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Naveen bajetha self-employment Almora
फोटो सोशल मीडिया

UTTARAKHAND SELF EMPLOYMENT

अल्मोड़ा

अल्मोड़ा के नवीन ने प्राइवेट नौकरी छोड़ अपनाई स्वरोजगार की राह, सेब के बागों ने बदली जिंदगी

Naveen bajetha self-employment Almora: निजी नौकरी छोड़कर युवक ने कृषि में आजमाया हाथ, सेब का उत्पादन कर अन्य लोगों को भी दिया रोजगार, कर रहे लाखों की कमाई…

Naveen bajetha self-employment Almora: गौरतलब हो कि उत्तराखंड मे पलायन एक गंभीर समस्या बन चुका है जिसका मुख्य कारण कहीं ना कहीं रोजगारों मे अवसरों की कमी और घटती कृषि में रुचि है। जिसके चलते प्रदेश के तमाम युवा बेहतर जीवन की तलाश में बड़े शहरों या दूसरे राज्यों में पलायन कर रहे हैं। दरअसल ग्रामीण इलाकों में उद्योग और कंपनियों की कमी है जिसके कारण रोजगार के अवसर बहुत सीमित है इसके अलावा उच्च शिक्षा और तकनीकी प्रशिक्षण के लिए सुविधाओं का अभाव भी युवाओं को बाहर जाने के लिए मजबूर करता है जिसकी बदौलत लगातार गांव खाली हो रहे हैं। वहीं उत्तराखंड में कुछ ऐसे युवा भी हैं जो अपने गांव में रहकर स्वरोजगार की राह को अपना रहे है और अन्य युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत बने है। ऐसी ही कुछ प्रेरणादायक कहानी है अल्मोड़ा जिले के मसान खाल गांव के रहने वाले नवीन बजेठा की जिन्होंने स्वरोजगार की राह को अपनाकर अन्य लोगों को भी रोजगार दिया है।
(Naveen bajetha lamgara almora)
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uttarakhand Apple self employment scheme बता दें अल्मोड़ा जिले के लामगड़ा विकासखंड के शहर फाटक क्षेत्र के मसान खाल गांव के रहने वाले नवीन बजेठा ने करीब 14 साल तक देहरादून में प्राइवेट नौकरी की जिसके पश्चात वो कुछ नया करने की चाह और बेरोजगारी के चलते हो रहे पलायन को देखकर वापिस अपने गांव लौटे और उन्होंने यहां बागवानी शुरू कर दी जिसमें उन्होंने सेब का उत्पादन करने में अपना हाथ आजमाया। दरअसल उन्होंने अपनी 20 नाली बंजर भूमि को आबाद कर एप्पल मिशन योजना के तहत इसमें सेब के पौधों का रोपण किया जो उनके लिए रोजगार का जरिया बना है। इतना ही नहीं हर वर्ष उनके बागान में करीब 20 टन सेब का उत्पादन हो रहा है जिससे वह लाखों की कमाई कर रहे हैं इसके साथ ही उन्होंने अन्य 10 ग्रामीणों को भी रोजगार दिया है जो हर माह 6 से 7 हज़ार रुपए अर्जित कर रहे हैं। नवीन ने रेड डिलीशियस और गाला प्रजाति के सेब का उत्पादन किया है जिसकी बाजार में कीमत करीब 150 से ₹200 किलो है। जो स्थानीय लोगों से लेकर हल्द्वानी तक अच्छा खासा बिक जाता है।

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