चमोली: नरसिंह बाबा की नगरी जोशीमठ में त्राहि-त्राहि बड़ी आपदा के संकेत
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उत्तराखंड लोक देवता बाबा नरसिंह की नगरी और तपोस्थली कही जाने वाली जोशीमठ अब खतरे की जद में आ चुका है और एक बड़ी आपदा के बादल इस उत्तराखंड लोक देवता बाबा नरसिंह की नगरी और तपोस्थली कही जाने वाली जोशीमठ अब खतरे की जद में आ चुका है और एक बड़ी आपदा के बादल इस शहर पर मंडरा रहे हैं। आपको बता दें कि उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित जोशीमठ बद्रीनाथ धाम और हेमकुंड साहेब के रास्ते में 6000 फुट की ऊंचाई पर बसा हुआ है। जोशीमठ अति जोखिम वाले भूकंपीय क्षेत्र में आता है। पौराणिक शहर और आदि गुरू शंकराचार्य की कर्मभूमि जोशीमठ एक धंसते शहर के रूप में तब्दील होता जा रहा है। शहर में सड़कों से लेकर लोगों के घरों तक चौड़ी होती दरारों को देखा जा सकता है, जो एक तबाह होते शहर की कहानी बयां कर रहे हैं। हालात ऐसे हो गए हैं कि लोगों को अपने पुश्तैनी घरों को ढहने के लिए छोड़, एक बेसहारा के रूप में स्कूल, कार्यालय आदि में शरण लेनी पड़ रही है। गेटवे ऑफ हिमालय कहे जाने वाले इस शहर में अब धरती फाड़कर जगह-जगह से पानी निकलने लगा है। यह पानी सीधे जमीन से आ रहा है, सीवर लाइन या अन्य किसी पाइपलाइन का लीकेज नहीं है।
(Joshimath Landslide news)
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ऐसे में सवाल यह है जिस शहर के निशान पुराणों में मिलते हैं, जहां 1200 साल पहले आदि गुरू शंकराचार्य ने तप साधना की, उस शहर पर विकास के दौर में अस्तित्व का संकट कैसे खड़ा हो गया। जी हां इन दिनों उत्तराखंड एक बड़ी प्राकृतिक आपदा की आहट से गुजर रहा है। बात चमोली जिले के जोशीमठ की हो रही है जहां भू धंसाव की घटनाएं लगातार बढ़ती जा रही है। जिससे जोशीमठ के सैकड़ों घरों में दरारें पड़ गयी हैं, और हजारों लोगों के आसियानों पर संकट के बाद मंडराने लगे हैं। ऐसे में एक बड़ा सवाल यह भी उठ रहा कि क्या पहाड़ के लोग विकास की कीमत चुका रहे हैं। दरअसल इस घटना से शासन प्रशासन भी अलर्ट मोड पर आ गया है। प्रभावित लोगों को लगातार सुरक्षित स्थानों पर विस्थापित किया जा रहा है। बता दें कि जोशीमठ के सैकड़ों घर, अस्पताल सेना के भवन, मंदिर, सड़कों में हो रहा भूमि धंसाव दिन प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा है। जिससे लोगों के घरों में अब भारी-भरकम दरारें आसानी से देखी जा सकते हैं। कुछ रिपोर्ट्स में सामने आए कारणों के मुताबिक एक तरफ तपोवन विष्णुगढ़ परियोजना की एनटीपीसी की सुरंग ने जमीन को भीतर से खोखला कर दिया है दूसरी तरफ बायपास सड़क जोशीमठ की जड़ पर खुदाई करके पूरे शहर की बुनियाद को नीचे से हिला रही है। ऐसे में लोग अपने घरों को बल्लियों के सहारे टिकाए रहने को भी मजबूर हैं और शहर पर मंडरा रहे हैं।
(Joshimath Landslide news)
रेनू नेगी एक अनुभवी लेखिका हैं, जो देवभूमि दर्शन मीडिया के साथ लंबे समय से सक्रिय रूप से जुड़ी हुई हैं। वह राजनीतिक, खेल और सांस्कृतिक विषयों पर सटीक, संवेदनशील और तथ्यपरक लेखन के लिए जानी जाती हैं। उनके लेखों में स्थानीय संस्कृति की आत्मा, राजनीतिक परिप्रेक्ष्य की गहराई, और खेल जगत की जीवंतता स्पष्ट रूप से देखने को मिलती है।
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