uttarakhand: प्रशासन के दावे हवाई, अधिक दाम वसूल रहे दुकानदार, बेबश हुई जनता..
देवभूमि उत्तराखंड में लाॅकडाउन का आज चौथा दिन है। बीते तीन दिनों में राज्य के सभी जिलों से लाॅकडाउन की भिन्न-भिन्न तस्वीरें हमारे सामने आई है, विभिन्न समाचार मिले हैं। जिसमें लोग लाॅकडाउन के नियमों का उल्लघंन करते हुए पाए गए जिसके लिए पुलिस टीम को काफी मशक्कत भी करनी पड़ी। लेकिन बीते तीन दिनों से मिल रही ओवररेटिंग की शिकायत अभी भी जारी है। उल्टा अब तो इसमें बेतहाशा वृद्धि हो रही है। विदित हो कि सोशल मीडिया पर लगातार लोगों द्वारा ओवररेटिंग की शिकायत की जा रही है, उनका कहना है कि कुछ दुकानदारों द्वारा एमआरपी रेट से अधिक मूल्य पर सामान की बिक्री की जा रही है, इन तीन दिनों में ही सामानों के मूल्य बढ़ा दिए गए हैं। सब्जियों के दाम भी अब उछाल मारने लगे हैं। विभिन्न जिलों में लोगों द्वारा अपने-2 जिले के प्रशासन से दुकानदारों द्वारा ओवररेटिंग करने की शिकायत की गई है, लेकिन अभी तक किसी भी दुकानदार पर लगभग किसी भी जिले के प्रशासन द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की गई है। जहां इन सब के बारे में जिलों के प्रशासन मूकदर्शक बने हुए हैं वहीं राज्य सरकार द्वारा भी अभी तक कोई निर्देश जारी नहीं हुए हैं। इन सब बातों को देखते हुए कालाबाजारी की संभावना से बिल्कुल भी इंकार नहीं किया जा सकता। इन सब खबरों ने शासन-प्रशासन के जमाखोरी, मुनाफाखोरी एवं कालाबाजारी के सभी दावों की भी पोल खोल कर रख दी है। ऐसा ही चलता रहा तो आने वाले दिनों में स्थिति और अधिक विकराल होने वाली है जब राज्य के गरीब लोगों की मौत कोरोना से नहीं अपितु भूखमरी से होने लगेगी क्योंकि इन विषम परिस्थितियों में भी दुकानदारों द्वारा बेवजह वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि करना केवल और केवल इसी बात का संदेश देता है कि उनमें बिल्कुल भी इंसानियत या मानवता नहीं बची है।
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देश-प्रदेश पर मुसीबत आई, दुकानदार कर रहे तगड़ी कमाई:- एक और जहां आज पूरा देश इन दिनों मुश्किल हालातों से गुजर रहा है, और हम सब कोरोना से जंग लड़ रहें हैं। वहीं दूसरी ओर इस कठिन समय में भी हमारे समाज के कुछ दुकानदार ऐसे हैं जिन्हें अभी भी अपना मुनाफा ही दिखाई दे रहा है। वे अभी भी यही सोच रहे हैं कि कैसे लाॅकडाउन का फायदा उठाकर ज्यादा से ज्यादा पैसा कमाया जाएं। राज्य में भी ऐसे दुकानदारों की कोई कमी नहीं है। इन दुकानदारों द्वारा लाॅकडाउन का फायदा उठाकर देश-प्रदेश की मजबूर आम जनता को लूटा जा रहा है। जहां राज्य की मजबूर जनता ऐसे दुकानदारों को उनका पसंदीदा दाम देने को मजबूर हैं वहीं शासन-प्रशासन लोगों की विवशता पर भी आंखें मूंदकर खड़ा हैं। राज्य के मुख्यमंत्री जहां बार-बार यह कहते नहीं थक रहे हैं कि राज्य में आवश्यक वस्तुओं की कोई कमी नहीं है वहीं जनता की यह विवशता उन्हें भी मुंह चिढ़ाते हुए नजर आ रही है। इन सबको देखकर यह कहना बिल्कुल भी ग़लत नहीं होगा कि राज्य सरकार ने लाॅकडाउन में तीन घंटे की छूट इन मुनाफाखोर दुकानदारों की चांदी-चांदी करने के लिए दी है अन्यथा सरकार आवश्यक वस्तुओं की होम डिलीवरी भी कर सकती थी, सामानों की कीमत तय कर एक रेट लिस्ट बना सकती थी जिससे वह सभी दुकानदारों पर नजर भी रख सकती थी। इस मुश्किल हालात में शायद ही ऐसा राज्य का कोई जिला हो जहां से ओवररेटिंग की शिकायत नहीं मिल रही हों। कहीं कहीं तो दुकानदारों द्वारा वस्तुओं के दाम बढ़ाकर सीधे दोगुने कर दिया है, यही हाल सब्जियों का भी है। गरीब मजदूरों को राहत देने के लिए भले ही राज्य सरकार ने प्रत्येक को हजार रुपए देने की बात कही हौ परंतु अगर वस्तुओं के दाम ऐसे ही बढ़ते रहे तो हजार रुपए में उनका आटा-चावल भी नहीं आ पाएगा।
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