Uttarakhand: शहीद पिता के सपने को किया साकार कोटाबाग (Kotabagh) के रजत जोशी बने भारतीय सेना (Indian Army) में लेफ्टिनेंट..
उत्तराखंड (Uttarakhand) के युवाओं में सेना में भर्ती होने का जुनून तो हमेशा से ही उनके रगो में दौड़ता आया है। माँ भारती की रक्षा के लिए एक सिपाही से लेकर लेफ्टिनेंट तक उत्तराखंड के वीर सपूत देश के कोने-कोने में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। इसी कड़ी को बरकरार रखते हुए नैनीताल जिले के कोटाबाग (Kotabagh) निवासी रजत मोहन जोशी भी भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट बन गए है। रजत की यह कामयाबी इसलिए भी अहम है कि जिंदगी में कई उतार-चढ़ाव देखने के बाद उन्होंने यह मुकाम पाया है जिससे उन्होंने एक और तो अपने शहीद पिता की ख्वाहिश के साथ ही अपने बचपन के सपने को पूरा किया है वहीं दूसरी ओर माता-पिता के एक संरक्षक की भूमिका निभा रहे अपने दादा-दादी और चाचा-चाची का नाम भी रोशन किया है। भारतीय सेना (Indian Army) के टेक्निकल कोर में शिकंदराबाद से कमीशन हासिल कर लेफ्टिनेंट बनने वाली रजत की इस अभूतपूर्व उपलब्धि से जहां उनका परिवार काफी खुश हैं वहीं पूरे क्षेत्र में भी हर्षोल्लास का माहौल है।
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महज नौ वर्ष की आयु में सीआरपीएफ में तैनात पिता हो गए थे शहीद, पिता की शहादत के एक वर्ष बाद रजत के सर से उठ गया मां का भी साया:-
प्राप्त जानकारी के अनुसार नैनीताल जिले के कोटाबाग के चांदपुर निवासी रजत मोहन जोशी सेना में लेफ्टिनेंट बन गए हैं। आज भले ही वह इस सम्मानजनक पद पर पहुंच चुके हों परन्तु यहां तक पहुंचने के लिए उन्हें कई उतार-चढ़ाव देखने पड़े। बात उस समय की है जब रजत केवल नौ वर्ष के थे। उसी दौरान वर्ष 2002 में जम्मू-कश्मीर से आई एक मनहूस खबर ने उनके पूरे परिवार पर दुखों का पहाड़ तोड दिया। दरअसल यह खबर रजत के पिता शहीद मोहन जोशी की शहादत की थी, जो सीआरपीएफ में तैनात थे। इससे पहले कि रजत और उसका परिवार पिता की शहादत के ग़म से उभर पाता, महज एक वर्ष बाद ही उनकी माता गीता जोशी का निधन हो गया था। गीता पति की शहादत के बाद अवसाद में आ गई थी। रजत के सर से माता-पिता का साया उठ जाने के बाद उनकी परवरिश की जिम्मेदारी दादा केशव दत्त जोशी, दादी जीवंती जोशी, चाचा महेश जोशी, चाचा लक्ष्मण जोशी और चाची सरोज जोशी पर आ गई।
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