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Uttarakhand news: IAS Shweta Nagarkoti of Lamgara almora BIOGRAPHY & journey to BECOME SDM in Kerala. Shweta Nagarkoti IAS Biography

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Shweta Nagarkoti IAS Biography: उत्तराखंड के अल्मोड़ा की श्वेता केरल में बनी SDM ..

Shweta Nagarkoti IAS Biography: माता-पिता ने कड़ी मेहनत से पढ़ाया लिखाया, बेटी श्वेता ने केरल की एसडीएम बन उनके साथ ही प्रदेश का मान बढ़ाया…

“दिलों में हो अगर कुछ कर गुजरने का जज्बा तो फिर ठोकरों से डरा नहीं करते।।
ठानी हो अगर हर हाल में मंजिल पाने की तो फिर मुसाफिर रास्तों की परवाह नहीं करते”।।

ये चंद लाइन परिभाषित करती है उत्तराखंड की एक ऐसी होनहार बेटी के हौसले और जज्बे को जिसने अपने मेहनत और हुनर के दम पर सभी को यह साबित कर दिखाया की अपने सपनों को पूरा करने के लिए हर हाल में रुकना नहीं बल्कि चलना पड़ता है। जी हां हम बात कर रहे हैं उत्तराखंड अल्मोड़ा की रहने वाली होनहार बेटी श्वेता नगरकोटी की, जिसने अपने संघर्ष, सफलता और मेहनत के दम पर मुकाम तो हासिल किया ही साथ ही यूपीएससी परीक्षा उत्तीर्ण कर केरल में एसडीएम पद पर तैनाती देकर अपने माता पिता के साथ ही पूरे उत्तराखंड का नाम रोशन भी किया। तो चलिए आज हम आपको सभी के लिए सफलता की उदाहरण बनी उत्तराखंड की होनहार बेटी श्वेता नगरकोटी का यूपीएससी परीक्षा से लेकर केरल में एसडीएम बनने तक के सफर और संघर्ष के बारे में बताएंगे।

अपने माता पिता के साथ श्वेता- (फोटो- देवभूमि दर्शन)

(Shweta Nagarkoti IAS Biography)
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श्वेता नगरकोटी (Shweta Nagarkoti):-श्वेता नगरकोटी उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले की “लमगड़ा” की मूल निवासी है। उनकी माता एक ग्रहणी और पिता निजी कंपनी में कार्यरत हैं। वर्तमान में श्वेता नगरकोटी केरल के तिरुवनंतपुरम जिले की “उप जिला अधिकारी” (SDM) हैं और साथ ही कई अच्छे कार्यों से उत्तराखंड का नाम रोशन भी कर रही है
यूपीएससी परीक्षा में लहराया सफलता का परचम (Flag of success hoisted in UPSC exam):-
श्वेता नगर कोटी का परिवार गाजियाबाद में रहता है जिस कारण श्वेता नगर कोटी की शरू से लेकर इंटरमीडिएट तक की पढ़ाई गाजियाबाद से ही हुई है । 12वीं के बाद श्वेता नगर कोटी ने अपना ग्रेजुएशन बीएससी बायोटेक्नोलॉजी के साथ कंप्लीट किया। इसके बाद आगे चलकर वह यूपीएससी परीक्षा की तैयारी करने लगी। जब श्वेता नगर कोटी ने पहली बार यूपीएससी परीक्षा दी तो वह सफल न हो पाई। लेकिन सन 2020 में उन्होंने केरल से यूपीएससी की परीक्षा उत्तीर्ण कर अपने मेहनत के दम पर दूसरे प्रयास में 410 वीं रैंक के साथ यूपीएससी परीक्षा में सफलता का परचम लहराया और अपना आईएएस बनने का सपना पूरा किया। उसके बाद साल 2021 में केरल के तिरुवनंतपुरम जिले की उप जिला अधिकारी बन सभी का नाम रोशन किया।
(Shweta Nagarkoti IAS Biography)

