चतुर्थ श्रेणी पद पर नियुक्तियां दी गई हैं। इस पत्र में बताया गया है कि भारतीय चिकित्सा परिषद में लेखाकार पद पर श्रेया उनियाल, चतुर्थ श्रेणी में मनीष जगवाण, तथा सुरक्षाकर्मी में सुमित तोमर और अमरदीप सिंह की नियुक्त की जाती है। इस नियुक्ति के चर्चा में आने की सबसे बड़ी वजह यह है कि लेखाकार के पद पर चयनित श्रेया उनियाल, देहरादून के वर्तमान महापौर सुनील उनियाल गामा की बेटी है। सोशल मीडिया पर जहां लोग बैकडोर से श्रेया की नियुक्ति करने का आरोप लगा रहे हैं वहीं उनका यह भी कहना है कि यह नियुक्ति बिना किसी पूर्व विज्ञप्ति के की गई क्योंकि भारतीय चिकित्सा परिषद के रजिस्ट्रार की ओर से इन चार पदों पर नियुक्ति के लिए 17 जुलाई को ही डिमांड भेजी गई थी और उसी दिन नियुक्ति पत्र भी जारी कर दिए गए। जिसको देखते हुए यह प्रतीत भी होता है कि नियुक्ति प्रक्रिया में धांधली हुई है। बहरहाल सच क्या है ये तो किसी जांच से ही सामने आ पाएगा परंतु देहरादून के मेयर का कहना है कि मेरी ओर से बेटी की नियुक्ति के लिए कोई सिफारिश नहीं की गई न ही किसी पर दबाव डाला गया। विदित हो कि इससे पूर्व विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल के बेटे की नियुक्ति भी विवादों में आई थी।
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