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Pithoragarh kashish: नन्ही परी कशिश जनाक्रोश के आगे नतमस्तक सरकार दायर करेगी पुनर्विचार याचिका
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haldwani Pithoragarh nanhi pari kashish rape murder case Dhami govt review petition filed Supreme Court uttarakhand breaking news: नन्हीं परी कशिश केस: सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ राज्य सरकार दायर करेगी पुनर्विचार याचिका
haldwani Pithoragarh nanhi pari kashish rape murder case Dhami govt review petition filed Supreme Court uttarakhand breaking news: पिथौरागढ़ की मासूम कशिश के साथ 2014 में काठगोदाम क्षेत्र में हुई दरिंदगी का मामला एक बार फिर सुर्खियों में है। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने मुख्य आरोपी अख्तर अली को बरी कर दिया, जिसके बाद प्रदेशभर में गुस्सा भड़क गया। आखिरकार जनभावनाओं के आगे सरकार नतमस्तक हो ही गई , मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस मामले में पुनर्विचार याचिका दाखिल करने के निर्देश न्याय विभाग को दे दिए हैं। justice for Kashish
वैसे उत्तराखण्ड सरकार के इस अभूतपूर्व फैसले का पूरा श्रेय सीमांत पिथौरागढ़ की जनता को जाता है जिन्होंने बीते 14 सितम्बर को इस अन्याय के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद की थी जिसकी गूंज न सिर्फ राज्य के कौने-कौने में पहुंची बल्कि इसने सत्ताधारी उत्तराखण्ड सरकार को भी झकझोरने का काम किया। अब कशिश को वास्तव में न्याय कब मिल पाता है ये तो आने वाला वक्त ही बताएगा लेकिन राज्य सरकार की यह पहल वाकई सराहनीय है। justice for Kashish
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मुख्यमंत्री धामी बोले दोषी बच नहीं पाएगा
मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि निचली अदालत और हाईकोर्ट दोनों ने आरोपी को दोषी ठहराते हुए सजा सुनाई थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट से उसे राहत मिल गई। उन्होंने न्याय विभाग को निर्देश दिया है कि इस मामले में पुनर्विचार याचिका दाखिल कर सर्वोत्तम कानूनी लड़ाई लड़ी जाए। बुधवार को ही पुलिस उपमहानिरीक्षक, अपराध एवं कानून व्यवस्था की ओर से एसएसपी को पत्र भेजकर रिपोर्ट देने को कहा है। जिसके बाद एसएसपी नैनीताल की ओर से अधीनस्थों को तत्काल कार्रवाई को कहा गया है। justice for Kashish
धामी ने दो टूक कहा—“बेटियों के साथ दरिंदगी करने वालों को किसी भी कीमत पर बख्शा नहीं जाएगा। देवभूमि की गरिमा को ठेस पहुँचाने वालों को कठोर सजा दिलाना ही सरकार की प्राथमिकता है।”मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि देवभूमि की अस्मिता और बेटियों की सुरक्षा से कोई समझौता नहीं होगा। राज्य सरकार पीड़ित परिवार के साथ खड़ी है और न्याय दिलाने के लिए देश की सर्वश्रेष्ठ कानूनी टीम लगाएगी।
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नन्हीं कली कशिश की दर्दनाक कहानी
नवंबर 2014 में पिथौरागढ़ की सात वर्षीय बच्ची कशिश अपने परिजनों के साथ शादी समारोह में शामिल होने हल्द्वानी के काठगोदाम गई थी। वहीं डंपर चालक अख्तर अली और उसके साथियों ने उसके साथ दुष्कर्म कर हत्या कर दी। इस जघन्य वारदात ने न केवल कुमाऊँ बल्कि पूरे प्रदेश को हिला कर रख दिया था। 25 नवंबर को कशिश का शव काठगोदाम के शीशमहल में बरामद हुआ था।पॉक्सो कोर्ट हल्द्वानी ने मुख्य आरोपी अख्तर अली को फांसी की सजा और उसके साथी प्रेमपाल वर्मा को पाँच साल कैद की सजा सुनाई थी। हाईकोर्ट ने भी इस फैसले को बरकरार रखा। लेकिन हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने सबूतों के अभाव में आरोपी को बरी कर दिया। यह फैसला जैसे ही सामने आया, उत्तराखंड में आक्रोश की लहर दौड़ गई। justice for Kashish
विरोध और परिजनों का आक्रोश
सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद पिथौरागढ़ समेत कई इलाकों में जोरदार विरोध प्रदर्शन हुए। 13 और 14 सितम्बर को पिथौरागढ़ में लोगों ने न्यायपालिका के इस हास्यास्पद फैसले के खिलाफ उग्र प्रदर्शन किया। पीड़िता के परिजनों ने सरकार से सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल करने की माँग की और पीड़िता के ताऊ ने यहाँ तक चेतावनी दी कि अगर तीन दिन में कार्रवाई नहीं हुई तो वे आत्मदाह करेंगे।
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अब वास्तव में सरकार इस मामले को लेकर वाकई संजिदा है या केवल जनभावनाओं को शांत करने के लिए ये फैसला लिया गया है ये तो आने वाला वक्त ही बता पाएगा क्योंकि कानूनविदों की मानें तो उत्तराखंड सरकार ने अगर सुप्रीम कोर्ट में पहले ही मजबूत पैरवी की होती तो शायद सुप्रीम कोर्ट इस तरह का हास्यास्पद फैसला नहीं सुनाती, जिसमें किसी को इतने नृशंस एवं जघन्य कृत्य का दोषी ही ना ठहराया गया हों।
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