Uttarakhand govt employee news: सरकारी कर्मचारियों को हाई कोर्ट से मिली राहत, रद्द हुआ रिकवरी आदेश..
Big relief for govt employee, High Court cancels recovery order uttarakhand latest news today: उत्तराखंड हाई कोर्ट की ओर से सरकारी कर्मचारियों के लिए एक राहत की खबर सामने आ रही है कि, उनके वेतन से अतिरिक्त भुगतान की वसूली रिकवरी के आदेश को रद्द कर दिया गया है। बताते चले यह फैसला न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की एकल पीठ ने राम उजागर बनाम उत्तराखंड राज्य और अन्य संबंधित याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए 26 नवंबर 2025 को फैसला सुनाया।
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आपको जानकारी देते चलें नैनीताल हाई कोर्ट की ओर से सरकारी कर्मचारियों के वेतन निर्धारण उन्हें मिले वितीय लाभो से संबंधित मामले मे लेखा परीक्षा दल की आपत्ति के बाद सक्षम प्राधिकारी ने कर्मचारियों से अधिक भुगतान की वसूली का आदेश दिया था। इस मामले मे वेतन निर्धारण मे हुई त्रुटि के कारण अतिरिक्त वेतन इंक्रीमेंट का लाभ मिला है। यह वसूली आदेश मुख्यत 27 में 2019 के एक सरकारी शासनादेश पर आधारित था। याचिकाकर्ता राम उजागर और अन्य कर्मचारियों ने इन वसूली आदेशों को उच्च न्यायालय में चुनौती दी। कर्मचारियों के अधिवक्ताओं ने दलील दी कि उन्हें यह भुगतान सक्षम अधिकारियों द्वारा नियम अनुसार दिये गए थे।
वसूली के आदेश पर हाई कोर्ट ने सुनाया फैसला ( nainital highcourt news)
लम्बे समय बाद एक तरफ वसूली का आदेश देना प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों के विरुद्ध है उन्होंने तर्क दिया है कि यह वसूली कर्मचारियों के लिए अत्यधिक कठोर और मनमानी है। न्यायालय ने मामले की सुनवाई के दौरान पाया कि एक समन्वय पीठ पहले ही एक समान मामले पर फैसला सुना चुकी है। उस फैसले का लेखा परीक्षा रिपोर्ट और 27 में 2019 के सरकारी आदेश दोनों को रद्द कर दिया गया था। सरकारी अधिवक्ता ने वसूली के आदेश को सही ठहराते हुए दलील दी की सक्षम प्राधिकारी को लेखा परीक्षा टीम की आपत्ति के बाद अधिक भुगतान की वसूली का आदेश देने का अधिकार है। उन्होंने तर्क दिया कि कर्मचारी संशोधित वेतनमान का विकल्प से मिलते समय एक अंडरटेकिंग दे चुके थे।
सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद उच्च न्यायालय ने वसूली के आदेश को किया रद्द (nainital news today)
सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद उच्च न्यायालय ने कर्मचारियों की याचिकाओं को स्वीकार करते हुए वसूली के आदेश को रद्द कर दिया है। हालांकि न्यायालय ने यह स्पष्ट करते हुए कहा की इस आदेश से सक्षम प्राधिकारी को कर्मचारियों के वेतन को लागू नियमों/नीति के अनुसार उपयुक्त स्तर पर पुनः निर्धारित करने से नहीं रोका जाएगा। यानी भविष्य के वेतन निर्धारण पर पुनर्विचार किया जा सकता है लेकिन पिछली वसूली के आदेश को तत्काल निरस्त कर दिया गया है।