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Dhari Devi boat drive boating
Image : social media ( Dhari Devi boat drive)

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Uttarakhand News: मां धारी देवी पर मंडरा रहा खतरा? पुजारियों ने बोट संचालन पर जताई नाराजगी..

Dhari Devi boat drive : सिद्धपीठ मां धारी देवी की आस्था गरिमा पर मंडरा रहा खतरा, मंदिर के आसपास हो रहा बोट का संचालन, पुजारियों ने जताई नाराजगी….                              Dhari Devi boat drive: उत्तराखंड को धार्मिक और पर्यटन की दृष्टि से अत्यधिक महत्वपूर्ण राज्य माना जाता है क्योंकि यहां पर वर्षभर पर्यटकों समेत श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है। दरअसल प्रदेश सरकार राज्य में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए लगातार कार्य कर रही है लेकिन वहीं दूसरी ओर धार्मिक स्थलो की भावनाओं के साथ कहीं ना कहीं खिलवाड़ हो रहा है जो कदापि उचित नहीं है। ऐसी ही कुछ खबर पौड़ी जिले से सामने आ रही है जहां पर विश्व प्रसिद्ध सिद्धपीठ मां धारी देवी मंदिर में बोटिंग चल रही है जिस पर श्रद्धालुओं और पुजारी ने नाराजगी जताते हुए यहां पर बोट का संचालन बंद करने की बात कही है। बताते चलें धारी देवी एक धार्मिक स्थल है जहां पर अलकनंदा नदी मे बोट का संचालन होना मंदिर की धार्मिक अखंडता पर खतरा बनकर मंडराने लगा है जिस पर जल्दी रोक लगनी चाहिए। अन्यथा वो दिन दूर नहीं है जब सिर्फ यहाँ पर लोग बोटिंग करने के लिए आएंगे और ये क्षेत्र कहीं ना कहीं धार्मिक स्थल की जगह पर्यटन का रूप ले लेगा।

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बता दें पौड़ी जिले के श्रीनगर गढ़वाल में स्थित चार धामो की रक्षक मां धारी देवी मन्दिर की धार्मिक आस्था और गरिमा पर संकट गहराने लगा है क्योंकि अब कहीं ना कहीं इस पवित्र धार्मिक स्थल को लोगों ने पर्यटन का केंद्र बनाना शुरू कर दिया है जिसके तहत मंदिर क्षेत्र में बीते एक साल से मोटर बोटिंग चल रही है। जिससे श्रद्धालुओं और पुजारियों की भावनाओं को ठेस पहुंच रही है । इतना ही नहीं बल्कि धारी देवी के पुजारी न्यास के प्रमुख विवेक पांडे ने इस संबंध में प्रशासन को लिखित ज्ञापन भेजते हुए मंदिर परिसर से 500 मीटर के दायरे में बोटिंग करने पर रोक लगाने की बात कही है । उनका कहना है कि धारी देवी केवल एक पर्यटन स्थल नहीं है बल्कि यहां पर देश विदेशों से श्रद्धालु पहुंचते हैं जो माँ धारी के प्रति सच्ची आस्था रखते हैं लेकिन नदी मे बोटिंग की वजह से कहीं ना कहीं उनकी भावनाएं भी आहत हो रही है। बताते चले धारी देवी मंदिर में स्नान घाट की कोई व्यवस्था नहीं है ऐसे में सभी श्रद्धालु जो नदी में पूजा अर्चना करना चाहते हैं या फिर वहां से गंगाजल ले जाना चाहते हैं उन्हें इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है क्योंकि बोट के चलने से ये पानी दूषित हो रहा है। मंदिर के पुजारी का कहना है कि यदि बोटिंग करानी ही है तो गगम दामक क्षेत्र से शुरू कराकर श्रीनगर की ओर ले जाया जाए जिससे मंदिर की धार्मिक आस्था और पर्यटन दोनों को किसी तरह का नुकसान नहीं पहुंचेगा।

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