उत्तराखण्ड: अपनी कड़ी मेहनत से ज्योति ने आईएसएस परीक्षा में हासिल की देश में 11वीं रैंक
मूल रुप से अल्मोड़ा जिले के रानीखेत तहसील की रहने वाली है ज्योति नगरकोटी….
उत्तराखण्ड के अल्मोड़ा जिले के एक छोटे से गांव की बेटी ने परिस्थितियों से लड़कर यूपीएससी द्वारा आयोजित आईएसएस की परीक्षा में न सिर्फ सफलता हासिल की है बल्कि आॅल इण्डिया लेवल पर 11वीं रैंक हासिल कर देवभूमि उत्तराखंड का नाम भी रोशन किया है। जी हां… हम बात कर रहे हैं ज्योति नगरकोटी की, जिन्होंने यूपीएससी द्वारा हाल ही में जारी आईएसएस-2019 के परीक्षा परिणाम में अभूतपूर्व सफलता हासिल की है। सबसे खास बात तो यह है कि परिवार की आर्थिक स्थिति को देखते हुए जाॅब के साथ आईएसएस की तैयारी करने वाली ज्योति ने अपने दूसरे ही प्रयास में यह मुकाम हासिल किया है। बता दें कि जाॅब करने के साथ-साथ ज्योति अपनी मां और बीमार दादी की देखभाल भी करती थीं और उसके बाद जो समय बचता था उसमें पढ़ाई करती थी। इतना ही नहीं जाॅब में आने-जाने में लगने वाले समय का सदुपयोग करते हुए ज्योति उसमें भी पढ़ाई करती थी। ज्योति अपनी इस अभूतपूर्व सफलता का श्रेय ईश्वर के साथ-साथ अपने माता-पिता, परिजनों एवं अपने दोस्तों को देती है।
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बिना किसी कोचिंग के हासिल किया मुकाम:-
विदित हो कि संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) द्वारा आयोजित इंडियन स्टैटिस्टिकल सर्विस परीक्षा-2019 (आईएसएस) का परीक्षा परिणाम बीते 10 जनवरी को जारी किया गया है। इस परीक्षा परिणाम में ज्योति ने आॅल इंडिया लेवल पर 11वीं रैंक हासिल की है। मूल रूप से राज्य के अल्मोड़ा जिले के रानीखेत तहसील से 30 किमी दूर स्थित पेटशाल गांव की रहने वाली ज्योति ने अपनी प्रारम्भिक शिक्षा केन्द्रीय विद्यालय से प्राप्त की। बचपन से ही पढ़ाई में अव्वल दर्जे की छात्रा ज्योति ने हाईस्कूल की परीक्षा 92 प्रतिशत तो इंटरमीडिएट की परीक्षा 86 प्रतिशत अंकों के साथ उप्तीर्ण की। बता दें कि दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक एवं परास्नातक की परीक्षा अच्छे अंकों से उत्तीर्ण करने वाली ज्योति के पिता सीआईएसएफ में है जबकि उसकी माता एक कुशल गृहिणी है। ज्योति ने स्नातक एवं परास्नातक में पूरे कॉलेज में दूसरा स्थान प्राप्त किया। परास्नातक के बाद प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाली ज्योति ने परिवार की आर्थिक स्थिति को देखते हुए नौकरी भी ज्वाइन की। अपने दूसरे प्रयास में आईएसएस की परीक्षा में सफलता हासिल करने वाली ज्योति ने बिना किसी कोचिंग के यह मुकाम हासिल किया।
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देवभूमि दर्शन से खास बातचीत:
देवभूमि दर्शन से खास बातचीत में ज्योति बताती है कि समय की कमी के कारण वह जाॅब में आने-जाने में लगने वाले समय का सदुपयोग कर उसमें भी पढ़ाई करती थी। हमेशा अपने लक्ष्य पर फोकस करने वाली ज्योति कहती हैं कि वह कभी भी अपनी असफलताओं से निराश नहीं हुई, सदैव अपनी गलतियों से सीखकर आगे बढ़ती गई। हमेशा अपने द्वारा बनाए गए टाइम टेबल का पालन करने के साथ-साथ सभी विषयों को बराबर समय दिया। यही उनकी सफलता का मूलमंत्र भी है। विकेंडस में जाॅब की छुट्टी होती तो छुट्टीयों में पूरा-पूरा दिन ज्योति केवल पढ़ाई ही करती रहती थी। ज्योति की इस उपलब्धि से जहां उनके घर में खुशी छाई हुई है वहीं पूरे क्षेत्र में भी हर्षोल्लास का माहौल है। ज्योति का सपना है कि वह भविष्य में देश की किसी अभूतपूर्व सफलता का हिस्सा बनें। साथ ही ज्योति यह भी कहती हैं कि वह अपने ज्ञान और क्षमता का उपयोग कर अपनी मातृभूमि के लिए भी कुछ करना चाहती है। बता दें कि ज्योति के अलावा देवभूमि उत्तराखंड की दो बेटियों प्रीति तिवारी और भावना जोशी ने भी इस बार की आईएएस परीक्षा में सफलता हासिल की थी।
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