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Uttarakhand:Maa Haat Kalika temple gangolihat Pithoragarh is the adorable goddess of Kumaon Regiment.
फोटो: हाट कालिका मंदिर गंगोलीहाट (पिथौरागढ़, उत्तराखण्ड)

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Haat Kalika Kumaon Regiment: कुमाऊं रेजिमेंट की आराध्य देवी हैं मां हाट कालिका

Haat Kalika Kumaon Regiment: पिथौरागढ़ जिले के गंगोलीहाट में स्थित है मां हाट कालिका मंदिर, कुमाऊं रेजिमेंट की आराध्य देवी के रूप में जानी जाती हैं मां हाट कालिका, करती है अपनी भक्तों की मनोकामनाएं पूरी…

देवभूमि, पित्र भूमि और इष्ट भूमि आदि कई प्रकार के नामों से विख्यात उत्तराखंड अपने आप में एक रहस्यमई प्रदेश है। जितनी शांत यहां की वादियां हैं, उतने ही रहस्यमई यहां की धरा है। यहां की रहस्यमई धरा में हमें हर पल देवी देवताओं से जुड़ी कहानियां एवं किस्सों के साथ-साथ उनकी महिमा और कृपा के बारे में सुनने और देखने को मिलता है। ऐसा ही एक मंदिर है जो अपने किस्सों और भक्तों पर अपनी कृपा दृष्टि बरसाने के लिए प्रसिद्ध है, जो की उत्तराखंड की भूमि में स्थित है। आप ने मां काली के कई मंदिर देखे होंगे साथ ही आपने इनकी महिमा और कृपा के कई किस्से सुने भी होंगे। परंतु आज हम आपको उत्तराखंड के पिथौरागढ़ में स्थित एक ऐसे महाकाली मंदिर के बारे में बताएंगे जो भक्तों के साथ-साथ उत्तराखंड में स्थित कुमाऊं रेजिमेंट की सैनिकों पर अपनी विशेष कृपा दृष्टि दर्शाती है।
(Haat Kalika Kumaon Regiment)
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आज हम आपको एक ऐसे महाकाली मंदिर के बारे में बताएंगे जो कुमाऊँ रेजीमेंट के सैनिकों को रणभूमि में युद्ध करने के लिए ताकत एवं साहस देती है। जो सैनिकों के अंदर जोश भरती है और युद्ध भूमि में उनकी रक्षा करती है। एक ऐसा महाकाली का मंदिर जिसका नाम कुमाऊं रेजिमेंट की सैनिकों का युद्ध में विजय नारा है। तो चलिए शुरू करते हैं – नमस्कार दोस्तों आज हम आपको उत्तराखंड के कुमाऊं में स्थित मां हाटकलिका के बारे में बताते हैं। सीमांत जिले पिथौरागढ़ के गंगोलीहाट में स्थित मां हाट कालिका मंदिर भगवती जगदंबा के महाकाली रूप को समर्पित है। इस मंदिर में माता महाकाली का विराट और साक्षात रूप विराजमान है। पुराणों के अनुसार इस मंदिर में माता जगदंबा का साक्षात महाकाली रूप विराजित है। यह मंदिर माता महाकाली की शक्तिपीठों में से भी एक है और यह मंदिर कई हजार वर्ष पुराना बताया जाता है। इस मंदिर का जिक्र स्कंद पुराण के मानस खंड में भी मिलता है। कहते हैं कि इस मंदिर में पहले कोई मूर्ति नहीं थी। यहां बस माता महाकाली की एक ज्योति ज्वाला के रूप में जलती थी। इस मंदिर में प्रथम मूर्ति कुमाऊं रेजिमेंट के सैनिक सूबेदार शेर सिंह ने सन 1971 में पाकिस्तान के साथ हुए जंग में जीत के बाद रखा था। उसके बाद 1994 में कुमाऊ रेजिमेंट द्वारा ही माता महाकाली के इस मंदिर में हाटकाली मां की नई मूर्ति रखी गई थी।
(Haat Kalika Kumaon Regiment)
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पुराणों एवं धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस मंदिर की स्थापना आदि गुरु शंकराचार्य ने की है जो कि साक्षात शिव के रूप माने जाते हैं। कहते हैं कि पहले इस क्षेत्र में हाट काली मंदिर में स्थित महाकाली देवी का दैवीय प्रकोप हुआ करता था जिसके चलते इस स्थान पर देवी महाकाली भगवान भोलेनाथ को आवाज देती थी, जो कोई भी उस आवाज़ को सुनता था वह मृत्यु को प्राप्त हो जाता था। जिसके चलते इस स्थान को लेकर लोगों के मन में बड़ा खौफ रहता था। तत्पश्चात शंकराचार्य इस जगह पर भ्रमण करने आए तो उन्हें इस क्षेत्र में माता की दिव्य प्रकोप का आभास हुआ। उन्होंने माता महाकाली को मंत्र–तंत्र द्वारा प्रसन्न और उनके उग्र रूप को शांत भी किया तथा पुनः मंदिर का पुनर्निर्माण भी करवाया। मान्यताओं के अनुसार हाट कालिका मंदिर में माता शक्ति ने महाकाली रूप में महिषासुर राक्षस से युद्ध किया था। लेकिन युद्ध के बाद उनका रूप अत्यंत विराट हो गया जिस को शांत करने के लिए भोलेनाथ को उनके पैरों के नीचे आना पड़ा था। ऐसा कहा जाता है इस स्थान पर भगवान भोलेनाथ महाकाली के पैरों के नीचे भी आए थे तथा वहीं कुछ लोगों के अनुसार यह स्थान माता सती का निवास स्थान हैं। इस जगह पर मां महाकाली बंगाल से आई है और मां ने इस जगह पर विश्राम कर इसे इसे अपना निवास स्थान बनाया था। इसलिए इस स्थान को मां महाकाली का निवास स्थान या विश्राम स्थान भी कहा जाता है।
(Haat Kalika Kumaon Regiment)

