Uttrakhand news Live Hindi: हरिद्वार के दंपति ने अपनी ढाई दिन की बच्ची के शव को दून मेडिकल कॉलेज को किया दान, हार्ट प्रॉब्लम के चलते नन्ही बच्ची ने तोड़ा था दम..
Uttrakhand news Live Hindi: उत्तराखंड की राजधानी देहरादून से देहदान के प्रति जागरूकता पैदा करने वाला एक अनूठे उदाहरण का मामला सामने आया है जहां पर हरिद्वार के एक दंपति ने अपनी ढाई दिन की बच्ची का देहदान किया है। दरअसल ढाई दिन की बच्ची हृदय समस्या के कारण काफी परेशानी से जूझ रही थी जिसको बचाने के काफी प्रयास किए गए लेकिन अंत में बच्ची ने दम तोड़ दिया जिसके बाद बच्ची के माता-पिता ने देहरादून मेडिकल कॉलेज को बच्ची का शव दान किया। ऐसा उत्तराखंड समेत देश में पहली बार हुआ है जब इतनी छोटी उम्र की बच्ची के शव को मेडिकल शोध और शिक्षा के लिए दान किया गया हो। इस निर्णय के पीछे दंपति की सोच यह थी कि उनकी बच्ची का जीवन भले ही छोटा रहा हो लेकिन वो दूसरों के लिए कुछ काम आ सके। इस घटना से उत्तराखंड में न केवल चिकित्सा शिक्षा को लाभ मिलेगा बल्कि ये समाज में मानवता और परोपकार का भी संदेश देता है।
अभी तक मिली जानकारी के अनुसार हरिद्वार जिले के पुरुषोत्तम नगर निवासी मगन देवी पत्नी राम मेहर ने बीते 8 दिसंबर की 3:30 बजे देहरादून अस्पताल में एक बच्ची को जन्म दिया। जिस पर अस्पताल के बाल रोग विशेषज्ञ डॉक्टर अशोक कुमार ने बताया कि बच्ची को जन्म के समय बर्थ एक्सफिक्सिया नाम की बीमारी हो गई थी। जिसके चलते बच्ची को सांस लेने में काफी तकलीफ हो रही थी इतना ही नहीं बल्कि ऑक्सीजन बच्ची के मस्तिष्क तक नहीं पहुंच रही थी जिससे लगातार ऑक्सीजन की मात्रा घट रही थी। बच्ची को बचाने के लिए काफी प्रयास किए गए इतना ही नहीं बल्कि जन्म के बाद से ही नन्ही जान वेंटिलेटर सपोर्ट पर थी लेकिन काफी प्रयासों के बाद भी बच्ची को बचाया न जा सका। जिसके कारण बीते मंगलवार की देर रात करीब 2: 34 बजे बच्ची ने दम तोड़ दिया।
Body donate in doon medical college:
बच्ची को खोने का गम उसके माता पिता समेत समस्त परिजनों को हुआ लेकिन बीते बुधवार को दिवंगत बच्ची को उनके पिता राम मेहर की मौजूदगी में दून मेडिकल कॉलेज के एनाटॉमी विभाग को सौंपा गया। दून मेडिकल कॉलेज के एनाटॉमी विभाग के अध्यक्ष डॉक्टर एम के पंत ने बताया कि बच्ची का शव कॉलेज संग्रहालय में रखा जाएगा। इतना ही नहीं बल्कि शव को लंबे समय तक सुरक्षित रखने के लिए उस पर थर्मालीन तरल का लेप लगाया जाएगा। चिकित्सकों ने बताया कि ये देश का पहला अवसर है जब मात्र ढाई दिन की बच्ची का देहदान किया गया है। बताते चलें राम महर को बच्ची के देहदान की प्रेरणा उनके मोहल्ले के डॉक्टर राजेंद्र सैनी से मिली है। चिकित्सकों ने बताया कि इससे पहले 7 दिन के बच्चे का देहदान किया गया था देहदान से पूर्व बच्ची का नाम सरस्वती रखा गया।
एनाटॉमी विभाग के अध्यक्ष डॉक्टर एमके पंत ने बताया कि कॉलेज के संग्रहालय में रखे जाने वाले शवो के दर्शन के लिए उनके परिवार को अनुमति नहीं दी जाती है क्योंकि इससे परिवार के लोग मानसिक पीड़ा में जा सकते हैं। दधीचि देहातन समिति के अध्यक्ष डॉक्टर मुकेश गोयल ने बताया कि समिति की ओर से ये 14वां देहदान कराया गया है। जबकि दून मेडिकल कॉलेज में अब तक 33 शवों का देहदान हो चुका है। बच्ची का देहदान करने वाले माता-पिता को दून मेडिकल कॉलेज की ओर से पौधा भेंट कर सम्मानित किया गया।