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Uttarakhand News: guldar attacks on goat in dharamghar bageshwar

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बागेश्वर

उत्तराखंड: ढप्टी गांव में गुलदार का आतंक बकरियां मारकर सुबह तक गोशाला में बैठा रहा गुलदार

Bageshwar: ढप्टी गांव में गुलदार का आतंक बरकरार, गांव के बीचों-बीच स्थित एक गौशाला से दो बकरियों को बनाया अपना निवाला (Guldar Attack) फिर बैठ गया आराम फरमाने आंगन में..

राज्य में जंगली जानवर जंगलों से लगातार मानव बस्तियों, गांवों आदि का रूख कर रहे हैं। जिससे जहां एक ओर ग्रामीणों की फसल और पालतू पशु सुरक्षित नहीं है वहीं बड़ी संख्या में मानव वन्य जीव संघर्ष भी देखने को मिल रहा है। पहले जंगली जानवर केवल रात में ही कभी-कभार भोजन की तलाश में गांवों की ओर आते थे परन्तु अब गाहे-बगाहे भरी-दोपहरी में भी यह ग्रामीणों पर हमला कर रहे हैं। आज राज्य के बागेश्वर(Bageshwar) जिले के ढप्टी गांव से एक ऐसी खबर आ रही है जहां इन दिनों एक गुलदार ने पूरे क्षेत्र में दहशत मचा रखी है। बीते शुक्रवार देर रात भी इस गुलदार ने गांव के बीचों-बीच स्थित एक गौशाला से दो बकरियों को अपना निवाला (Guldar Attack) बना लिया। सबसे हैरान-परेशान करने वाली बात तो यह है कि बकरियों को मारने-खाने के बाद गुलदार गौशाले के आंगन में बैठकर आराम फरमाने लगा और सुबह तक वहीं डटा रहा। सुबह जब ग्रामीणों ने गुलदार को गांव के बीचों-बीच आंगन में बैठा पाया तो उनके होश उड़ गए। इस वाकए से पूरे गांव में चीख पुकार मच गई। आनन-फानन में किसी तरह ग्रामीणों ने हो-हल्ला कर गुलदार को गांव से जंगल की ओर भगाया। डरे सहमे ग्रामीणों ने जहां वन विभाग से गुलदार को पकड़ने के लिए पिंजरा लगाने की मांग की है वहीं पीड़ित पशुपालक को मुआवजा देने की मांग भी की है।
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सुबह तक घर के आंगन में बैठा रहा गुलदार, ग्रामीणों ने पटाखे फोड़कर, कनस्तर बजाकर बमुश्किल भगाया, क्षेत्र में दहशत का माहौल:-

प्राप्त जानकारी के अनुसार राज्य के बागेश्वर जिले के धरमघर क्षेत्र के ढप्टी गांव में लंबे समय से गुलदार का आतंक बरकरार है। बताया गया है कि बीते शुक्रवार रात को गुलदार ने गांव के बीचों-बीच स्थित एक गरीब महिला पुष्पा देवी के गौशाले पर हमला कर दो बकरियों को अपना निवाला बना लिया। सुबह जल्दी उठने की आदी पुष्पा ने शनिवार तड़के जैसे ही घर का दरवाजा खोला तो उन्हें सामने आंगन में गुलदार बैठा हुआ नजर आया। गुलदार को आंगन में बैठा देखकर डरी सहमी पुष्पा ने तुरंत किवाड़ बंद कर खुद को घर के अंदर बंद कर दिया। थोड़ा ज्यादा उजाला होने पर करीब साढ़े छः सात बजे पुष्पा ने जब दुबारा दरवाजा खोला तो गुलदार अभी भी आंगन में ही बैठा था। इसके बाद पुष्पा ने शोर मचाकर ग्रामीणों को इसकी जानकारी दी। जिस पर ग्रामीणों ने हो-हल्ला मचाने के साथ ही कनस्तर बजाए और पटाखे फोड़े। तब जाकर कहीं आंगन में आराम फरमा रहा गुलदार जंगल की ओर भागा। इस वाकए से गांव में दहशत का माहौल है। ग्रामीणों का कहना है कि वह पहले भी कई बार वन विभाग से गुलदार को पकड़ने की मांग कर चुके हैं परन्तु वन विभाग उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दे रहा है ऐसे में गुलदार कभी भी ग्रामीणों पर हमला कर सकता है।

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Sunil

सुनील चंद्र खर्कवाल पिछले 8 वर्षों से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय हैं। वे राजनीति और खेल जगत से जुड़ी रिपोर्टिंग के साथ-साथ उत्तराखंड की लोक संस्कृति व परंपराओं पर लेखन करते हैं। उनकी लेखनी में क्षेत्रीय सरोकारों की गूंज और समसामयिक मुद्दों की गहराई देखने को मिलती है, जो पाठकों को विषय से जोड़ती है।

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