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उत्तराखण्ड परिवहन निगम का परिचालक पकड़ा गया फर्जी टिकट बुक के साथ, भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस की उड़ी खिल्लिया



फर्जी टिकट के बारे में तो आप सबने सुना ही होगा परन्तु क्या होगा जब पूरी की पूरी टिकट बुक ही फर्जी निकले। भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस देने वाले मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत के राज्य में भ्रष्टाचार का एक ऐसा मामला सामने आया है जिसने पूरे परिवहन विभाग को हिला कर रख दिया है। यह मामला हल्द्वानी डिपो की बस का है, जिसके परिचालक ने पूरी की पूरी टिकट बुक ही फर्जी बना डाली। बता दें कि मुख्यमंत्री के भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस के आदेश के बाद परिवहन विभाग ने उत्तराखंड परिवहन निगम में भ्रष्टाचार पर रोक लगाने के लिए एक आदेश जारी किया था। जिसमें कहा गया था कि यात्रियों को फर्जी टिकट देकर या बेटिकट यात्रा कराने वालें परिचालकों पर सीधे एफआईआर करके कार्रवाई की जाएं। परंतु निगम से सौ कदम आगे चलने वाले इन परिचालकों ने इस नियम का भी तोड़ निकाल ही लिया। इसे परिवहन विभाग का दुर्भाग्य ही कहेंगे कि इतना सख्त नियम बनाने के बावजूद भी उस पर फर्जीवाड़े का तमगा लगा। परिवहन निगम के परिचालकों ने मार्ग में प्रवर्तन टीमों को धोखा देने के लिए फर्जी टिकट बुक बनवाकर इस नियम का तोड़ निकाला है। यह बात परिवहन निगम को हल्द्वानी डिपो की उस बस से पता चली है जो हाल ही में आनन्द विहार बस अड्डे पर पकड़ी गई है




जानकारी के अनुसार  इस बस के परिचालक ने टिकट मशीन के सही होने के बावजूद सात फर्जी टिकट बनाए थे। जांच करने पर पता चला कि सिर्फ टिकट ही फर्जी नहीं है, बल्कि पूरी की पूरी टिकट बुक ही फर्जी हैं। निगम प्रबंधन ने परिचालक को बर्खास्त करने के साथ-साथ प्रवर्तन टीमों को बस में टिकट बुक पर बन रहे सभी टिकटो की गंभीरता से जांच करने के निर्देश दिए हैं। निगम मुख्यालय से प्राप्त जानकारी के अनुसार हल्द्वानी डिपो की साधारण बस(1522) को आइएसबीटी देहरादून पर अधिक भीड़ होने के कारण दिनांक 2 फरवरी को देहरादून से दिल्ली भेजा गया था। उस दिन उस बस में विशेष श्रेणी का परिचालक पवन कुमार ड्यूटी पर था। जब बस दिल्ली के आनंद विहार बस अड्डे में पहुंची तो डीजीएम नेतराम ने टिकटों की जांच की। परिचालक ने सात टिकट, मशीन के बजाय, टिकट बुक से बनाए थे। डीजीएम के इस विषय में पूछने पर परिचालक ने मशीन खराब होने की बात कही। परंतु जब डीजीएम के द्वारा मशीन की जांच की गई तो मशीन में कोई भी गड़बड़ी सामने नहीं आई। मशीन एकदम सही थी। इस पर संदेह होने पर उन्होंने वे-बिल की जांच की। परंतु उसमें टिकट नंबर का मिलान न होने पर डीजीएम ने टिकट बुक तथा वे-बिल दोनों को जब्त कर लिया।




अगले दिन जब डीजीएम ने टिकट बुक तथा वे-बिल की निगम मुख्यालय देहरादून में जांच कराई तो जांच रिपोर्ट से निगम मुख्यालय में हड़कंप मच गया। जांच में टिकट बुक फर्जी निकलीं। इस जांच रिपोर्ट के आधार पर महाप्रबंधक (प्रशासन व कार्मिक) निधि यादव ने आरोपी परिचालक पवन कुमार को मंगलवार को बर्खास्त कर दिया। प्रबंधन यह भी आशंका जता रहा है कि दोषी परिचालक लम्बे समय से फर्जी टिकट काट रहा था। जिससे उसके द्वारा निगम को हजारों रूपयों की चपत लगाई गई होगी। इसके साथ ही महाप्रबंधक ने यह भी आदेश दिया है कि ऐसे परिचालकों की सूची बनाकर मुख्यालय भेजी जाए, जो टिकट मशीन का इस्तेमाल नहीं कर रहे हैं।



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