केन्द्र सरकार ने किया पद्म पुरस्कारों का ऐलान, देवभूमि उत्तराखंड से तीन विभूतियों के नाम
देश-विदेश में विख्यात मैती आंदोलन के प्रणेता को मिलेगा पर्यावरण संरक्षण का ईनाम, नवाजे जाएंगे पद्मश्री पुरस्कार से:- विश्व विख्यात मैती आंदोलन को कौन नहीं जानता। उत्तराखण्ड का यह आन्दोलन अब तक पांच लाख से अधिक विवाहित जोड़ों से एक पौधा लगवा चुका है। पर्यावरण संरक्षण में इस आंदोलन का अहम योगदान है। इस आंदोलन का सारा श्रेय इसके प्रणेता एवं जीव विज्ञान के रिटायर्ड प्रोफेसर कल्याण सिंह रावत को जाता है। बता दें कि मूल रूप से राज्य के चमोली जिले के कर्णप्रयाग ब्लॉक निवासी कल्याण सिंह रावत ने मैती आंदोलन की शुरुआत चमोली के ग्वालदम कस्बे से वर्ष 1995 में उस समय की जब वह वहां जीव विज्ञान के शिक्षक थे। वर्तमान में राज्य के देहरादून के नथुवावाला में रह रहे कल्याण सिंह रावत अपने छात्र जीवन में विश्व विख्यात चिपको आंदोलन के सम्पर्क में आए और तभी से पर्यावरण संरक्षण के लिए कुछ ना कुछ करने की सोचने लगें। शिक्षक पद पर तैनाती के बाद ग्वालदम में ही उनके मन में विवाह समारोह में पौधे रोपने का अभियान शुरू करने का विचार आया। जिसके बाद वही एक मित्र और एक जलपान गृह के संचालक के साथ उन्होंने मिठाई के डिब्बों पर मैती आंदोलन का संदेश प्रकाशित करना शुरू किया। अब तक पांच लाख से अधिक पेड़ लगवा चुके कल्याण सिंह रावत को अब पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा। इस आंदोलन में जब किसी बेटी की शादी होती है, तो वह विदाई से पहले एक पौधा रोपती है।
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सेवा परमो धर्म: के रूप में हजारों गरीबों की फ्री प्लास्टिक सर्जरी कर चुके हैं डॉ. ऐरोन, अब मिलेगा पद्म श्री:- डॉक्टर को संसार में भगवान का रूप माना जाता हैं और इस बात को बिल्कुल सही साबित किया है वयोवृद्ध प्लास्टिक सर्जन डॉ. योगी ऐरोन ने। गरीबों के लिए देवदूत बनकर काम कर रहे हैं 82 साल के बुजुर्ग प्लास्टिक सर्जन डॉ. योगी ऐरन को आज चिकित्सा एवं विज्ञान-इंजीनियरिंग के क्षेत्र में पद्म श्री सम्मान से नवाजा जाएगा। कभी अमेरिका में रहकर विश्व के मशहूर प्लास्टिक सर्जन डॉ. मिलार्ड के साथ काम कर चुके डॉ. योगी में पिछले 14 साल से मानवता की सेवा करने में जुटे हुए हैं। बता दें कि डॉ ऐरन अब तक अब तक 5000 से अधिक लोगों की निःशुल्क प्लास्टिक सर्जरी कर चुके हैं। वर्तमान में देहरादून जिलेके देहरादून-मसूरी रोड स्थित कुठालगेट के पास जंगल-मंगल नामक स्थान पर निवास करने वाले डॉ ऐरन के ऐसा हुनर है कि अब तक कोई भी मरीज उनके क्लीनिक से खाली नहीं लौटा है। अपने इस हुनर के बल पर वह चाहते तो किसी बड़े शहर में अपना अस्पताल खोलकर मोटी कमाई कर सकते हैं, लेकिन उन्होंने अपना जीवन गरीबों की सेवा में समर्पित कर रखा है। डॉ ऐरन विश्व के उन सभी लोगों के लिए मिशाल है जो पैसे को ही सबकुछ मानते हैं। गरीबों की सेवा को सबसे बड़ा धर्म मानने वाले हेल्पिंग हैंड संस्था के संस्थापक डॉ ऐरन कहते हैं कि जलने या जानवर के हमले में घायल होने के कारण शारीरिक विकृति से जूझ रहे लोगों को दोबारा वही काया पाकर न सिर्फ नया जीवन मिलता है अपितु सामान्य जीवन जीने का एक हौसला भी मिलता है। यही देखकर उन्हें आत्मिक शांति प्राप्त होती है।