Pithoragarh ITBP soldier Ratanlal : आईटीबीपी के जवान की हृदय गति रुकने से चली गई जिंदगी, तीन बच्चों के सिर से उठा पिता का साया, परिजनों को लगा सदमा..
Pithoragarh ITBP soldier Ratanlal: उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले से समूचे देशवासियों के लिए एक दुखद खबर सामने आ रही है जहां पर मुनस्यारी के उच्च हिमालय क्षेत्र बुगड़ियार चौकी मे तैनात 14 वीं बटालियन के आईटीबीपी के जवान रतनलाल गुर्जर की पेट्रोलिंग के दौरान ह्रदय गति रुकने से जिंदगी चली गई जिसके चलते तीन बच्चों के सिर से हमेशा के लिए पिता का साया उठ गया। रतनलाल की शहादत की खबर सुनते ही उनकी पत्नी बेसुध हो गई वहीं उनके परिजनों में दुखो का पहाड़ टूट पड़ा इतना ही नही बल्कि पूरे प्रदेश में शोक की लहर दौड़ गई है।
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अभी तक मिली जानकारी के अनुसार राजस्थान के जवान सीकर के श्रीमाधोपुर के निवासी 37 वर्षीय रतनलाल गुर्जर 14 वीं बटालियन जाजरदेवल मे तैनात थे जिनकी तैनाती इन दिनों सीमांत जिले पिथौरागढ़ के मुनस्यारी के उच्च हिमालयी क्षेत्र चीन सीमा के नजदीक बुगडियार चौकी मे थी । दरअसल रतनलाल अपने साथियों की मदद के लिए चौकी से निकलकर मिलम जा रहे थे तभी इस दौरान मपांग के पास पहुंचते ही उन्हे अचानक से दिल का दौरा पड़ गया जिसके चलते उनके साथियों ने उन्हें तुरंत अस्पताल पहुंचाने के लिए हेलीकॉप्टर की माँग की इतना ही नही बल्कि रतनलाल को बचाने के लिए उनके साथी उन्हें दुर्गम रास्तो और चट्टानों के बीच हौसला जुटाते हुए उन्हें चार किलोमीटर दूर बुगडियार हेलीपैड तक ले गए जहाँ से ITBP और प्रशासन के सहयोग से हेलीकॉप्टर के जरिए जवान को सैन्य क्षेत्र विण और वहां से वाहन के जरिए जिला अस्पताल ले जाया गया मगर तब तक जवान की जान बचाने के लिए काफी देर हो चुकी थी। अस्पताल पहुंचते ही डॉक्टरों ने जवान को मृत घोषित कर दिया जिसके बाद जवान के शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया वहीं बीते गुरुवार की सुबह आईटीबीपी के अधिकारियों और जवानों के गॉर्ड ऑफ ऑनर उनके पार्थिव शरीर को श्रद्धांजलि देने के लिए उनके गृह क्षेत्र पहुंचे। जवान की शहादत की खबर सुनते ही उनके परिजनों में मातम पसर गया।
आइटीबीपी जवान रतनलाल बीते वर्ष 2 दिसंबर को 45 दिन के अवकाश के लिए अपने घर गए थे जहां पर उन्होंने अपनी पत्नी दो बेटियों और बेटे के साथ काफी समय गुजारते हुए उनसे जल्द मिलने का वादा करते हुए 15 जनवरी को ड्यूटी पर लौटे लेकिन उन्हें नहीं मालूम था कि यह उनकी अपने परिजनों के साथ अंतिम मुलाकात होने वाली है। घर से लौटने के 82 दिन बाद रतनलाल की जिंदगी चली गई जिसकी खबर सुनते ही उनके परिजनों में कोहराम मच गया वहीं उनके हंसते खेलते परिवार की खुशियां पल भर में उजड़ गई।