प्रसव के लिए भी अस्पताल पहुंची थी गर्भवती महिला (Uttarakhand pregnant women) परंतु वहां से भी लौटा दिया था उसे घर, अस्पतालों के चक्कर काटते-काटते हुई मौत..
कोरोना वाइरस के चलते जहां लोग अस्पतालों के चक्कर लगाने से झिझक रहे हैं वहीं दूसरी ओर इस महामारी की वजह से अस्पतालों में भी हर किसी मरीज का इलाज करने से पहले डॉक्टर और अस्पताल टीम भी झिझक रही है कि कहीं कोरोना संक्रमण ना हो। ऐसा ही एक मामला राज्य के देहरादून जिले से सामने आया है जहां एक गर्भवती महिला (Uttarakhand pregnant women) ने चार अस्पतालों में इलाज के लिए चक्कर काटे परंतु कोरोना की वजह उसे किसी भी अस्पताल द्वारा भर्ती नहीं किया गया। चार अस्पतालों में धक्के खाने के बाद जब वह महिला पांचवें अस्पताल पहुंची तो अस्पताल ने उसे भर्ती तो किया परंतु तब तक महिला जिंदगी की जंग हार गई और उसने अस्पताल में ही दम तोड दिया। बता दें कि नौ जून को गर्भवती महिला की कोख से जन्मे जुडवा बच्चे भी मौत के मुंह में समां चुके हैं। इस मामले में सबसे बड़ा सवाल तो यह है कि आखिर महिला का प्रसव घर पर कैसे हुआ क्योंकि नौ जून को महिला गांधी शताब्दी अस्पताल में डिलीवरी के लिए पहुंची थी परंतु यहां उसे यह कहकर वापस भेज दिया कि अभी डिलीवरी में समय है। हालांकि सीएमओ डॉ.बीसी रमोला ने इस मामले को बड़ी लापरवाही करार देते हुए जांच के आदेश दे दिए हैं।
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महिला के साथ हुई घटना में अस्पतालों ने पार की संवेदनहीनता की सारी हदें, कोविड-नान कोविड के फेर में नहीं किया किसी भी अस्पताल में भर्ती:-
प्राप्त जानकारी के अनुसार राज्य के देहरादून जिले के देहराखास निवासी एक 24 वर्षीय गर्भवती महिला (Uttarakhand pregnant women) ने बीते नौ जून को घर में जुड़वां बच्चों को जन्म दिया था। परंतु न सिर्फ बच्चों ने जन्म लेते ही दम तोड दिया बल्कि महिला की तबीयत बिगड़ने लगी। जिसके बाद परिजन महिला को दून अस्पताल ले गए जहां चिकित्सकों ने महिला को कोरोना संदिग्ध नहीं बताते हुए उसे नान कोविड अस्पताल रेफर कर दिया। जिसके बाद परिजन उसे कोरोनेशन, गांधी अस्पताल, और एक निजी अस्पताल में ले गए परंतु कोविड- नान कोविड के फेर में महिला को किसी भी अस्पताल ने भर्ती नहीं किया। गांधी अस्पताल से महिला को दुबारा दून अस्पताल रेफर कर दिया जहां उपचार के दौरान महिला की मौत हो गई। राजधानी देहरादून में हुई इस घटना में न सिर्फ अस्पतालों द्वारा संवेदनहीनता की सारी हदें पार की गई बल्कि पूरे स्वास्थ्य विभाग को ही कठघरे में खड़ा कर दिया है। इस मामले में एक सवाल तो यह भी उठता है कि जब राजधानी देहरादून में स्वास्थ्य विभाग इतनी लापरवाही के साथ कार्य कर रहा है और कोविड-नान कोविड के फेर में मरीजों को ऐसे घुमाया जा रहा है तो इस बात का अंदाजा लगाया जा सकता है कि राज्य के अन्य जनपदों में स्वास्थ्य सेवाएं किस हाल में होंगी।
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