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उत्तराखण्ड: मुम्बई में मेनेजर की नौकरी छोड़ पहाड़ में शुरू की खेती, बाजार में उतारी खास चाय..

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उत्तराखण्ड: मुम्बई में मेनेजर की नौकरी छोड़ पहाड़ में शुरू की खेती, बाजार में उतारी खास चाय..

Uttarakhand self employment: मुम्बई में मेनेजर की नौकरी छोड़कर पहाड़ में खेती-बागवानी से की स्वरोजगार की शुरुआत और अब चाय की पांच वैरायटी उतार दी बाजार में..

जहां राज्य के अधिकांश युवा रोजगार के लिए बड़े-बड़े शहरों की ओर पलायन कर रहे हैं वहीं राज्य के कुछ लोग ऐसे भी हैं जिन्हें मुम्बई, दिल्ली जैसे बड़े शहरों से माटी की खुशबू वापस जन्मभूमि की ओर खींच ला रही है। ऐसे लोग शहरों में बड़ी-बड़ी नौकरी छोड़कर अपने गांव-अपने पहाड़ की ओर रुख कर रहे हैं और वहां रहकर अपनी मेहनत के बलबूते स्वरोजगार (Uttarakhand self employment) कर न सिर्फ राज्य के अन्य युवाओं के प्रेरणास्त्रोत बन रहे हैं बल्कि अपने इस स्वरोजगार से घर पर रहकर ही अच्छा मुनाफा भी कमा रहे हैं। आज हम आपको राज्य के एक ऐसे ही लघु उद्यमी से रूबरू करा रहे हैं जिन्होंने 26 साल तक मुम्बई में कड़ी मेहनत करने के बाद मिली मेनेजर की नौकरी छोड़कर पहाड़ में ही स्वरोजगार शुरू किया है। जी हां.. हम बात कर रहे हैं राज्य के बागेश्वर जिले के रहने वाले चंद्रशेखर पांडेय की, जिन्होंने मुम्बई की चकाचौंध वाली जिंदगी को छोड़कर 2017 में गांव में रहकर ही स्वरोजगार करने का निश्चय किया और खेती और बागवानी के साथ ही अब तुलसी और जड़ी बूटियों से निर्मित पांच वैरायटी की चाय बाजार में उतारी है। उनका कहना है कि उनकी चाय का स्वाद लोग बड़े प्यार से ले रहे हैं।
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कोरोना से बचाव के लिए लाए खास चाय, बताया इम्यूनिटी पॉवर बढ़ाने वाला:-प्राप्त जानकारी के अनुसार राज्य के बागेश्वर जिले के गरूड़ तहसील के चौरसों निवासी चंद्रशेखर पांडेय मुंबई के प्रतिष्ठित ज्वेलरी शॉप में मेनेजर थे। उन्होंने यह मुकाम 26 वर्षों की कड़ी मेहनत के बाद पाया था परन्तु 2017 में अपनी हरी-भरी माटी की खुशबू उन्हें मुम्बई से वापस पहाड़ खींच लाई। जिसके बाद उन्होंने मुम्बई की चकाचौंध भरी जिंदगी को हमेशा के लिए अलविदा कहने के साथ ही अपने गांव-अपने पहाड़ पर रहकर ही कुछ करने का निश्चय किया और वह ज्वेलरी शॉप में मैनेजर की नौकरी छोड़कर परिवार सहित गांव लौट आए। शुरुआत में उन्हें काफी कठिनाई का सामना करना पड़ा परंतु उन्होंने अपनी कड़ी मेहनत के बलबूते खेती-बाड़ी और बागवानी शुरू की। (Uttarakhand self employment) उनकी इसी कठिन मेहनत का परिणाम है कि उनका नाम आज गरूड़ के बड़े-बड़े सफल किसानों में शुमार है। अपनी इसी परिश्रम के बलबूते उन्होंने चाय का व्यापार कर कुछ बड़ा करने की सोची और इसी के तहत फिलहाल उन्होंने इम्यूनिटी बूस्टर टी, तुलसी-अदरख चाय, तुलसी ग्रीन टी, हर्बल टी, जड़ीबूटी से निर्मित केमू माइल टी नाम से पांच प्रोडक्ट बाजार में उतारे हैं। जिनमें से इम्यूनिटी बूस्टर टी को तो चन्द्रशेखर ने अपने नाम के मुताबिक ही इम्यूनिटी पॉवर बढ़ाने वाला भी बताया है। उनका कहना है कि वह इस खास चाय को कोरोना से बचाव के लिए लाए हैं।

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Sunil

सुनील चंद्र खर्कवाल पिछले 8 वर्षों से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय हैं। वे राजनीति और खेल जगत से जुड़ी रिपोर्टिंग के साथ-साथ उत्तराखंड की लोक संस्कृति व परंपराओं पर लेखन करते हैं। उनकी लेखनी में क्षेत्रीय सरोकारों की गूंज और समसामयिक मुद्दों की गहराई देखने को मिलती है, जो पाठकों को विषय से जोड़ती है।

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