Chakrata Marriage News Dehradun : 4 घंटे में 7 किलोमीटर का पैदल सफर कर दूल्हा पहुँचा दुल्हन लेने, बारातियों के छुटे पसीने…
Chakrata Marriage News Dehradun : उत्तराखंड में आज भी ऐसे कई सारे जिले मौजूद हैं जहां के ग्रामीण इलाकों में अभी तक सड़के नहीं पहुंच पाई है जिसके चलते यहां पर स्थानीय लोगों समेत अन्य लोगों को गांव तक पहुंचने के लिए लम्बी दूरी तक पैदल सफर करना पड़ता है। ऐसी ही कुछ खबर राजधानी देहरादून के चकराता क्षेत्र के उदांवा गांव से सामने आ रही है जहां पर एक दूल्हा अपनी दुल्हन को लेने के लिए बारातियों के साथ 7 किलोमीटर स्थित दसऊ गांव पैदल चलकर 4 घंटे में पहुंचा। बताते चले दोनों गांव के बीच सड़क की सुविधा नहीं है जिसके कारण अक्सर लोगों को इन गांवों के रास्ते पर पैदल ही गुजरना पड़ता है।
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अभी तक मिली जानकारी के अनुसार राजधानी देहरादून के चकराता क्षेत्र के उदांवा गांव के निवासी प्रीतम सिंह चौहान पुत्र वीर सिंह चौहान का विवाह सात किलोमीटर दूर स्थित दसऊ गांव की एक युवती के साथ तय हुआ था जिसके चलते बीते गुरुवार को बारात घर निकली और करीब 7 किलोमीटर की खड़ी चढ़ाई चढ़ते चढ़ते दूल्हे समेत उसके परिजन साथी अन्य रिश्तेदारों के दुर्गम खतरनाक पगडंडियों को पार करते करते पसीने छुट गए इतना ही नही बल्कि कुछ बाराती रास्ते पर चढ़ते समय हांफ्ते हुए नजर आए। बताते चले उदांवा गांव मे अभी तक मोटर मार्ग नहीं जुड़ पाया है जिसके कारण ग्रामीणों को अक्सर सड़क न होने के कारण इस समस्या से रोजाना जूझना पड़ता है। वहीं यदि गांव का कोई सदस्य बीमार पड़ जाता है तो उसे सड़क न होने के कारण डंडी कंडी के सहारे अन्य गांव के लोग सड़क तक पहुंचाते हैं इसके अलावा उनके पास दूसरा कोई उपाय नहीं है जिसका वह उपयोग कर सके। ग्रामीणों का कहना है कि वह लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों से काफी बार मोटरमार्ग को जोड़ने की बात कह चुके हैं लेकिन अब तक इस पर कोई कार्यवाही नहीं हुई है।
350 आबादी वाले गांव मे नही है सड़क
बताते चलें उदांवा गांव में 350 आबादी है जहां पर वर्ष 2018 में शासन स्तर से 5 किलोमीटर लंबे मोटर मार्ग के निर्माण की मंजूरी मिली थी लेकिन उस समय सड़क निर्माण के लिए लोक निर्माण विभाग के खंड चकराता और वन विभाग ने संयुक्त सर्वे भी किया मगर बाद में मानको के अनुसार सड़क की चौड़ाई 5.95 मी कर दी गई हालांकि चौड़ाई बढ़ने के कारण सड़क की जद मे 33 बांज के पेड़ आ गए जिसके कारण पर्यावरण मंत्रालय की अनापत्ति के लिए लोक निर्माण विभाग ने केंद्र को रिपोर्ट भेजी लेकिन मंत्रालय ने उसे वापस लौटाते हुए दोबारा से अनापत्ति के लिए रिपोर्ट विभागों को भेजी। हालांकि पिछले साल अप्रैल के महीने में वन विभाग और लोक निर्माण विभाग की टीम ने सड़क के लिए संयुक्त सर्वे किया था मगर अभी भी इस पर कोई फैसला न होने के कारण सड़क का निर्माण नहीं हो पाया।
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