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bus arrived in the village of uttarakashi for the first time

उत्तरकाशी

उत्तराखण्ड

उत्तराखंड : गांव में पहली बार पहुंची बस, तो ग्रामीणों ने ढोल-दमाऊं से मनाया जश्न

उत्तरकाशी (Uttarakashi) के जीवाणु गांव में पहली बार बस पहुंचने पर ग्रामीणों ने मनाया जमकर जश्न, ग्रामीणों को अब नहीं झेलनी पड़ेगी वर्षों की पीड़ा

अलग राज्य बनने के बीस वर्ष बाद भी देवभूमि उत्तराखंड के कई गांव अभी भी ऐसे हैं जहां अभी तक सड़क नहीं पहुंच पाई है। सड़क ना होने से जहां लोग इन गांवों से पलायन करने को मजबूर हैं वहीं ग्रामीणों को क‌ई अन्य परेशानियों का भी सामना करना पड़ता है। यथा- क‌ई किलोमीटर तक अपने कंधों या सिर पर सामान का बोझ ढोना आदि। यहां तक कि किसी के बीमार होने की दशा में भी उसे डोली में बैठाकर ये ग्रामीण पहाड़ के पथरीले रास्तों पर क‌ई किलोमीटर तक पैदल चलकर सड़क मार्ग तक पहुंचते हैं। इन गांवों में सड़क की जरूरत कितनी है इस बात का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि यदि यहां पहली बार कोई गाड़ी पहुंचे तो लोग न केवल ढोल-नगाड़ों से उसका स्वागत करते हुए दिखाई देते हैं बल्कि वाहन चालक को भी कंधों पर उठाकर अपनी खुशी का इजहार करते हैं। ऐसा ही कुछ नजारा आज राज्य के उत्तरकाशी (Uttarakashi) जिले के मोरी तहसील सामने आ रहा है। जहां जीवाणु गांव में पहली बार बस पहुंची तो ग्रामीणों ने जमकर जश्न मनाया। पूरे क्षेत्र में ढोल, दमाऊं की थाप और रणसिंघा की आवाज गूंज रही थी। इस अवसर पर उनकी खुशी का ठिकाना देखते ही बन रहा था।
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ग्रामीणों का वर्षों पुराना सपना हुआ साकार, सड़क ना होने से चलना पड़ता था तीन से पन्द्रह किलोमीटर तक पैदल:-

प्राप्त जानकारी के अनुसार उत्तरकाशी जिले के मोरी तहसील के नौ गांव के लोग लंबे समय से सड़क का इंतजार कर रहे थे। बीते मंगलवार को जैसे ही खरसाणी से जीवाणु गांव तक बस पहुंची तो ग्रामीणों का उत्साह चरम पर था। बस पहुंचने की सूचना पर सड़क के अंतिम छोर पर भारी संख्या में उमड़े जीवाणु गांव के ग्रामीण न केवल ढोल-नगाड़ों से बस का स्वागत कर नृत्य करते हुए नजर आए बल्कि उन्होंने पूरी बस को ही फूल मालाओं से सजा दिया। वर्षों बाद अपने गांव तक सड़क पहुंचने से खुश इन ग्रामीणों की खुशी जहां देखने लायक थी वहीं यह बताने के लिए भी काफी थी इन जैसे सैकड़ों गांवों के लोगों को सड़क की कितनी आवश्यकता है। बता दें कि गांव में सड़क ना होने से क्षेत्र के विभिन्न गांव के लोगों को सड़क से तीन से 15 किलामीटर की दूरी पैदल ही तय करनी पड़ती थी। गांव के किसी किसी व्यक्ति की तबीयत बिगड़ जाने पर तो इन ग्रामीणों की दुश्वारियां और भी बढ़ जाती थी। ग्रामीणों की मांग पर प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के तहत वर्ष 2016 में खरसाणी से जीवाणु तक 15 किलोमीटर लंबी सड़क निर्माण का कार्य प्रारंभ किया गया था। अब सड़क का निर्माण पूरा होने से उत्साहित ग्रामीणों का कहना है कि आज उनका वर्षों का सपना पूरा हो गया। अब उन्हें सड़क तक पहुंचने के लिए पैदल नहीं चलना पड़ेगा, सभी आवश्यक वस्तुएं यथा- रसोई गैस की गाड़ी भी गांव तक आ सकेगी।

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