Nitish Pharasi assistant accountant
परिवार की विषम परिस्थितियों से जूझते हुए नीतीश ने हासिल की सफलता, सरकारी नौकरी की तैयारी कर रहे अन्य युवाओं के लिए काफी प्रेरणादायक है नीतीश की कहानी….
Nitish Pharasi assistant accountant
लाख दलदल हो पर पांव जमाए रखना,
हाथ खाली ही सही मगर उठाए रखना।
कौन कहता है छलनी में पानी नहीं रुकता,
बस बर्फ बनने तक विश्वास बनाए रखना॥
इन चंद पंक्तियों को एक बार फिर सही साबित कर दिखाया है उत्तराखंड के एक होनहार वाशिंदे ने। जी हां… हम बात कर रहे हैं विषम परिस्थितियों के बावजूद सफलता का ऊंचा मुकाम हासिल करने वाले नीतीश फरासी की, जो मूल रूप से राज्य के देहरादून जिले के गुजराड़ा मानसिंह के रहने वाले हैं। बता दें कि नीतीश फरासी ने अपनी कड़ी मेहनत और लगन के बलबूते उत्तराखण्ड लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित असिस्टेंट अकाउंटेंट की परीक्षा में सफलता हासिल की है। सबसे खास बात तो यह है कि 45 वर्षीय नीतीश ने इस परीक्षा के परिणामों में बिना किसी कोचिंग के 5वीं रैंक हासिल की है। जिसके बाद उन्हें सूचना एवं संपर्क विभाग में पहली नियुक्ति मिली है। नीतीश की इस अभूतपूर्व उपलब्धि से जहां उनके परिवार में हर्षोल्लास का माहौल है वहीं उनके घर पर भी बधाई देने वालों का तांता लगा हुआ है। उन्होंने अपनी इस सफलता को मां काली और बजरंगबली का भी आशीर्वाद बताया है, जिसके कारण ही उनकी मेहनत आज रंग लाई है।
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देवभूमि दर्शन से खास बातचीत:-
देवभूमि दर्शन से खास बातचीत में नीतीश ने बताया कि उन्होंने अपनी प्रारम्भिक शिक्षा प्राथमिक विद्यालय गुजराड़ा मानसिंह से प्राप्त करने के उपरांत राजकीय इंटर कॉलेज गुजराड़ा मानसिंह से इंटरमीडिएट की परीक्षा उत्तीर्ण की। जिसके उपरांत उन्होंने डीएवी कॉलेज करनपुर देहरादून से बीकाम की डिग्री हासिल की। जिसके बाद उन्होंने सरकारी नौकरी की तैयारी करनी शुरू कर दी। इसी दौरान उनके सेवानिवृत्त सैनिक पिता ज्ञान चन्द्र फरासी का निधन हो गया। परिवार पर टूटे इस दुःख के पहाड़ ने उनके सम्मुख भी विकट परिस्थितियां उत्पन्न कर दी परंतु उन्होंने हार नहीं मानी। उन्होंने बताया कि उनकी मां ज्ञान बाला एक कुशल गृहिणी हैं।
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बताते चलें कि अपनी सफलता का श्रेय अपनी कड़ी मेहनत और लगन के साथ ही विषम परिस्थितियों में भी आत्मविश्वास ना खोने की सोच को देने वाले नीतीश कहते हैं कि अपनों के ताने अक्सर आदमी में सफल होने का जूनून भर देते हैं। वह आगे कहते हैं कि आज उनकी सफलता पर लोग उन्हें बधाई दे रहे हैं। पर यह कामयाबी ऐसे ही नहीं मिली है। सच्चाई यही है कि कामयाब होने के पीछे के संघर्ष भरे दिनों को कोई नहीं जानता। उनकी यह बातें वाकई सरकारी नौकरी की तैयारी कर रहे अन्य युवाओं के लिए काफी प्रेरणादायक है।