देहरादून: आखिर कब तक उत्तराखण्ड के वीर सपूत अपनी शहादत देते रहेंगे पिछले महीने ही तीन शहीद हुए थे और अब जम्मू-कश्मीर के गुरेज सेक्टर में घुसपैठ की कोशिश कर रहे आतंकियों से मुकाबला करते उत्तराखंड के दो वीर शहीद हो गए। इनमें से हमीर पोखरियाल ऋषिकेश से जबकि दूसरे मन्दीप सिंह रावत पौड़ी गढ़वाल के कोटद्वार से हैं। जम्मू कश्मीर बांदीपुरा के गुरेज सेक्टर में पाक की ओर से सीज फायर का उल्लंघन किया जा रहा था। इस दौरान आतंकियों ने भारतीय सीमा में घुसने का प्रयास किया। इसी दौरान सेना और आतंकियों के बीच मुठभेड़ हुई। बता दें कि 15 अगस्त को देखते हुए आतंकी भारत में गड़बड़ी फैलाना चाहते हैं। सेना के सूत्रों की माने तो पाकिस्तान गोलीबारी की आड़ में आतंकियों को भारत में दाखिल करवाना चाहता है। पाकिस्तानी रेंजर्स चाहते हैं कि गोलीबारी कर भारतीय सेना का ध्यान भटकाया जाए जिससे कि आतंकी आसानी से वहां पहुंच जाएं।
2012 में भर्ती हुए हमीर पोखरियाल – वह वर्ष 2012 हमीर सिंह पोखरियाल 2012 में लैंसडाउन सैन्य छावनी से गढ़वाल राइफल में भर्ती हुए थे। वर्तमान में 36 राष्ट्रीय राइफल में तैनात थे। शहीद के चाचा शैलेंद्र पोखरियाल और आलेंद्र पोखरियाल भी सेना में हैं। उनका परिवार मूल रूप से पोखरियाल गांव उत्तरकाशी के लम्बगांव का रहने वाला है शहीद के पिता जयेंद्र सिंह पोखरियाल एसएसबी में सब इंस्पेक्टर हैं और अमरनाथ यात्रा के चलते जम्मू-कश्मीर में तैनात हैं। हमीर की शहादत की खबर मिलते ही घर में कोहराम मच गया। घर में हमीर की पत्नी, एक ढाई वर्ष की बेटी, मां और एक छोटा भाई हैं।
कोटद्वार के मन्दीप सिंह रावत भी हुए शहीद– 2012 में 15 गढ़वाल राइफल्स में भर्ती हुए थे और छह माह पूर्व ही उनकी तैनाती 36 राष्ट्रीय राइफल में हुई थी। उनके पिता बुथी सिंह भी फौज से रिटायर हैं। मन्दीप की शहादत की सूचना के बाद से ही उनके घर मातम छाया हुआ है। आस पड़ोस और रिस्तेदार लोग उनके घर पहुंचकर माता-पिता को ढांढस बंधा रहे हैं। मनदीप के छोटे भाई हाल ही में सेना में भर्ती हुए हैं और जम्मू-कश्मीर में ही तैनात हैं। 15 गढ़वाल राइफल्स में तैनात कोटद्वार के मन्दीप सिंह रावत इन दिनों जम्मू कश्मीर के बांदीपुरा सैक्टर में 33 राष्ट्रीय राइफल्स में तैनात थे। सेना के उच्च अधिकारियो ने उनके परिजनों को बताया की मन्दीप ने अपने साथियों के साथ मिलकर चार आतंकवदियों को ढेर कर दिया था।