Roshama tilu Rauteli award : रोशमा देवी ने बंजर खेतों को किया आबाद, 2.50 हेक्टेयर में करती है सब्जी का उत्पादन व पशुपालन से बढ़ा रही अपनी जीविका, तीलू रौतेली पुरस्कार से हुई सम्मानित...
roshama devi of khirashu block Pauri Garhwal got tilu Rauteli award 2025 in farming uttarakhand : उत्तराखंड की महिलाओं व बेटियों को उनके द्वारा विभिन्न क्षेत्रों में किए गए उत्कृष्ट कार्यो के लिए हर वर्ष तीलू रौतेली पुरस्कार से राज्य सरकार की ओर से सम्मानित किया जाता है। इसी क्रम में पौडी जिले की रोशमा देवी को तीलू रौतेली पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। दरअसल यह सम्मान उन्हें गांव में रहकर सफलता की नई इबारत लिखने के लिए दिया गया है,जिन्होंने गांव में रहकर बंजर पड़े खेतों मे ना सिर्फ सब्जी उगाकर उन्हे आबाद किया है बल्कि इसके साथ ही पशुपालन के जरिए अपनी आजीविका को भी विस्तार दिया है।
यह भी पढ़े :Uttarakhand tilu Rauteli Anganwadi Award 2025: 46 महिलाओं को तीलू रौतेली आंगनबाड़ी पुरस्कार
अभी तक मिली जानकारी के अनुसार पौडी जिले के खिर्सू विकासखंड स्थित गुमडू गांव की निवासी रोशमा का विवाह वर्ष 2010 में पौडी के डुंगरी गांव के निवासी ध्रुव सिंह से हुआ। दरअसल ध्रुव एक उन्नत किसान है वहीं दूसरी और रोशमा मायके से ही खेती बाड़ी किसानी में माता-पिता का हाथ बंटाती आ रही है। इसलिए रोशमा ने अपने ससुराल में भी खेती और पशुपालन को आजीविका का आधार बनाने की ठानी। इतना ही नहीं बल्कि रोशमा ने सब्जी तिलहन और अन्य फसलों के उत्पादन को साकार रूप देकर परिवार के साथ साझा किया और परिवार के प्रोत्साहन की वजह से आज वह 2.50 हेक्टेयर भूमि में सब्जी उगा रही हैं। इसके साथ ही वह बकरी पालन और मशरूम उत्पादन भी कर रही हैं। रोशमा दो स्वयं सहायता समूह मां लक्ष्मी और मां बालमातेश्वरी मधुरम से भी जुड़ी हुई है। इसके क्षेत्र में उन्होंने पर्यावरण संरक्षण की दिशा में कार्य करते हुए करीब 1,200 से अधिक विभिन्न प्रजाति के पौधे रोपकर उनके संरक्षण का संकल्प लिया है।
पिछले 15 वर्षों से कृषि और पशुपालन में सक्रिय रही है रोशमा
बताते चलें पिछले 15 वर्षों से रोशमा देवी कृषि और पशुपालन में अपनी सक्रीय भूमिका निभा रही है जिनके पास जर्सी बद्री और एचएफ नस्ल की गाय भी है जो रोजाना 30 से 35 लीटर दूध का उत्पादन करती है। इसके साथ ही पनीर और देसी घी का भी उत्पादन कर रोशमा अच्छी खासी आय अर्जित कर रही हैं। इस वर्ष रोशमा ने 8 क्विंटल आलू का जैविक उत्पादन कर ₹40 प्रति किलो के भाव से बेचते हुए लगभग 20,000 का लाभ अर्जित किया है। जबकि मसूर की फसल से उन्हें 180 से 200 प्रति किलो का मूल्य मिला है। रोशमा की मेहनत देखते हुए उन्हें श्रीनगर गढ़वाल में आयोजित होने वाले बैकुंठ चतुर्दशी मेले में प्रदर्शनी में सब्जी उत्पादन के लिए प्रथम पुरस्कार भी प्रदान किया गया था। इसके अलावा ग्रामीण रोजगार प्रशिक्षण संस्थान में भी वह सम्मानित हो चुकी हैं। जबकि वर्ष 2013 में उन्होंने नोएडा में इंस्टीट्यूट आफ हॉर्टिकल्चर टेक्नोलॉजी द्वारा राष्ट्रीय स्तर के कार्यक्रम में प्रतिभाग किया था।
रोशमा इन सब्जियों का करती है उत्पादन
रोशमा पत्तागोभी, फूलगोभी, मटर, तुरई, बीन्स, चचिंडा, आलू, प्याज, शिमला मिर्च, लौकी, कद्दू, भिंडी, टमाटर सहित अन्य सब्जियों का उत्पादन करती हैं। ये सभी सब्जियां जैविक रूप में उत्पादित की जाती है। इसके अलावा वह तिलहन, मसूर, पहाड़ी भट, सोयाबीन, काली दाल, गहत, तोर, राई की भी खेती कर रही हैं।
उत्तराखंड की सभी ताजा खबरों के लिए देवभूमि दर्शन के व्हाट्सएप ग्रुप से जुड़िए।।