Dehradun miyanwala Ramjiwala Rename : देहरादून के मियांवाला का नाम बदलकर रामजीनगर करने पर लोगों ने जताया विरोध, नहीं बदला जाएगा मियांवाला का नाम, राजपूतों से जुड़ा है मियांवाला का नाम.…. Dehradun miyanwala Ramjiwala Rename : उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बीते सोमवार को राजधानी देहरादून समेत अन्य कई सारे जिलों के भीतर स्थित शहरों के नामों में बदलाव करते हुए उन्हें नया नाम दिया था जिसमे एक शहर का नाम मियांवाला भी था जिसे बदलकर रामजी नगर किया गया। हालांकि धामी सरकार के इस बदलाव के बाद से क्षेत्रवासियों मे भारी आक्रोश देखने को मिला वहीं उन्होंने मियांवाला का नाम बदलने की बात कही जिस पर क्षेत्र वासियों का कहना है कि मियांवाला किसी और का नहीं बल्कि गुलेर राजपूतों से जुड़ा हुआ है जिसका अपना एक महत्वपूर्ण इतिहास रहा है । धामी सरकार ने स्थानीय लोगों की जन भावनाओं को ध्यान में रखते हुए मियांवाला का नाम न बदलने का आश्वासन दिया है।
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बता दें बीते सोमवार को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने गढ़वाल मंडल से लेकर कुमाऊं मंडल तक के विभिन्न शहरों के नाम को बदलने की घोषणा की थी। जिसके तहत शहरों को नए नाम दिए गए थे जिन्हें लोगों की जन भावनाओं और भारतीय संस्कृति के आधार पर बदला गया लेकिन शहरों के नामों के बदलाव की चपेट मे राजपूतों का राजधानी देहरादून का मियांवाला क्षेत्र भी आ गया जिसका नाम रामजी नगर करने का निर्णय लिया गया था हालांकि समाचार पत्रों और मीडिया में इस बात का खुलासा होने पर कहा गया कि मियां की उपाधि गुलेर रियासत के व्यक्तियों को टिहरी के शासको ने दी थी और गुलेर हिमाचल प्रदेश का हिस्सा है लेकिन टिहरी गढ़वाल के शासको ने तब उन्हें मियांवाला में भूमि दी थी और आज भी मियांवाला राजपूतों की पहचान के लिए जाना जाता है। इसी पक्ष को लेकर बीते शनिवार को भाजपा के नेता कुलदीप बुटोला ने क्षेत्र वासियों के साथ मिलकर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से मिले इस नाम को बदलने की मांग की जिस पर मुख्यमंत्री और अधिकारियों को नाम न बदलने के निर्देश दिए गए वही मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी इस पर महत्वपूर्ण निर्णय लेने की बात कही है। बताते चले हिमाचल के गुलेर रियासत के लोगों को मियां की सम्मानजनक पदवी दी गई थी और गुलेर रियासत में ही टिहरी के 51वे राजा प्रदीप शाह (1709 -1772) का ससुराल था जिनके साथ शादी में डोली के साथ आए लोग टिहरी रियासत में ही बस गए थे और टिहरी के राजा ने इन लोगों को जागरी भेंट मे दी जिसे मियांवाला के नाम से जाना गया।