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Uttarakhand news: mother lost her 12-year-old son in the Haridwar Mansa Devi stampede
Image : social media ( Haridwar Mansa Devi stampede)

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हरिद्वार मनसा देवी भगदड़ में एक मां ने खोया 12 वर्षीय बेटा, भीड़ में तलाशती रही आंखें

Haridwar Mansa Devi stampede: मनसा देवी मंदिर में भगदड़ के चलते चली गई 12 वर्षीय आरुष की जिंदगी, परिजनो पर टूटा दुखो का पहाड़…..

Haridwar Mansa Devi stampede: उत्तराखंड के हरिद्वार जिले के मनसा देवी मंदिर से बीते रविवार को एक दुखद खबर सामने आई जहां पर भारी भीड़ मे भगदड़ मचने से आठ लोगों की जिंदगी चली गई जिनके परिजनों पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा। जिसने भी इस घटना को घटित होता देखा या इस घटना के बारे में जिसने भी सुना उनकी रूह कांप उठी । इतना ही नहीं बल्कि इस घटना में उत्तर प्रदेश के 12 वर्षीय आरुष की जिंदगी भी चली गई जिसको उसकी मां तलाशती रही मगर उसे कहा मालूम था कि आरुष अब कभी भी लौट कर नहीं आने वाला है।

यह भी पढ़े :Haridwar Mansa Devi Incident: हरिद्वार मनसा देवी मंदिर में मची भगदड़ 6 की गई जिंदगी

अभी तक मिली जानकारी के अनुसार उत्तरप्रदेश के बरेली के शाही गांव के निवासी प्रवेश कुमार उर्फ पंकज यदुवंशी की पत्नी विमला अपने 12 वर्षीय बेटे आरुष और बेटी सौम्या को लेकर बीते 25 जुलाई को अपने माईके रामपुर के कैमरी के गांव पदपुरी गई थी जहां पर वह मायके से अपने भाई राजीव और बच्चों के साथ हरिद्वार के मनसा देवी मंदिर के दर्शन करने के लिए पहुंची थी। तभी रविवार की सुबह सभी लोग मंदिर के दर्शन करने के लिए पैदल रास्ते से जा रहे थे इतने में ही कुछ लोगों द्वारा करंट फैलने की अफवाह फैलाई गई जिससे मौके पर ही भगदड़ मच गई।

झूठी अफवाह के कारण मासूम की गई जिंदगी 

वही भगदड़ में विमला देवी और उनका बेटा आरुष तथा सौम्या भीड़ में दबकर गंभीर रूप से घायल हो गए जिन्हे हरिद्वार प्रशासन द्वारा ऋषिकेश के एम्स अस्पताल में भर्ती करवाया गया जहां पर आरुष की उपचार के दौरान जिंदगी चली गई जबकि विमला और सौम्या का उपचार चल रहा है। जैसे ही इस घटना की खबर आरुष के गांव पहुंची तो उसके परिजनों को गहरा सदमा लगा वहीं पूरे गांव में सन्नाटा पसर गया। बताते चले आरुष घर का इकलौता बेटा था जो इस हादसे मे अपने परिवार वालो से हमेशा के लिए बिछड़ गया ।

बेटे की मौत की सूचना पर अपना दर्द भूल गई माँ

विमला को जैसे ही आरुष के मौत की खबर मिली तो वह अपना दर्द भूलकर आरुष को खोजती रही मगर उसे कहा मालूम था कि जिसे वो खोज रही है उसकी हादसे मे मौत हो चुकी है । आरुष की मौत की खबर सुनते ही विमला को गहरा सदमा लगा और वह बार-बार अपने बेटे के शरीर को देखने की जिद करती रही। इतना ही नहीं बल्कि जिला अस्पताल में रोते बिलखते हुए विमला इधर-उधर भटक रही थी। रोते रोते विमला एक ही बात कह रही थी कि उड़न खटोले में जाने की सोच रहे थे काश हमने मन की बात पर अमल किया होता तो आज आरुष हमारे बीच होता।

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