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देहरादून

उत्तराखण्ड का लाल लेह लद्दाख में हुआ शहीद, बेटों ने दी नम आखों से मुखाग्नि

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देवभूमि उत्तराखंड के बहादुर जवान के जम्मू-कश्मीर में शहीद होने की खबर से पूरी राजधानी देहरादून में शोक की लहर है। बताया गया है कि मृतक जवान अनिल क्षेत्री का निधन ड्यूटी के दौरान अचानक स्वास्थ्य बिगड़ने की वजह से हुई है। जवान की मौत की खबर से परिवार में कोहराम मचा हुआ है। आज जैसे ही मृतक जवान का पार्थिव शरीर सेना के वाहन से उनके घर पहुंचा तो परिजनों का आंखों में आंसूओं का सैलाब उमड़ पड़ा। परिजनों को जहां अभी भी जवान के निधन पर यकीन नहीं हो रहा वहीं माता-पिता एवं बच्चों सहित जवान की पत्नी की आंखों से आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे हैं। परिजनों के अंतिम दर्शन के बाद आज दोपहर बाद गमहीन‌ माहौल में जवान का अंतिम संस्कार पूरे सैन्य सम्मान के साथ कर दिया गया। जवान को अंतिम विदाई देने राजधानी दून की सड़कों में भारी जनसैलाब उमड़ा। अंत में टपकेश्वर स्थित मोक्ष धाम में जवान के पार्थिव शरीर को उनके बड़े बेटे ने मुखाग्नि दी। बताया गया है कि मृतक शहीद जवान अनिल क्षेत्री का छोटा भाई मनोज भी सेना में ही है।




बड़ा बेटा आठवीं कक्षा का छात्र है तो छोटा बेटा अभी कर रहा प्राथमिक शिक्षा ग्रहण:-
प्राप्त जानकारी के अनुसार राज्य की राजधानी देहरादून के चांदमारी, घंघोड़ा निवासी शहीद सूबेदार अनिल कुमार क्षेत्री सियाचिन ग्लेशियर के डाउन यूनिट में तैनात थे। बीते 10 दिसंबर को ड्यूटी के दौरान हाई एल्टीट्यूड के कारण अनिल की एकाएक तबीयत बिगड़ गई, जिसके चलते उन्हें सेना अस्पताल में भर्ती कराया गया। बताया गया है कि इस दौरान उन्हें सांस लेने में तकलीफ हो रही थी। तबीयत ज्यादा खराब होने पर उन्हें लेह स्थित सेना अस्पताल में हायर सेंटर रेफर कर दिया गया, जहां उन्होंने 10 दिसंबर की मध्यरात्रि को दम तोड दिया। जवान बेटे की मौत की समाचार मिलते ही परिजन बेसुध हो गए। आज जैसे ही जवान का पार्थिव शरीर सेना के वाहन से उनके घर पहुंचा तो परिजनों का दु:ख आंसूओं के रूप में बाहर आ गया। गमहीन माहौल के बीच मृतक जवान को अंतिम संस्कार के लिए टपकेश्वर स्थित मोक्ष धाम ले जाया गया। इस दौरान वीर जवान को अंतिम विदाई देने लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा। बता दें कि मृतक जवान अपने पीछे पिता नील बहादुर क्षेत्री, माता गीता देवी, पत्नी मधु क्षेत्री, बेटे समर्थ और सक्षम के अलावा दो भाई अशोक व मनोज क्षेत्री को छोड़कर चले गए हैं। शहीद का बड़ा पुत्र समर्थ कक्षा आठवीं का छात्र है, जबकि छोटा बेटा सक्षम अभी प्राथमिक शिक्षा ग्रहण कर रहा है।




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