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UTTARAKHAND SELF EMPLOYMENT

उत्तराखण्ड

उत्तराखण्ड: स्वरोजगार के प्रेरणास्रोत बने भाष्कर, नौकरी छूटने के बाद शुरू किया जूस का कारोबार

UTTARAKHAND self-employment Bageshwar: कोरोना के कारण छूट गई थी इंजीनियर भाष्कर की नौकरी, अब पहाड़ में ही कर रहे हैं स्वरोजगार, हाथों-हाथ बिक रहे इनके बनाएं उत्पाद…

पहाड़ों से पलायन का प्रमुख कारण ण बेरोजगारी रहा है।उत्तराखंड में बेरोजगारी के कारण कई युवा आय के साधन ढूंढने के लिए पलायन करने को मजबूर हैं। वही उत्तराखंड के कई युवा ऐसे भी हैं जो स्वरोजगार की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। वे न केवल प्राकृतिक संसाधनों से सेहतमंद उत्पाद तैयार कर हैं बल्कि अपने साथ-साथ अन्य लोगों को भी रोजगार के अवसर को भी अवसर प्रदान कर रहे हैं । ऐसे ही युवा से हम आपको रूबरू कराने जा रहे हैं जिसने प्राकृतिक संसाधन से न केवल स्वरोजगार को बढ़ावा दिया है बल्कि और लोगों को भी स्वरोजगार के क्षेत्र में कार्य करने के लिए प्रेरित किया है। जी हां… हम बात कर रहे हैं राज्य के बागेश्वर जिले के जौलकांडे निवासी भास्कर लोहुमी की, जिन्होंने गांव में पहाड़ी फूलों तथा फलों का जूस निकालने का कार्य शुरू किया है।
(UTTARAKHAND self-employment Bageshwar)
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प्राप्त जानकारी के अनुसार राज्य के बागेश्वर जिले के जौलकांडे निवासी भास्कर लोहुमी ने गांव में ही स्वरोजगार को बढ़ावा दिया है। बता दें कि भास्कर एक इंजीनियर है, जो पहले देहरादून की एक कंपनी मे इंजीनियर का कार्य करते थे। लेकिन कोरोना के कारण लगे पहले लॉकडाउन के बाद उनकी नौकरी चली गई तो वे अपने पैतृक गांव लौट आए। सबसे खास बात तो यह है कि इसके बावजूद भी भास्कर ने हार नहीं मानी बल्कि गांव आकर उन्होंने गाय पालने के साथ ही फ्रूट प्रोसेसिंग का कार्य शुरू किया। सबसे पहले उन्होंने संतरे और माल्टे का जूस निकाला जिसे उनके गांव वालों तथा परिचित लोगों द्वारा खरीदा गया। जिससे भास्कर प्रोत्साहित हो गए और उन्होंने इस कार्य को बड़े स्तर पर करने का सोच। इसी के तहत भास्कर वर्तमान में बुरांस का जूस भी बना रहे हैं।
(UTTARAKHAND self-employment Bageshwar)
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इतना ही नहीं जूस के साथ-साथ भास्कर नींबू, हरी मिर्च ,अदरक तथा आंवला का अचार बनाने का कार्य भी करते हैं। भास्कर का कहना है कि उन्होंने लाइसेंस ले लिया है तथा उनका प्रयास है कि वे एक कंपनी खोलें जिससे अन्य लोगों को भी रोजगार का अवसर मिले। बताते चलें कि अभी तक जूस निकालने के लिए किसी भी प्रकार की मशीन का उपयोग नहीं किया गया है बल्कि प्राकृतिक तरीके से जूस निकाला गया है। इसके साथ ही भास्कर का कहना है कि यदि फूड प्रोसेसिंग के कार्य में सरकार द्वारा उन को प्रोत्साहन दिया जाए तो पुरुषों के साथ साथ महिलाओं को भी रोजगार का अवसर प्रदान किया जा सकता है।
(UTTARAKHAND self-employment Bageshwar)

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Sunil

सुनील चंद्र खर्कवाल पिछले 8 वर्षों से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय हैं। वे राजनीति और खेल जगत से जुड़ी रिपोर्टिंग के साथ-साथ उत्तराखंड की लोक संस्कृति व परंपराओं पर लेखन करते हैं। उनकी लेखनी में क्षेत्रीय सरोकारों की गूंज और समसामयिक मुद्दों की गहराई देखने को मिलती है, जो पाठकों को विषय से जोड़ती है।

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