Uttarakhand: शादी (Marriage) के कार्ड को शुद्ध गढ़वाली बोली-भाषा में छपवाकर गणेश ने शुरू की एक नई पहल..
वर्तमान समय में जहां राज्य (Uttarakhand) के अधिकांश पहाड़ी लोग अपनी संस्कृति सभ्यताओं को भूलते जा रहे हैं, यहां तक कि लोगों को कुमाऊंनी-गढ़वाली बोलने में भी शर्म महसूस हो रही है वहीं राज्य में कुछ पहाड़ी युवा ऐसे भी हैं जो अपने प्रयासों से पहाड़ी सभ्यता संस्कृति के साथ ही बोली-भाषा को भी सहेजने का काम कर रहे हैं। आज हम आपको राज्य के एक ऐसे ही युवा से रूबरू कराने जा रहे हैं जिनकी शादी (Marriage) का निमंत्रण कार्ड इन दिनों सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है। जी हां.. हम बात कर रहे हैं राज्य के गढ़वाल मंडल के रहने वाले गणेश सिंह पंवार की, जिन्होंने अपनी शादी का निमंत्रण कार्ड शुद्ध गढ़वाली में छपवाकर न सिर्फ गढ़वाली बोली-भाषा को सहेजने की दिशा में सराहनीय कदम बढ़ाया है, जिसे लोगों द्वारा खासा पसंद भी किया जा रहा है बल्कि गढ़वाली बोली-भाषा को सहेजने का उनका यह सराहनीय प्रयास उन लोगों को भी आईना दिखाता है जिन्हें कुमाऊंनी-गढ़वाली बोलने में शर्म महसूस होती है।
यह भी पढ़ें- उत्तराखण्ड के इस स्कूल ने अपनी स्थानीय भाषा को बढावा देने के लिए पहाड़ी में शुरू की प्रार्थना
देवभूमि दर्शन से खास बातचीत:-
बता दें कि मूल रूप से राज्य के उत्तरकाशी जिले के क्यारी गांव निवासी गणेश सिंह पंवार की शादी अप्रैल माह में है। इन दिनों उनका शादी का निमंत्रण कार्ड सोशल मीडिया पर काफी वायरल हो रहा है जिसका एकमात्र कारण यह है कि गणेश द्वारा अपनी शादी के कार्ड को शुद्ध गढ़वाली बोली में छपवाया गया है। उनके इस सराहनीय कार्य को सोशल मीडिया पर लोगों द्वारा खासा सराहा जा रहा है। देवभूमि दर्शन से खास बातचीत में गणेश ने बताया कि उन्होंने इंटरमीडिएट तक की पढ़ाई चिन्यालीसौड़ से की है। वर्तमान में एक होटल में नौकरी करने वाले गणेश कहते हैं कि उन्हें अपनी गढ़वाली सभ्यता संस्कृति एवं गढ़वाली बोली से काफी लगाव है। यही कारण है कि उन्होंने अपने शादी के निमंत्रण कार्ड को शुद्ध गढ़वाली में छपवाया है। गणेश बताते हैं कि वह एक गढ़वाली गायक भी है और अभी तक यूट्यूब पर उनके तीन-चार गाने रिलीज हो चुके हैं।
यह भी पढ़ें- उत्तराखंड: ढोल नगाड़ों के साथ दुल्हनिया लेने भारी बर्फबारी के बीच पैदल ही निकला दूल्हा