श्वेता नगरकोटी – (फोटो- देवभूमि दर्शन)

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श्वेता नगरकोटी की संघर्षों से भरी सफलता की कहानी
(Shweta Nagar Koti’s story of huge success through struggles)

आपको बता दे कि उत्तराखंड की इस होनहार बेटी ने बेहद ही संघर्ष और कठिन परिस्थितियों को पीछे छोड़ अपने यूपीएससी परीक्षा उत्तीर्ण की और एसडीएम बनने का सपना पूरा किया। दरअसल जब श्वेता नगरकोटी 12वीं में थी तब उनके पिता गाजियाबाद में एक इलेक्ट्रॉनिक फैक्ट्री में नौकरी करते थे। लेकिन किसी कारणवश उनकी नौकरी छूट गई। जिसके चलते श्वेता के परिवार की हालत और आर्थिक स्थिति बिगड़ने लगी और श्वेता की पढ़ाई छूटने के कगार पर आ गयी तत्पश्चात श्वेता को अपनी पढ़ाई छूटने का डर सताने लगा। लेकिन उनके मां-बाप ने हर कदम पर उनका साथ देते हुए बेटी का हौसला बनाए रखा और विषम परिस्थितियों में भी बेटी को निरंतर आगे बढ़ने का प्रोत्साहन किया । उनकी माता जो की गृहणी थी ने बच्चों की पढ़ाई ना छूटे उसके लिए स्वरोजगार किया मगर तब भी अपने बच्चों की पढ़ाई को नहीं रुकने दिया और विषम परिस्थितियों में भी डटी रही। वहीं दूसरी और श्वेता भी अपनी आगे की पढ़ाई बड़ी मेहनत और लगन से करती रही और विश्वास और मेहनत के बलबूते पर आगे बढ़ती रही। इसके बाद श्वेता नगरकोटी ने यूपीएससी परीक्षा दी मगर वह सफल न हो सकी। इन सब के बावजूद भी श्वेत ने हार नहीं मानी और फिर 2020 मैं दूसरी बार यूपीएससी परीक्षा दी। इस बार श्वेता की महेनत रंग लाई और श्वेता ने यूपीएससी परीक्षा में 410वीं रैंक के साथ सफलता हासिल की और केरल की एसडीएम बन पूरे उत्तराखंड का नाम रोशन किया।
(Shweta Nagarkoti IAS Biography)

अपने माता पिता के साथ श्वेता- (फोटो- देवभूमि दर्शन)

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तो यह थी उत्तराखंड और देश की उस होनहार बेटी की संघर्ष भरी कहानी जिसने लगातार मेहनत और विपरीत परिस्थितियों में भी हौसला बनाए रखा और अपने सपने को हर हाल में पूरा कर सभी बेटियों के लिए एक मिसाल कायम की। वास्तव में श्वेता नगरकोटी की कहानी सभी के लिए बड़ी प्रेरणादायक है। इन्होंने हमें सिखाया कि चाहे परिस्थितियों कैसी भी हो हमें घबराना नहीं चाहिए। और अपनी मंजिल की ओर लगातार बढ़ते रहना चाहिए। साथ ही श्वेता के मां-बाप की तरह हर मां बाप को भी विपरीत परिस्थितियों में बच्चों के हौसले को बनाए रखना चाहिए और उन्हें निरंतर मंजिल की ओर बढ़ते रहने के लिए प्रेरित करते रहना चाहिए। अतः यह कहना बिल्कुल भी गलत नहीं होगा कि श्वेता नगर कोटी की कहानी हमें यह सीख देती है कि विपरीत परिस्थितियों में भी धैर्य बनाए रखना चाहिए और परेशानियां चाहे कितनी भी क्यों ना हो मेहनत के आगे इनका कद हमेशा ही छोटा होता है।।(Shweta Nagarkoti IAS Biography)

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