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Uttarakhand news: History of Tehri Dam and some interesting facts situated in garhwal. Tehri Dam History devbhoomidarshan17.com
फोटो: टिहरी बांध, उत्तराखण्ड

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Tehri Dam History: टिहरी डैम का इतिहास और कुछ रोचक तथ्य

Tehri Dam History: अपने आप में बेहद खास हैं टिहरी बांध, एशिया महाद्वीप के सबसे बड़े एवं विश्व के 8वें सबसे ऊंचे बांध के रूप में बनाई है पहचान….

वैसे टिहरी डैम के बारे में आप सब लोगों ने सुना तो होगा ही पर क्या आप जानते हैं विश्व प्रसिद्ध इस बांध का इतिहास क्या है? आज हम आपको इस बांध के बारे में कुछ रोचक तथ्य के साथ साथ इसके इतिहास के बारे में भी बताते हैं।
(1)टिहरी डैम जो कि भारत का सबसे ऊंचा और बड़ा बांध है, उत्तराखंड के टिहरी गढ़वाल जिले में स्थित है ।
(2) 261 मीटर ऊंचाई और 575 मीटर लंबाई का यह बांध एशिया महाद्वीप का इकलौता सबसे बड़ा और विश्व का 8 वां सबसे ऊंचा बांध है।
(3) विश्व प्रसिद्ध यह बांध सिंचाई जल आपूर्ति एवं प्रतिदिन 1,000 मेगावाट बिजली उत्पादन के लिए जाना जाता है ।
(4) यह बांध दो नदियों भागीरथी और भिलंगना के पानी को रोक कर उनके संगम स्थल पर बनाया गया है।
(5) इस बांध को सुमन सागर (श्रीदेव सुमन के नाम पर) और रामतीर्थ सागर बांध (संत स्वामी रामतीर्थ) के नाम से भी जाना जाता है।
(6) इस बांध को बनाने का काम THDC (टिहरी हाइड्रो डेवलपमेंट कॉरपोरेशन ) द्वारा 1978 में शुरू किया गया था।
(7) यह बांध 2006 में चालू किया गया गया था।
(Tehri Dam History)
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(8)टिहरी बांध भारत का सबसे बड़ा बांध होने के साथ साथ बहुत ही खूबसूरत बांध भी है , जिसके रुके हुए पानी से एक प्राकृतिक झील भी बनी हुई है, जिसे टिहरी झील के नाम से जाना जाता है ,और इस झील को देखने के लिए दूर दूर से पर्यटक आते हैं।
(9) इस बांध की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह भूकंप रोधी बांध है, जो 8 रिएक्टर स्केल तीव्रता के भूकंप को भी सह सकता है।
(10) इसे पत्थरों और मिट्टी से रॉक फिल बनाया गया है ताकि इस बांध को भूकम्प से ज्यादा खतरा ना हो, क्योंकि यह बांध उच्च तीव्रता वाले भूकंप जोन क्षेत्र में आता है।
(11) देश दुनिया में अपनी अलग पहचान बनाने वाला यह बांध करीब 1 पूरा टिहरी शहर जो पुरानी टिहरी के नाम से जानी जाती है को जलमग्न करके बना था।
(12) इस बांध के बनने में करीब 1 लाख लोग प्रभावित हुए थे और 125 गांव पर असर पड़ा था।
(Tehri Dam History)
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(13) अपनी खूबसूरत झील के लिए जाना जाने वाले इस बांध के निर्माण के दौरान हजारों लोगों को बेघर हुए थे, हजारों लोगों को अपना गांव और घर छोड़ना पड़ा था, करीब 125 गांव पर इस बांध का असर पड़ा था , 27 गांव इसमें पूरी तरह से डूबे गए थे, और 88 गांव आंशिक रूप से प्रभावित हुए थे।
(14) इस बांध से पूरे भारत में 9 राज्यों को सिंचाई का पानी एवं बिजली प्राप्त होती है , और उत्तराखंड के साथ साथ यह पूरे उत्तरप्रदेश,हरियाणा, दिल्ली, पंजाब ,राजस्थान, चण्डीगढ़ और जम्मू कश्मीर आदि राज्यों को बिजली आपूर्ति करता है।
(15) इस डैम निर्माण से उत्तरप्रदेश बिहार और पश्चिम बंगाल में आने वाली बाढ़ में कमी आयी है।
(16)वैज्ञानिकों के अनुसार अगर यह डैम टूटता है, तो करीब 22 मिनट के अंदर ऋषिकेश हरिद्वार डूब जाएगा वहीं यूपी के कुछ शहरों के साथ साथ पश्चिम बंगाल तक इसके असर देखने को मिलेंगे।
(Tehri Dam History)
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ये तो थे टिहरी बांध के कुछ रोचक तथ्य और अनछुए पहलू मगर अब इसके इतिहास पर भी एक नजर डालते हैं कि आखिर कैसे इस बांध की शुरूआत हुई थी।

उत्तराखंड टिहरी बांध को साल 1992 में निर्माण की मंजूरी मिली थी, मगर इस बात से पूरे उत्तराखंड और राजनीतिक गलियारों में हलचल मच गई क्योंकि वैज्ञानिकों ने टिहरी डैम को भविष्य के लिए बड़ा खतरा बताया था। जिसके चलते इस बांध का विरोध स्थानीय लोगों के साथ साथ राजनीतिक और पर्यावरण से जुड़े लोग करने लगे, इसी कारण कई बार कोर्ट में इस बांध का मुकदमा भी चला था। जाने माने पर्यावरणविद् एवं चिपको आन्दोलन के प्रमुख नेता सुंदर लाल बहुगुणा ने सर्वप्रथम इस बांध का विरोध किया था। उन्होंने 1995 में 45 दिन तक टिहरी बांध विरोध में उपवास भी किया। तथा कई बार वो इसके विरोध में जेल भी गए। तमाम अड़चनों और विवादों के बाद 1977 से 1978 के बीच इस बांध का निर्माण कार्य शुरू हुआ। और 29 अक्टूबर 2005 को बांध की आखिरी सुरंग बनने के साथ साथ झील का निर्माण हुआ। जुलाई 2006 में इस बांध से बिजली का उत्पादन शुरू होने लगा था जो आज तक जारी है।
(Tehri Dam History)

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