Martyr Narayan Singh
Bisht: गांव के पैतृक घाट पर सैन्य सम्मान के साथ किया गया अंतिम संस्कार, नारायण सिंह अमर रहे, भारत माता की जय जैसे गगनचुंबी नारों से गूंजायमान हो उठा पूरा इलाका….
Martyr Narayan Singh Bisht: मां भारती की रक्षा करते हुए, हिमाचल प्रदेश के रोहतांग दर्रे में वायुसेना के एएन-12 विमान दुर्घटनाग्रस्त होने से शहीद हुए उत्तराखण्ड के लाल नारायण सिंह बिष्ट, 56 वर्ष बाद गुरुवार 3 अक्टूबर को पंचतत्व में विलीन हो गए। राज्य के चमोली जिले के थराली क्षेत्र के कोलपुड़ी गांव के पैतृक घाट पर उनका अंतिम संस्कार पूरे सैन्य सम्मान के साथ किया गया। इस दौरान उमड़े विशाल जनसैलाब ने मां भारती के इस वीर सपूत को अपनी भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की। इस दौरान पूरा इलाका नारायण सिंह अमर रहे, भारत माता की जय जैसे गगनचुंबी नारों से गूंजायमान हो उठा। इससे पूर्व बीती शाम गाैचक हेलीपैड पर छह गनेडियर रुद्रप्रयाग की बटालियन ने पार्थिव शरीर को अंतिम सलामी दी। जिसके बाद गौचर से शहीद के पार्थिव शरीर को रुद्रप्रयाग ले जाया गया, जहां से गुरुवार सुबह शहीद का पार्थिव शरीर उनके पैतृक गांव पहुंचा। यह भी पढ़ें- चमोली: 56 वर्ष बाद सैनिक नारायण सिंह का पार्थिव शरीर पहुंचेगा गांव…
army missing soldier Narayan Singh chamoli गौरतलब हो कि मूल रूप से राज्य के चमोली जिले के थराली तहसील के गांव कोलपुड़ी निवासी नारायण सिंह बिष्ट वर्ष 1968 में हिमाचल प्रदेश के रोहतांग दर्रे में वायुसेना के एएन-12 विमान दुर्घटनाग्रस्त होने के बाद से लापता थे। बीते सोमवार को सेना के अधिकारियों को दुर्घटनाग्रस्त इलाके से चार सैनिकों के अवशेष बरामद हुए। जिनमें कोलपुड़ी गांव के नारायण सिंह का पार्थिव शरीर भी शामिल था। बताया गया है कि सेना के अधिकारियों ने उनकी पहचान जेब में मिले उनके पर्स में मौजूद एक कागज के आधार पर की, जिस पर नारायण सिंह ग्राम कोलपुड़ी और बसंती देवी का नाम दर्ज था। इसके अतिरिक्त उनकी सैन्य वर्दी के नेम प्लेट पर भी उनका नाम लिखा था। जिसके बाद उनका डीएनए सैंपल भी लिया गया। सैन्य अभिलेखों के मुताबिक शहीद नारायण सिंह सेना के मेडिकल कोर में तैनात थे। उनके साथ कार्यरत रिटायर्ड सेना के जवानों के अनुसार 1965 के भारत-पाक युद्ध में नारायण सिंह ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।