उत्तराखण्ड विशेष अधीनस्थ शिक्षा (प्रवक्ता संवर्ग) समूह ग में अर्थशास्त्र विषय की मुख्य परीक्षा (UKPSC LECTURE MAIN EXAM) का है मामला, युवाओं को आशंका हो सकती है बड़ी धांधली, बोले अभ्यर्थी इस तरह उनकी गरीबी और मेहनत का मजाक उड़ा रहा है आयोग, की उचित कार्रवाई की मांग..
चुनावी वर्ष होने के कारण जहां इस वक्त राज्य में सरकारी नौकरियों की भरमार आई हुई है। जिसकी प्रतियोगी परीक्षाएं जारी है। परंतु यह भी सर्वविदित है कि राज्य की अधिकांश प्रतियोगी परीक्षाएं अक्सर विवादों में ही घिरी रहती है। ताजा मामला बीते 28 अक्टूबर से 3 नवंबर के मध्य उत्तराखण्ड लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित की गई उत्तराखण्ड विशेष अधीनस्थ शिक्षा (प्रवक्ता संवर्ग) समूह ग में अर्थशास्त्र विषय की मुख्य परीक्षा (UKPSC LECTURE MAIN EXAM) का है। जिसकी ‘आंसर की’ में उत्तराखण्ड लोक सेवा आयोग के अधिकारियों/कर्मचारियों की लापरवाही का खामियाजा राज्य के गरीब अभ्यर्थियों को भुगतना पड़ रहा है। बताया गया है कि आयोग द्वारा परीक्षा आयोजित किए जाने के बाद न सिर्फ आंसर की काफी देरी से अपलोड की गई बल्कि उसमें लगभग 17-18 प्रश्नों के उत्तर भी ग़लत बताए गए हैं। हैरानी की बात तो यह है कि इनमें ऐसे प्रश्न भी शामिल हैं जिनका उत्तर सामान्य से सामान्य अभ्यर्थी को भी पता रहता है। इससे भी बुरी बात यह है कि आयोग द्वारा अभ्यर्थियों से आपत्ति जताने के लिए प्रति प्रश्न 50 रूपए का शुल्क निर्धारित किया गया है। जिस कारण जहां गरीब अभ्यर्थी आपत्ति जताने से कतरा रहे हैं वहीं आयोग की इस घोर लापरवाही से पिछले कई वर्षों से सरकारी नौकरी का सपना संजोकर दिन रात मेहनत में जुटे युवाओं के भविष्य पर भी संकट के बादल मंडरा रहे हैं।
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प्राप्त जानकारी के अनुसार उत्तराखण्ड लोक सेवा आयोग द्वारा बीते 28 अक्टूबर से 3 नवंबर के मध्य आयोजित की गई उत्तराखण्ड विशेष अधीनस्थ शिक्षा (प्रवक्ता संवर्ग) समूह ग की मुख्य परीक्षा के अर्थशास्त्र विषय की ‘आसंर की’ में लगभग 17-18 प्रश्नों के उत्तर गलत बताए गए हैं। इस संबंध में देवभूमि दर्शन से हुई विशेष बातचीत में राज्य के अल्मोड़ा जिले के रहने वाले भरत भूषण जोशी ने बताया कि आयोग की इस लापरवाही से न सिर्फ गरीब अभ्यर्थी मानसिक रूप से परेशान हैं बल्कि उनका भविष्य भी अंधकारमय नजर आ रहा है और उनकी मेहनत भी केवल मजाक बनकर रह गई है। बावजूद इसके वह कुछ भी नहीं कर पा रहे हैं क्योंकि आयोग द्वारा प्रति प्रश्न 50 रूपये आपत्ति दर्ज करने के रखे गए है, जबकि इसमें अभ्यर्थियों की कोई गलती नहीं है। अब ऐसे में गरीब अभ्यर्थी 750-800 रूपए कहा से लाएंगे। वह कहते हैं कि आयोग द्वारा जारी की गई आंसर की में सामान्य से सामान्य प्रश्नों के उत्तर भी ग़लत बताए गए हैं। उदाहरण के तौर पर जनसंख्या की दृष्टि से उत्तराखंड का सबसे बड़ा जिला हरिद्वार है जबकि आयोग द्वारा इसे देहरादून बताया गया है। इसी तरह जीएसटी परिषद का अध्यक्ष वित्तमंत्री होता है परन्तु आयोग द्वारा जारी आंसर की प्रधानमंत्री को इसका सही उत्तर बताया गया है।
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इसी तरह राज्य के उत्तरकाशी जिले के रहने वाले कुलदीप बताते हैं कि आमतौर पर 15 दिनों के भीतर परीक्षा की आंसर की’जारी की जाती है परन्तु इस बार पहले तो आयोग द्वारा काफी देरी से लगभग 20-22 दिनों बाद आंसर की जारी की गई बावजूद इसके उसमें अधिकांश सामान्य से सामान्य प्रश्नों के उत्तर गलत होना समझ से परे है। बता दें कि अभ्यर्थियों द्वारा ई-मेल आदि के माध्यम से लगातार इस विषय में उचित कार्रवाई की आशा से आयोग के साथ पत्राचार किया जा रहा है बावजूद इसके आयोग द्वारा कोई भी सटीक जबाव अभ्यर्थियों को नहीं दिया जा रहा है। जिसको देखते हुए तो ऐसा ही लगता है कि आयोग अपनी इस लापरवाही से या तो गरीब अभ्यर्थियों से भरपूर पैसा वसूलने की सोच रहा है या फिर अंदरखाने कोई और ही जुगाड़ चल रहा है। आयोग की इस घनघोर लापरवाही से नाराज़ एवं परेशान अभ्यर्थियों का तो यहां तक भी कहना है कि आयोग द्वारा कई बार मेरिट सूची जारी करते समय ऐसे प्रश्नों में सभी अभ्यर्थियों को बोनस अंक दिए जाते हैं। जिससे गरीब और मेहनतकश अभ्यर्थी तो पीछे छूट जाता है जबकि बिना किसी तैयारी के परीक्षा देने गए अभ्यर्थियों की किस्मत चमक जाती है।