Devidhura Bagwal Mela Champawat: देवीधुरा स्थित मां बाराही के दरबार में प्रतिवर्ष खेली जाती है बग्वाल, रक्षाबंधन के अवसर पर होता है पत्थर युद्ध का आयोजन…
Devidhura Bagwal Mela Champawat: उत्तराखंड अपनी धार्मिक और अनूठी संस्कृति के लिए पूरे विश्व भर में प्रसिद्ध है जो देश विदेश के अधिकांश लोगों को अपनी ओर आकर्षित करता है। अगर बात करें उत्तराखंड के त्योहारों की तो हर त्यौहार का अपना एक बेहद ही ऐतिहासिक और पौराणिक इतिहास रहा है। ऐसी ही कुछ अनोखी संस्कृति है उत्तराखंड राज्य के चंपावत जनपद मे स्थित देवीधुरा की जहां पर प्रत्येक वर्ष रक्षाबंधन के अवसर पर बग्वाल मेला लगाया जाता है और इस दौरान यहाँ पर पत्थरों की बारिश की जाती है। बता दें चंपावत के देवीधूरा के प्रसिद्ध मां वाराही मंदिर में हर वर्ष रक्षाबंधन पर बग्वाल खेलने की परंपरा रही है पुराने जमाने मे यहां पर नरबलि देने की प्रथा थी जो समय के साथ पत्थर युद्ध में तब्दील हो गई।
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Patthar Mar Mela Bagwal: पौराणिक मान्यताओं के अनुसार चार खामों के लोगों की ओर से अपनी आराध्य माँ वाराही देवी को प्रसन्न करने के लिए नरबलि देने की प्रथा थी। दरअसल ऐसा कहा जाता है कि एक वर्ष चमियाल खाम की एक वृद्धा परिवार की नरबलि की बारी थी लेकिन उस परिवार में वृद्ध और उसके पौत्र ही जीवित थे जिसके चलते उस महिला ने अपने पौत्र की रक्षा के लिए मां वाराही की स्तुति की तब ही मां वाराही ने वृद्धा को दर्शन दिए और चारखामो के बीच बग्वाल खेलने को कहा तभी से बग्वाल की प्रथा शुरू हुई थी। माना जाता है कि एक इंसान के शरीर में मौजूद खून के बराबर रक्त बहने तक खामो के बीच पत्थरों से युद्ध यानी बग्वाल खेली जाती है पुजारी के बग्वाल को रोकने के आदेश तक यह युद्ध जारी रहता है और ऐसा कहा जाता है कि इस युद्ध में कोई भी गंभीर रूप से घायल नहीं होता है।
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