Kafal Fruit stories Hindi: काफल से जुड़ी कहानी है बड़ी भावुक: काफल पाको मी नी चाखो
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उत्तराखंड का सर्वाधिक स्वादिष्ट फल काफल तो आपने जरूर खाया होगा लेकिन शायद उससे जुड़ी भावुक करने वाली कहानी आपको पता नहीं होगी दरअसल यह कहानी एक मां बेटी से जुड़ी है जो अपनी बेटी पर काफल कम होने के संदेह से अपनी बेटी की मार -मारकर उसकी ह्त्या कर देती है ।बहुत समय पहले की बात है जब उत्तराखंड के एक गाँव मे एक महिला अपनी बेटी के साथ रहती थी और दोनों मां बेटी एक दूसरे का एकमात्र सहारा थी। आपको बता दे मां खेती कर किसी तरह घर का खर्च चलाती थी और इतना ही नही जब गर्मियों का मौसम आता था तो उत्तराखंड में मौजूद काफल के पेड़ का काफल से लभालभ भर जाते थे तो इन्हीं का फलों को तोड़कर महिला उन्हें बाजार मे बेचा करती थी। एक दिन जब मां जंगल से काफल तोड़कर घर लाई तो बेटी की इच्छा काफल खाने की करी किंतु माँ ने उन्हें बेचने की बात कहकर काफल को स्पर्श करने से बेटी को इंकार कर दिया और का फल की टोकरी बाहर आंगन के एक कोने में रखकर बेटी को काफलो की देखरेख की जिम्मेदारी सौंपकर खुद खेतों में काम करने चली गई।
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दिन का समय था धूप धीरे-धीरे तीव्र होने लगी और काफल सूखकर कम होने लगे क्योंकि काफल मे पानी की मात्रा ज्यादा होती है जिससे वह धूप मे सिकुड़ जाते है और ठण्ड मे फिर से फूल जाते है। मां जब खेत से काम कर कर लौटी तो उसकी बेटी सोई हुई थी। आपको बता दे जैसे ही माँ थकान मिटाने के लिए बैठी तो उसका ध्यान काफलो की तरफ गया उसने जैसे ही काफलों की टोकरी देखी तो उसे काफल बहुत कम लगे क्योंकि वह धूप से सिकुड़ चुके थे। गर्मी में खेत में काम कर और भूख लगने के कारणवश वह महिला पहले से चिड़चिड़ी हो रखी थी और इसके साथ ही उसे का फल कम मात्रा में दिखाई देने से काफी ज्यादा क्रोध उत्पन्न हो जाता है और वह माँ अपनी बेटी को उठाकर उस से पूछती है की काफल तूने खाये? बेटी इस बात से इंकार कर देती है की नही माँ मैंने तो यह चखे भी नही इस पर माँ कहती है कि तो फिर यह काफल काम कैसे हुए? माँ ने कहते कहते अपनी बेटी की पिटाई शुरू कर दी और बेटी की एक बात ना सुनी । इतना ही नहीं बेटी रोते-रोते हुए भी एक ही बात बार-बार कहती रहती है की मां मैंने नही चखे लेकिन मां तब भी उसे मारती रहती है और मार -मारकर उसकी बेटी अधूरी हो जाती है जिसके कुछ ही क्षणों पश्चात उसकी मृत्यु हो जाती है। इतना ही नहीं धीरे-धीरे जब माँ का क्रोध शांत होता है तो उसे अपनी गलती का आभास होने लगता है और वह अपनी बेटी को गोद में उठाकर माफी मांगती है और खूब सहलाती है, सीने से भी लगाती है लेकिन तब तक उसके प्राण जा चुके होते है। यह देखकर उसकी मां तिलमिला उठती है और अपने प्राण भी स्वयं त्याग देती है। ऐसा कहा जाता है की मरने के पश्चात वह दोनों मां बेटी पक्षी बन गई थी और इतना ही नहीं जब भी गर्मियों में काफल पकते हैं तो एक पक्षी बड़े ही करुण भाव से गाता है ( काफल पाको मीन नी चाखो) जिसका अर्थ होता है की काफल पके है लेकिन मैंने नहीं चखे है। तभी दूसरा पक्षी चित्कार करता है (पुर पुतई पूर पूर अर्थात पूरे है बेटी पूरे है ) । यही वजह है की यह कहानी लोगों को बहुत भावुक कर देती है ।
रचना भट्ट एक अनुभवी मिडिया पेशेवर और लेखिका हैं, जो पिछले कई वर्षों से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय हैं। उन्होंने पत्रकारिता में मास्टर डिग्री प्राप्त की है और समाज, संस्कृति समसामयिक मुद्दों पर अपने विश्लेषणात्मक लेखन के लिए जानी जाती हैं।
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