Uttarakhand Delhi roadways buses : दिल्ली रूट पर पुरानी बसों पर रहेगा प्रतिबंध, उत्तराखंड रोडवेज के सामने बड़ा संकट, 500 इलेक्ट्रिक बसो की मांग हुई तेज..
Uttarakhand Delhi roadways buses : उत्तराखंड परिवहन निगम की ओर से दिल्ली रूट पर कई सारी रोडवेज बसें चलाई जाती है जिनमें अधिकांश पुरानी बसें शामिल है जिन पर अब दिल्ली रूट में प्रतिबंध लग गया है जिसके कारण उत्तराखंड परिवहन निगम ने 500 इलेक्ट्रिक बसो की मांग की है जिसे उत्तरांचल रोडवेज कर्मचारी यूनियन ने निगम की वित्तीय स्थिति को सुधारने के लिए उठाया है। यूनियन का मानना है कि इलेक्ट्रिक बसो से रोजाना 10000 रुपये तक की बचत हो सकती है जिसके तहत वातानुकूलित बसों की संख्या बढ़ाने का सुझाव दिया गया है ताकि यात्रियों को सुविधा व राहत मिल सके। बताते चले 1 नवंबर से दिल्ली रूट पर पुरानी बसों पर रोक लगने वाली है जिसके कारण दिल्ली में सिर्फ bs6 सीएनजी या इलेक्ट्रिक बसों को ही 1 नवंबर से प्रवेश मिलेगा।
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अभी तक मिली जानकारी के अनुसार उत्तराखंड परिवहन निगम के पास अभी केवल 130 bs6 बसे और 175 सीएनजी अनुबंधित बसें हैं इन्हीं 175 अनुबंधित बसों में केवल 12 वोल्वो बसें शामिल है ऐसे में यदि उत्तराखंड परिवहन निगम को नई बसें नहीं मिली तो नवंबर से उत्तराखंड से दिल्ली के लिए जाने वाली बसों का संकट खड़ा हो सकता है जिससे यात्रियों को असुविधा होगी। उत्तरांचल रोडवेज कर्मचारी यूनियन के प्रदेश महामंत्री अशोक चौधरी ने इस संबंध में निगम प्रबंधन निदेशक रीना जोशी को पत्र भेजा है जिसमें उन्होंने परिवहन निगम की स्थिति खराब होने की बात कही है इतना ही नहीं बल्कि उनका कहना है कि कर्मचारियों को लंबे समय से उनका वेतन तक नहीं मिला है। निगम की प्रशासनिक तकनीकी तथा वित्तीय स्थिति सुधारने के लिए यूनियन की ओर से पहले भी कई बार सुझाव दिया जा चुका है लेकिन निगम प्रबंधन इसके लिए किसी भी प्रकार का कोई ठोस कदम नहीं उठा रहा है। ऐसे में कर्मचारी यूनियन ने सुझाव देते हुए परिवहन निगम बस के बेडे में 500 इलेक्ट्रिक बसे शामिल करने की मांग की है। बताते चले यूनियन का कहना है कि डीजल बसो का रोजाना तकरीबन 500 किलोमीटर संचालन किया जाए जबकि इलेक्ट्रिक बसो का संचालन करने पर ₹10000 की बचत संभव है यानी एक बस पर ढाई लाख रुपए प्रति माह और 30 लाख रुपए वार्षिक संचालन की बचत आ सकती है। इलेक्ट्रिक बसो की वारंटी सहित आयु 8 वर्ष है यदि इन बसों को शामिल किया जाए तो रोजाना 50 लाख रुपए तक की बचत हो सकती है।
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