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Uttarakhand forest department chaukidar kishan dhapola nominee nainital highcourt latest case news live today
Image : सांकेतिक फोटो ( forest chaukidar Nainital highcourt)

UTTARAKHAND NEWS

Nainital news: नैनीताल में वनकर्मी ने सास को बनाया नॉमिनी, हक मांगने पत्नी पहुंची हाईकोर्ट

forest chaukidar Nainital highcourt: पति ने सर्विस रिकॉर्ड में पत्नी की जगह डाला सास का नाम, सास बनी नॉमिनी पत्नी को लगा झटका , हाई कोर्ट पहुंचा मामला…

Uttarakhand forest department chaukidar kishan dhapola nominee nainital highcourt latest case news live today: उत्तराखंड के नैनीताल जिले से एक अनोखा मामला उच्च न्यायालय के समक्ष आया है, जहां पर पत्नी से तनावपूर्ण संबंध होने के चलते पति ने सेवा रिकॉर्ड में अपनी पत्नी की बजाय अपनी सास को नॉमिनी बनाया है। इतना ही नहीं बल्कि पति की मृत्यु के बाद इस आधार पर वन विभाग ने पत्नी की अनुकंपा की नियुक्ति से इंकार कर दिया जिसके कारण पत्नी ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।

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Forest chaukidar Kishan dhapola wife case nainital highcourt: अभी तक मिली जानकारी के अनुसार नैनीताल जिले के निवासी किशन सिंह धपोला वन विभाग मे चौकीदार के पद पर कार्यरत थे। दरअसल वर्ष 2020 मे सेवाकाल के दौरान किशन सिंह की मौत हो गई थी। इस दौरान उनकी विधवा पत्नी ने अनुकंपा नियुक्ति पारिवारिक पेंशन और अन्य सेवा लाभो की माँग की जिस पर वन विभाग की ओर से कहा गया की याचिकाकर्ता और उनके पति के बीच संबंध तनावपूर्ण थे। इतना ही नहीं बल्कि याचिकाकर्ता ने पूर्व में भी भरण पोषण के लिए मामला दायर किया था। इस दौरान विभाग ने अनुकंपा नियुक्ति पर विचार ना करते हुए कारण बताया कि मृतक किशन सिंह ने अपने सेवा रिकॉर्ड में पत्नी की जगह सास का नाम दर्ज करवाया था।

जीपीएफ राशि का एक हिस्सा याचिकाकर्ता के पक्ष में, कोर्ट ने वन विभाग को दिए उचित फैसला लेने के निर्देश

हालांकि विभाग ने यह भी स्वीकार किया की जीपीएफ राशि का एक हिस्सा याचिकाकर्ता के पक्ष में जारी किया गया। लेकिन कोर्ट ने कहा कि जब विभाग ने जीपीएफ याचिकाकर्ता को मृतक की पत्नी के रूप में स्वीकार कर लिया है तो उनकी अनुकंपा नियुक्ति के दावे पर विचार भी होना चाहिए। पत्नी के हाई कोर्ट में गुहार लगाने के बाद कोर्ट ने वन विभाग को निर्देश देते हुए कहा कि 3 महीने के भीतर कानून के अनुसार निर्णय लिया जाए। इस पूरे प्रकरण की सुनवाई न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी के समक्ष हुई। इतना ही नहीं बल्कि कोर्ट ने 3 महीने के भीतर कानून के अनुसार उचित आदेश पारित करने के निर्देश दिए हैं।

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