Patal bhuvaneshwar cave history: पिथौरागढ़ जिले के गंगोलीहाट में स्थित है पाताल भुवनेश्वर गुफा, जाने इसके बारे में रोचक तथ्य…
हमारा देश भारत हमेशा से ही अपने रहस्यमई मंदिरों और गुफाओं के लिए विश्व भर में प्रसिद्ध है। यहां कई प्रकार के मंदिर और गुफाएं हैं, जिनके बारे में हैरान कर देने वाले किस्से और तथ्य सामने आते हैं। यहां की कुछ गुफाएं और मंदिर इतने रहस्यमई और चमत्कारिक होते हैं कि देश–विदेश से लोगों के साथ-साथ वैज्ञानिक भी इनकी रहस्य को जाने के लिए इन गुफा और मंदिरों की ओर आकर्षित होते हैं। आज हम आपको ऐसे ही भगवान शिव की जटा वाली एक चमत्कारिक एवं रहस्यमई गुफा के बारे में बताएंगे जो कि उत्तराखंड में स्थित है, जिसने अपने चौका देने वाले रहस्यों से केवल उत्तराखंड के लोगों का ही नहीं बल्कि देश और दुनिया का ध्यान अपनी ओर खींचा है। इस गुफा के बारे में वैज्ञानिक तक भी नहीं जान सके कि आखिर इस गुफा का रहस्य क्या है। उत्तराखंड में स्थित इस गुफा का नाम है “पाताल भुवनेश्वर”।
(Patal bhuvaneshwar cave history)
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पाताल भुवनेश्वर गुफा उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले के गंगोलीहाट से 14 किलोमीटर आगे 90 फीट की गहराई में पहाड़ों पर स्थित है। इस गुफा के बारे में कहा जाता है कि इसमें कलयुग और दुनिया के अंत के बारे में रहस्य छुपा है और यह गुफा तय करेगा कि कलयुग का अंत कब होगा। उत्तराखंड में स्थित पाताल भुवनेश्वर मंदिर अपने आप में कई रहस्यों को समेटे हुए है। अत्यंत दुर्गम के साथ-साथ रोमांचक यह गुफा घने जंगलों के बीच में स्थित है। यह गुफा पहाड़ पर 90 फीट के अंदर स्थित है जिसमें भगवान भोलेनाथ की जटाओं को फैलाए हुए एक मूर्ति स्थापित है। इस गुफा में भगवान शिव की पूजा की जाती है और साथ ही यह स्थान भगवान भोलेनाथ के साथ-साथ 33 कोटि देवी देवताओं का निवास स्थान माना जाता है। इस गुफा में भगवान गणेश का कटा हुआ सर भी है। जिसके पीछे 108 पंखुड़ियों वाला ब्रह्म कमल एक चट्टान की आकृति पर बना हुआ है, जिससे लगातार पानी टपककर भगवान गणेश की मूर्ति पर गिरता रहता है। कहते हैं कि इस गुफा में विराजमान भगवान गणेश के कटे हुए सर की रक्षा स्वयं भोलेनाथ करते हैं।
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पुराणों के अनुसार उत्तराखंड के कुमाऊं में स्थित इस मंदिर में भगवान शिव ने तपस्या की थी। इस गुफा में भगवान शिव के साथ-साथ ब्रह्मा, विष्णु की मूर्ति भी स्थापित है और यह स्थान 33 कोटि देवी देवताओं का निवास स्थान भी माना जाता है। इस गुफा के अंदर लोहे के जंजीरों के सहारे प्रवेश किया जाता है और जिस पर भगवान भोलेनाथ की विशेष कृपा होती है वही सफलतापूर्वक गुफा तक पहुंच पाता है। यह गुफा बेहद विशालकाय पुराने पत्थरों से बनी हुई है, जिसके पत्थरों से लगातार पानी टपकता रहता है, जिसके कारण गुफा के अंदर बनी चट्टानें हर वक्त गीले रहते हैं। इस गुफा में प्रवेश करते ही हैरान कर देने वाली अद्भुत आकृतियां चट्टानों पर नजर आती है। गुफा के प्रवेश द्वार पर भगवान भोलेनाथ की जटा वाली प्रतिमा नजर आती है, जिससे लगातार पानी टपकता रहता है। इसी के साथ ही भगवान शिव, ब्रह्मा, विष्णु के एक साथ वाली प्रतिमा भी गुफा में मौजूद हैं। इसी के साथ गुफा में आगे बढ़ने पर शेषनाग की फन फैलाए हुए और पृथ्वी को सर पर रखे हुए चट्टानों पर बनी आकृति मिलती है,जो कि बेहद आकर्षक दिखती है। इस गुफा में आपको अमरनाथ के साथ-साथ केदारनाथ, बद्रीनाथ और 33 कोटि देवी देवताओं के दर्शन हो जाते हैं।
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कहा जाता है कि इस गुफा में सभी 33 कोटि देवी–देवता मिलकर भगवान भोलेनाथ की पूजा करते हैं। इस गुफा की खोज त्रेता युग में भगवान शिव के परम भक्त और अयोध्या के राजा ऋतुपूर्ण ने की थी और कलयुग में इस गुफा की खोज शंकराचार्य द्वारा की गई थी। अपने आप में बेहद रहस्य समेटे हुए यह गुफा अत्यंत ही आकर्षक है। इस गुफा में आपको पत्थरों से बने चार स्तंभ भी नजर आएंगे जो कि इस मंदिर की सबसे रहस्यमई और दुनिया के खौफनाक अंत की रहस्यों को समेटे हुए हैं। इन्हीं चारों पत्थरों का राज कलयुग के अंत से है। इन चार पत्थरों को सतयुग, द्वापर युग, त्रेता युग और कलयुग माना गया है। इन चार पत्थरों को चार द्वारों -मोक्ष द्वार, पाप द्वार, रण द्वार, तथा धर्म द्वार का रूप दिया गया है। तीनों युगों के प्रतीक 3 द्वार पहले ही बंद हो चुके हैं। मगर एक द्वार जो कि कलयुग का प्रतीक माना जाता है अभी भी खुला हुआ है। इन चारों द्वारों में स्थित पत्थरों में से कलयुग का पत्थर सबसे बड़ा माना गया है और यह धीरे-धीरे ऊपर उठ रहा है। किवदंतियों के अनुसार जिस दिन यह पत्थर गुफा की छत के दीवार को छू लेगा उस दिन दुनिया भर में भीषण प्रलय आ जाएगी और हमेशा के लिए कलयुग का अंत हो जाएगा। तो ये थी उत्तराखंड के पिथौरागढ़ में स्थित भगवान शिव की रहस्यमई गुफा पाताल भुवनेश्वर। पाताल भुवनेश्वर अपने आप में बेहद रोमांचक धार्मिक एहसासों एवं तमाम रहस्यों को समेटे हुए एक गुफा है, जो भगवान भोलेनाथ के साथ-साथ 33 कोटि देवी–देवताओं का निवास स्थल एवं कलयुग के अंत के प्रतीक के रूप में जाना जाता है। अपने आप में बेहद रहस्यमई इस गुफा के रहस्य के बारे में अभी तक कोई भी खोज नहीं कर पाया है। तो अगर आप भी प्रकृति प्रेमी और भगवान भोलेनाथ के परम भक्त हैं तो एक बार भगवान भोलेनाथ के इस गुफा में जाकर उनके साथ ही 33 कोटि देवी–देवताओं के दर्शन का सौभाग्य जरूर प्राप्त करें।
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