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कहते हैं कि इस स्थान पर माता महाकाली का आधी रात में डोला चलता है इस डोले में मां अपने सभी गणों तथा पवित्र आत्माओं के साथ ढोल नगाड़ों के साथ नाचती है और जो कोई भी मां के इस दिव्य डोला को छू लेता है तो उसे अलौकिक एवं दिव्य शक्ति की प्राप्ति होती है। तमाम किस्सों और कहानियों से जुड़ा हाटकाली मंदिर कुमाऊं ही नहीं बल्कि कुमाऊं रेजिमेंट के बीच भी काफी प्रचलित है। यह मां कुमाऊं रेजिमेंट के आराध्या एवं इष्ट देवी कहीं जाती है। इस मंदिर के रखरखाव एवं सभी कार्य सैनिकों के ही द्वारा किया जाता है। जब भी कुमाऊं रेजिमेंट के द्वारा कोई भी शुभ कार्य किया जाता है तो पहले मां हाट कालिका की पूजा करते है। कोई भी कार्य करने से पहले सभी सैनिक एवं वीर जवान मां हाट कालिका के दर्शन अवश्य करते हैं। यह कुमाऊं रेजिमेंट की रक्षक देवी कहलाती है। इनका जीत का नारा हाट कालिका के नाम पर “मां कालिका की जय “ है। जहां-जहां कुमाऊं रेजिमेंट के सैनिक निवास करते हैं वहां–वहां हाट कालिका का मंदिर स्थापित किया जाता है। मां हाटकालिका इन वीर सैनिकों की रक्षा के साथ-साथ इनके खून में जोश और जुनून भरती है। किसी भी युद्ध एवं मिशन पर जाने से पहले सभी सैनिकों मां के दर्शन अवश्य करते हैं और मां हाट कालिका सदैव उनकी रक्षा करती है।
(Haat Kalika Kumaon Regiment)
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बता दें कि कुमाऊं रेजिमेंट से मां हाट कालिका का रिश्ता बड़ा ही पुराना है। कहते हैं कि एक बार जब सेना के जहाज के कुछ खराबी के कारण वह डूबने लग गया था तो सभी सैनिक अपने घर वालों को याद करने लगे। तब उन सेना के टुकड़ी में एक जवान में पिथौरागढ़ का भी था जिसने मां हाट कालिका को पुकारा था और सभी की रक्षा करने की बात कही थी। देखते ही देखते जहाज एक किनारा लग गया और सभी की जाने बच गई। तब से कुमाऊं रेजिमेंट के द्वारा मां की पूजा बड़ी श्रद्धा और धूमधाम से की जाती है। मां हाट काली भी सभी सैनिकों की रक्षा कर उनके सभी कार्य बनाती है। महाकाली के रूप में बिराजने वाली हाट कालिका बड़ी ही करुणामई और दयालु है। यह भक्तों पर अपनी बड़ी कृपा दर्शाती है। जो कोई भी भक्तगण मां के चरणों में श्रद्धावश शीश झुकाता है तो मां हाट कालिका उनके सारे संकट को हर लेती है। उनके रोग शोक एवं दरिद्रा का विनाश करती है।यह मां हाटकालिंका भक्तों पर अपनी कृपा दृष्टि सदैव बनाए रखती है। जो कोई भी भक्त जहां कहीं भी संकट में हो मां उसकी अवश्य रक्षा करती है। उस पर मां अपनी कृपा दृष्टि बनाए रखती है। इस मंदिर में मांगी जाने वाली मुराद कभी खाली नहीं जाती। महाकाली अपने भक्तों के सारे कष्ट एवं दुख हर लेती है तथा भक्तों द्वारा भी मुराद पूरी होने पर मां को प्रसाद एवं घंटा चढ़ाया जाता है।
तो ये थे उत्तराखंड की प्रसिद्ध मां हाट काली मंदिर के बारे में कुछ रोचक तथ्य, जो अपने भक्तों की रक्षा के लिए हर संभव भक्तों के साथ खड़ी रहती है। इसे कुमाऊं रेजिमेंट की रक्षक देवी भी कहा जाता है। जिनके कारण कुमाऊं रजीमेंट के सैनिकों के सभी कार्य पूर्ण होता है।
(Haat Kalika Kumaon Regiment)

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