2013 केदारनाथ आपदा के बाद से वर्ष 2015 से 2017 तक केदारनाथ यात्रा में पैदल मार्ग पर तीन दुर्घटनाएं हुई। जिसमें पहाड़ी से गिरे बोल्डर की चपेट में आने से तीन यात्रियों की मौत हो गई थी, लेकिन पीड़ित परिवारों को मुआवजा नहीं मिल पाया, क्योंकि शासन स्तर पर इस तरह की कोई व्यवस्था भी नहीं थी। इस वर्ष अभी तक गौरीकुंड-केदारनाथ पैदल मार्ग पर पत्थर की चपेट में आने से दो महिला यात्रियों की मौत हो चुकी है। बता दे की अब केदारनाथ यात्रा मार्ग पर दुर्घटना में हुई मौत पर परिजनों को दैवीय आपदा के तहत अब मुआवजा मिलेगा। जिला प्रशासन इस संबंध में योजना बनाने में जुटा हुआ है, जिसे जल्द तैयार कर शासन को भेजा जाएगा। इसके साथ ही वर्तमान यात्रा सीजन में मई माह में जिन दो महिला यात्रियों की पत्थर लगने से मौत हुई थी, उन्हें भी इस दायरे में शामिल किया गया है।
जिलाधिकारी मंगेश घिल्डियाल ने कार्ययोजना बनानी शुरू कर दी: जहाँ मई माह में आयुक्त गढ़वाल डाॅ0 बीवी आरसी पुरूषोत्तम ने गौरीकुण्ड से केदारनाथ धाम तक पैदल मार्ग के पडा़वों पर श्रद्वालुओं को दी जाने वाली सुविधाओं का स्थलीय निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान जिलाधिकारी मंगेश घिल्डियाल ने पैदल मार्ग के पड़ावों पर श्रद्वालुओं को दी जाने वाली सुविधा पानी, बिजली, शौचालय, ठहरने एवं स्वास्थ्य सुविधाओं के बारे में जानकारी दी। इतना ही नहीं बीते मंगलवार को भेष बदलकर डीएम मंगेश घिल्डियाल केदारनाथ मार्ग का जायजा लेने पहुंचे ,इस दौरान गौरीकुंड में पुलिस व्यवस्था में भारी खामियां पाई गई। डीएम ने पुलिस अधीक्षक को तत्काल प्रभाव से गौरीकुंड चौकी प्रभारी को हटाते हुए उसके विरुद्ध कार्रवाई के निर्देश दिए। अब केदारनाथ पैदल मार्ग पर एक्सीडेंटल मौत होने पर मृतक के परिजनों को मुआवजा मिल सकेगा। जिलाधिकारी मंगेश घिल्डियाल ने इस संबंध में कार्ययोजना बनानी शुरू कर दी है।